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चीनी विकास योजना के लिए मची होड़

Last Updated- December 10, 2022 | 8:42 PM IST

केंद्र सरकार की चीनी विकास योजना (शुगर डेवलपमेंट प्रोग्राम) को महाराष्ट्र सरकार द्वारा सफलतापूर्वक चलाए जाने से दो महीनों के भीतर तकरीबन 50 मिलें इस ओर आकर्षित हुईं।
अनुमान है कि मई के अंत तक इस योजना की ओर आकर्षित होने वाले मिलों की संख्या दोगुनी हो जाएगी। इन कंपनियों ने 1,000 हेक्टेयर के संभावित क्षेत्र की पैदावार धीरे-धीरे 50 टन बढ़ाने की दिशा में हर संभव प्रयास करने में दिलचस्पी दिखाई है।
महाराष्ट्र की औसत पैदावार 70 टन की है और देश में यह पैदावार की दृष्टि से तीसरे पायदान पर है। जबकि, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश क्रमश: 100 टन और 80 टन प्रति हेक्टेयर की पैदावार के साथ पहले और दूसरे स्थान पर हैं।
साल 1980-81 के चीनी वर्ष में महाराष्ट्र में 92 टन प्रति हेक्टेयर की जबरदस्त पैदावार हुई थी जो अब तक की सर्वाधिक है। सरकार चाहती है कि प्रोत्साहन के प्रयासों से अगले दो सालों में पैदावार के इस लक्ष्य को पाया जाए।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी फैक्ट्री महासंघ लिमिटेड (शुगर फेडरेशन) के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवारे ने कहा, ‘हमारा अनुमान है कि पेराई के अगले सीजन में गन्ना और चीनी के उत्पादन में लगभग 15 से 20 प्रतिशत की बढ़ोतरी होगी क्योंकि किसानों को गन्ने की खेती का लाभ मालूम हो चुका है। पिछले साल बढ़ी हुई राशि की घोषणा तब की गई थी जब बुआई का समय समाप्त हो चुका था।’
नाइकनवारे ने कहा कि अभी बोई जाने फसल की कटाई साल 2010-11 में होगी और हमारा इसके बारे में अनुमान है कि बंपर फसल होगी। तब चीनी चक्र में कमी की जगह बढ़ोतरी देखी जाएगी। मिलों ने गन्ना किसानों को 1,250 रुपये प्रति टन के हिसाब से अग्रिम दिया है जो साल के अंत तक बढ़ कर 1,500 रुपये प्रति होने की उम्मीद है।
अगले साल गन्ने की कीमतें भी बढ़ कर 1,600 से 1,650 रुपये प्रति टन होने का अनुमान है और इसकी जानकारी पहले ही किसानों को दी जा चुकी है। नाइकनवारे ने कहा कि उम्मीद है किसान अधिक कमाई को देखते हुए अन्य फसलों की जगह गन्ने की खेती का रुख करेंगे।
अन्य नकदी फसलों की तरफ किसानों के रुख को रोकने के लिए और वर्तमान गन्ना किसानों को प्रोत्साहित करने के लिए केंद्र सरकार ने इस साल जनवरी में विशेष पैकेज की घोषणी की थी जिसमें मिलों के निवेश का प्रतिफल 1:4.5 का अनुमान किया गया था।
महाराष्ट्र में गन्ने की खेती पूरी तरह मिलों द्वारा नियंत्रित की जाती है। जबकि देश के सबसे बड़े चीनी उत्पादक राज्य उत्तर प्रदेश में गन्ने की कटाई और मिलों को उसकी आपूर्ति का अधिकार किसानों के पास होता है।
सरकार का यह कदम महत्वपूर्ण है क्योंकि भारत का चीनी उत्पादन इस साल घट कर 160 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले चीनी सीजन में 285 लाख टन चीनी का उत्पदन हुआ था। महाराष्ट्र का चीनी उत्पादन भी घट कर 47 से 48 लाख टन होने का अनुमान है जबकि पिछले सीजन में 91 लाख टन का उत्पादन हुआ था।

First Published - March 20, 2009 | 2:06 PM IST

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