सोना और चांदी 2024 में सुर्खियों में हैं, क्योंकि उनकी कीमतें नई ऊंचाइयों पर पहुंच गई हैं। एडलवाइस की “राइज एंड शाइन ऑफ प्रीशियस मेटल्स” रिपोर्ट के मुताबिक, मजबूत वैश्विक मांग और अनुकूल बाजार परिस्थितियों ने इन कीमती धातुओं को कीमतों को नई ऊंचाई पर पहुंचाया है। सोना और चांदी अब तक लगभग 29 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दे चुके हैं, जो व्यापक बाजार सूचकांकों से कहीं बेहतर प्रदर्शन है। यह शानदार वृद्धि 2008 के वैश्विक वित्तीय संकट और 2020 में कोविड-19 महामारी जैसे आर्थिक संकट के दौरों की याद दिलाती है।
रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल सोने और चांदी ने कई अन्य निवेश विकल्पों की तुलना में बेहतर प्रदर्शन किया है। सोने ने इस साल अब तक 14.13 प्रतिशत का रिटर्न दिया है, जबकि चांदी ने 28.50 प्रतिशत का शानदार रिटर्न दर्ज किया है।
इसकी तुलना में, सरकारी बॉन्ड ने केवल 0.49 प्रतिशत और कॉर्पोरेट बॉन्ड ने 0.67 प्रतिशत का बेहद कम रिटर्न दिया है। वहीं, सेंसेक्स (14.05%) और MSCI इंडिया (14.10%) जैसे इक्विटी निवेश सोने के प्रदर्शन के करीब हैं, लेकिन चांदी का रिटर्न, जो औद्योगिक उपयोग से प्रेरित है, इनसे काफी आगे है।
सोने की स्थिरता और इक्विटी (0.00) तथा डेब्ट मार्केट (0.02) से कम संबंध इसे जोखिम कम करने के लिए एक भरोसेमंद विकल्प बनाते हैं। वहीं, चांदी भी अन्य परिसंपत्तियों से सीमित संबंध के कारण पोर्टफोलियो को संतुलित करने में मदद करती है। ये दोनों धातुएं मजबूत रिटर्न और पोर्टफोलियो में विविधता के लिए बेहतरीन विकल्प हैं।
केंद्रीय बैंकों की मांग: वैश्विक केंद्रीय बैंकों ने 2024 की पहली छमाही में पिछले रिकॉर्ड को पार करते हुए 483 टन सोने की शुद्ध खरीदारी की है। पिछले कुछ वर्षों से, खासतौर पर उभरते बाजारों के केंद्रीय बैंकों की ओर से सोने की मांग लगातार बनी हुई है।
एशियाई देशों में मजबूत निवेश मांग: 2024 की दूसरी तिमाही में ग्लोबल गोल्ड ईटीएफ से निकासी घटकर 7 टन रह गई, जो पिछली तिमाही में 21 टन थी। एशियाई बाजारों में सोने की छड़ों (gold bars) और सिक्कों (gold coins) की मांग में भी तेजी देखी गई, जिसमें चीन और भारत सबसे आगे रहे। चीन में अस्थिर आर्थिक हालात ने सोने की मांग बढ़ाई, जबकि भारत में आयात शुल्क में कटौती और त्योहारी खरीदारी ने इसे और मजबूत किया।
चांदी की मांग और सप्लाई में अंतर: चांदी की कीमतों में तेजी का मुख्य कारण मांग और सप्लाई में असंतुलन है। यह लगातार पांचवां साल है जब चांदी की मांग उसकी सप्लाई से ज्यादा रही है। इसकी मांग मुख्य रूप से सोलर पैनल (solar panels) और इलेक्ट्रिक वाहनों (EVs) जैसे उद्योगो के कारण बढ़ी है। बढ़ती मांग को पूरा करना मुश्किल है क्योंकि चांदी मुख्य रूप से ऐसे खानों से मिलती है जहां यह एक सह-उत्पाद (by-product) के रूप में निकाली जाती है।
भारत में शादियों के सीजन में सोने और चांदी की मांग बढ़ने की संभावना है, जिसका कारण मौजूदा कीमतों में गिरावट है। इक्विटी बाजार में जारी अस्थिरता और भू-राजनीतिक तनावों के चलते इन धातुओं में निवेश मजबूत बना रह सकता है। इसके अलावा, अमेरिकी फेडरल रिजर्व की ब्याज दरों में संभावित कटौती मध्यम अवधि में सोने और चांदी के आकर्षण को और बढ़ा सकती है।
वैश्विक केंद्रीय बैंक सोने को एक दीर्घकालिक संपत्ति (long-term asset) के रूप में पसंद कर रहे हैं, जो महंगाई से बचाव और पोर्टफोलियो स्थिरता के लिए प्रभावी है और इसमें डिफॉल्ट का कोई जोखिम नहीं है। साथ ही, सोने को अमेरिकी डॉलर पर निर्भरता कम करने में अहम भूमिका निभाने की उम्मीद है, जहां देश अंतरराष्ट्रीय व्यापार के लिए वैकल्पिक मुद्रा की तलाश कर रहे हैं।