मध्य प्रदेश सरकार ने गेहूं की सरकारी खरीद की पंजीयन प्रक्रिया शुरू कर दी है। चूंकि गेहूं के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) के अलावा किसी बोनस की घोषणा अब तक नहीं की गई है इसलिए माना जा रहा है कि किसानों को केंद्र सरकार द्वारा घोषित MSP यानी 2,275 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा।
केंद्र सरकार ने पिछले वर्ष के 2,125 रुपये प्रति क्विंटल के MSP में 150 रुपये प्रति क्विंटल का इजाफा किया है। बहरहाल इस इजाफे के बावजूद गेहूं उत्पादक और कृषि संगठन दोनों ही नाखुश हैं। दरअसल सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने नवंबर में विधानसभा चुनाव के दौरान वादा किया था कि गेहूं के लिए किसानों को 2,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाएगा।
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रदेश अध्यक्ष अनिल यादव ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘हमने सरकार को ज्ञापन देकर मांग की है कि किसानों को वादे के मुताबिक 2,700 रुपये प्रति क्विंटल की दर से भुगतान किया जाए।’
यादव ने कहा कि किसान मौजूदा हालात से नाराज हैं और एक मार्च को सरकारी खरीद का पंजीयन समाप्त होने के बाद जब गेहूं की तुलाई आरंभ होगी तब उनका गुस्सा सामने आ सकता है।
मध्य प्रदेश के खुले बाजारों में गेहूं के दाम 2,700 से 3,000 रुपये प्रति क्विंटल हैं। ऐसे में अगर सरकार किसानों को समुचित बोनस नहीं देती है तो सरकारी खरीद लक्ष्य से पीछे रह सकती है। चुनावी वादे को पूरा करने के लिए सरकार को गेहूं खरीद पर 425 रुपये प्रति क्विंटल की दर से बोनस देना होगा।