बुधवार को सोना पहली बार 4,000 डॉलर प्रति औंस के पार चला गया। वैश्विक आर्थिक अनिश्चितता से बचाव के लिए इस सुरक्षित परिसंपत्ति पर निवेशकों के दांव बढ़ाने से इसमें रिकॉर्ड तेजी दर्ज की गई। साथ ही निवेशकों ने अमेरिका में ब्याज दरों में कटौती पर भी दांव लगाया। दोपहर 2.09 बजे तक हाजिर सोना 1.5 फीसदी बढ़कर 4,041.71 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गया था। दिसंबर डिलिवरी के लिए अमेरिकी सोना वायदा 1.5 फीसदी बढ़कर 4,063.70 डॉलर पर पहुंच गया। चांदी भी सोने की तेजी की राह पर चलते हुए 2.3 फीसदी बढ़कर 48.92 डॉलर प्रति औंस पर पहुंच गई। यह उसके सर्वाधिक ऊंचे स्तर 49.51 डॉलर से बस थोड़ा ही कम है।
परंपरागत रूप से सोने को अस्थिरता के समय खरीदकर रखने का चलन रहा है। 2024 में 27 फीसदी की वृद्धि के बाद हाजिर सोना इस वर्ष अब तक लगभग 54 फीसदी चढ़ चुका है। यह 2025 की सबसे मजबूत प्रदर्शन करने वाली संपत्तियों में से एक है, जो वैश्विक शेयर बाजारों और बिटकॉइन की बढ़त से आगे निकल गया है जबकि अमेरिकी डॉलर और कच्चे तेल में इस वर्ष गिरावट दर्ज की गई है।
यह तेजी कई कारणों से आई है। इनमें ब्याज दरों में कटौती की उम्मीद, राजनीतिक और आर्थिक अनिश्चितता जारी करहने, केंद्रीय बैंकों की स्वर्ण खरीदारी, गोल्ड एक्सचेंज ट्रेडेड फंडों (ईटीएफ) में बढ़ता निवेश और कमजोर होता डॉलर शामिल है। स्टोनएक्स विश्लेषक रोना ओ’कोनेल ने कहा, भू-राजनीतिक अनिश्चितता की पृष्ठभूमि पहले जैसी ही है औ इसमें अब (अमेरिकी) सरकारी शटडाउन भी जुड़ गया है।
उन्होंने कहा, इससे मजबूत इक्विटी में बाधा नहीं आ रही है। लेकिन फिर भी बुलियन के माध्यम से जोखिम को कुछ हद तक कम किया जा सकता है। अमेरिकी सरकार का शटडाउन बुधवार को आठवें दिन भी जारी रहा और इस कारण प्रमुख आर्थिक आंकड़ों के जारी होने में देरी हुई है। लिहाजा, निवेशकों को फेड दरों में कटौती के समय और दायरे के आकलन के लिए गैर-सरकारी स्रोतों पर निर्भर रहना पड़ रहा है।
बाजार फेड की आगामी बैठक में ब्याज दरों में 25 आधार अंक की कटौती मानकर चल रहा है। उसे दिसंबर में भी इसी तरह की कटौती की उम्मीद है। पश्चिम एशिया के संघर्ष और यूक्रेन युद्ध समेत वैश्विक संकटों ने भी सराफा की मांग वृद्धि में योगदान दिया है। इसके अलावा फ्रांस और जापान की राजनीतिक उथल-पुथल ने सुरक्षित निवेश वाली संपत्तियों की ओर रुझान और बढ़ा दिया है। डॉयचे बैंक में बहुमूल्य धातु के विश्लेषक माइकल हसुए ने कहा कि पांच वर्षों में पहली बार विकसित बाजार में ईटीएफ का नवीकृत संचय भी इस तेजी को बढ़ावा देने वाले कारकों में से एक है।
विश्व स्वर्ण परिषद के आंकड़ों के अनुसार वैश्विक स्तर पर गोल्ड ईटीएफ में निवेश इस वर्ष अब तक 64 अरब डॉलर तक पहुंच गया है जिसमें अकेले सितंबर में हुआ 17.3 अरब डॉलर का रिकॉर्ड निवेश शामिल है।
विश्लेषकों का अनुमान है कि सोना समर्थित ईटीएफ में मजबूत निवेश, केंद्रीय बैंकों की खरीदारी और कम अमेरिकी ब्याज दरें 2026 में भी सोने की कीमतों को बढ़ावा देंगी। प्रमुख बैंक इस तेजी को लेकर आशावादी हो गए हैं।
विजडम ट्री में कमोडिटी रणनीतिकार नितेश शाह ने कहा, हमें उम्मीद थी कि वर्ष के अंत तक सोना 4,000 डॉलर तक पहुंच जाएगा। मात्रा की दिशा हमारे व्यापक दृष्टिकोण के अनुरूप बनी हुई है। उन्होंने अपना पूर्वानुमान दोहराते हुए कहा कि 2026 की तीसरी तिमाही के अंत तक कीमतें 4,530 डॉलर प्रति औंस तक पहुंच जाएंगी।
विश्लेषकों का कहना है कि कहीं छूट न जाएं, का डर भी इस तेजी को बढ़ावा दे रहा है। यूबीएस के विश्लेषक जियोवानी स्टानोवो ने कहा, सोने के लिए एक बड़ी बाधा यह होगी कि फेड सोने के प्रति और ज्यादा आक्रामक रुख अपनाए। लेकिन फिलहाल ट्रंप अमेरिका में ब्याज दरों में कमी देखना चाहते हैं और इससे सोने का आकर्षण बढ़ता रहेगा।
एचएसबीसी ने बुधवार को सोने की ऊंची कीमतों, निवेशकों की बढ़ती मांग और अस्थिर व्यापार की आशंका का हवाला देते हुए 2025 के लिए चांदी की औसत कीमत का अनुमान बढ़ाकर 38.56 डॉलर प्रति औंस और 2026 के लिए 44.50 डॉलर प्रति औंस कर दिया।
सोने की तेजी का असर अन्य कीमती धातुओं पर भी पड़ा और प्लैटिनम 3.1 फीसदी बढ़कर 1,668.28 डॉलर पर पहुंच गई।