लहसुन सस्ता होने से इसके निर्यात को दम मिल रहा है। इस साल लहसुन का निर्यात खूब हो रहा है। चालू वित्त वर्ष के पहले 7 माह के दौरान ही पिछले वित्त वर्ष के कुल लहसुन निर्यात के 4 गुने से अधिक निर्यात हो चुका है। बीते कुछ वर्षो से लहसुन के निर्यात में गिरावट दर्ज की जा रही थी, लेकिन इस वित्त वर्ष निर्यात में बढोतरी दर्ज की जा रही है क्योंकि लहसुन के दाम इस साल काफी कम हैं।
केंद्र सरकार के वाणिज्य विभाग के आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2022—23 की अप्रैल—अक्टूबर अवधि में देश से 20,181.10 टन लहसुन निर्यात हो चुका है,जबकि वर्ष 2021—22 में कुल 4,489.90 टन लहसुन निर्यात हुआ था। जाहिर है चालू वित्त वर्ष के पहले 7 महीने में ही पिछले वित्त वर्ष के दौरान हुए कुल लहसुन निर्यात से करीब साढ़े 4.5 गुना अधिक लहसुन निर्यात हो चुका है। इस वित्त वर्ष के बचे महीनों में भी लहसुन निर्यात बढ़ने की संभावना है।
चालू वित्त वर्ष में बांग्लादेश को सबसे अधिक 13,670.79 टन लहसुन निर्यात हुआ, जबकि पिछले वित्त वर्ष महज 47.50 टन निर्यात हुआ था। बांग्लादेश के बाद इस वित्त वर्ष मलेशिया को 3,306.50 टन, वियतनाम को 1,360.79 टन,यूएई को 488.86 टन और अफगानिस्तान को 439.33 टन लहसुन का निर्यात हुआ है। देश में बीते 4 साल से लहसुन निर्यात घट रहा था। लेकिन इस वर्ष निर्यात बढ़ रहा है। वर्ष 2017—18 में 31,811.22 टन, वर्ष 2018—19 में 15,528.37 टन, वर्ष 2019—20 में 7,797.79 टन और वर्ष 2020—21 में 4,497.93 टन लहसुन निर्यात हुआ था।
राष्ट्रीय बागवानी अनुसंधान व विकास प्रतिष्ठान के पूर्व निदेशक आर पी गुप्ता ने बताया कि बीते कुछ सालों से देश में लहसुन के दाम 100 रुपये किलो से ज्यादा चल रहे थे। जिससे भारतीय लहसुन महंगा होने से इसकी निर्यात बाजार में मांग कमजोर थी और चीन के लहसुन की मांग खूब थी। इस साल देश में लहसुन के दाम 8 से 30 रुपये किलो के दायरे में है।
इसलिए खासकर बांग्लादेश से लहसुन की मांग कई गुना बढ गई है। गुप्ता कहते हैं कि भारतीय लहसुन में तीखापन होता है, जो मांसाहार के लिए अच्छा रहता है। ऐसे में भारतीय लहसुन का बांग्लादेशियों को स्वाद लगने के कारण आगे भी इसकी बांग्लादेश में निर्यात मांग मजबूत रहने की उम्मीद है। मुख्य उत्पादक राज्य मध्य प्रदेश की मंदसौर मंडी में इन दिनों लहसुन की मॉडल कीमत 12 से 14 रुपये किलो चल रही है। पिछले साल इस समय ये भाव 30 से 50 रुपये किलो थे।