Budget 2025: हर साल केंद्रीय बजट का सबसे ज्यादा इंतजार करने वाला जो क्षेत्र माना जाता है वह है कृषि और ग्रामीण क्षेत्र। हालांकि, कृषि सालभर चलने वाली प्रक्रिया है और इसमें से कई बड़े फैसले राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आते हैं, लेकिन फिर भी केंद्रीय बजट यह दिखाता है कि केंद्र सरकार भारतीय अर्थव्यवस्था के इस महत्वपूर्ण हिस्से को किस नजरिए से देखती है। कृषि और ग्रामीण क्षेत्र के लिए पर्याप्त फंडिंग से पूरी अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार मिलती है और उपभोग (consumption) में वृद्धि होती है।
इसी संदर्भ में कई अर्थशास्त्री बजट घोषणाओं के जरिए ग्रामीण क्षेत्र के प्रति केंद्र के नजरिए को लेकर संकेत तलाशते हैं। जब से 2014 में एनडीए सरकार सत्ता में आई है, कृषि और इससे जुड़े क्षेत्रों के लिए बजटीय आवंटन (budgetary allocation) में कई गुना इजाफा हुआ है।
हालांकि, कुछ आलोचकों का कहना है कि यह वृद्धि कुछ हद तक केवल लेखा-जोखा (accounting adjustments) का नतीजा है, जैसे कि अल्पकालिक फसल ऋण पर ब्याज सब्सिडी का खर्च वित्तीय सेवाओं के विभाग के तहत पहले था, जिसे एक साल कृषि मंत्रालय के बजट में जोड़ दिया गया। लेकिन सच यह है कि पर आवंटन में भी बढ़ोतरी हुई है, जैसे प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि (PM-Kisan) पर वार्षिक आवंटन, जो 2018 के बजट से शुरू हुआ था (संसदीय चुनावों से ठीक पहले) और प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) के तहत फसल बीमा सब्सिडी पर बढ़ता खर्च।
अपने तीसरे कार्यकाल में मोदी सरकार के पास कृषि और ग्रामीण मंत्रालयों में एक नए मंत्री के रूप में अनुभवी शिवराज सिंह चौहान हैं। चौहान ने जून 2024 में कार्यभार संभालने के बाद से कृषि भवन (Krishi Bhawan) में काम करने के एक नए तरीके की शुरुआत की है, जिसमें राज्यों और बातचीत को अधिक महत्व दिया गया है। हालांकि, इसके साथ मोदी सरकार की प्राथमिकताओं को भी मजबूती से बनाए रखा गया है।
चौहान के कुछ बड़े फैसले इस बदलाव को दर्शाते हैं, जिनमें योजनाओं के बेहतर क्रियान्वयन और व्यापक स्वीकार्यता सुनिश्चित करने के लिए चीजों को बदलाव करना आदि शामिल हैं। हालांकि, आलोचकों का कहना है कि तीसरे कार्यकाल में, एक काम करने वाला और अनुभवी मंत्री होने के बावजूद, मोदी सरकार ने कृषि क्षेत्र के लिए कोई बड़ा या ऐतिहासिक कदम नहीं उठाया है।
आगामी केंद्रीय बजट इसे ऐसा करने का एक और मौका दे सकता है। सूत्रों के मुताबिक, बजट में किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) के तहत ऋण की सीमा को मौजूदा 3,00,000 रुपये से बढ़ाकर 5,00,000 रुपये प्रति किसान किया जा सकता है।
इसके अलावा, कृषि उपकरणों (farm equipment) पर जीएसटी (GST) को कम करने की दिशा में कदम उठाए जा सकते हैं, हालांकि जीएसटी पर निर्णय आमतौर पर काउंसिल द्वारा लिए जाते हैं और यह केंद्रीय बजट के दायरे से बाहर है। स्टार्टअप्स और एग्रीटेक (Agritech) पर सामान्य ध्यान जारी रहने की उम्मीद है, जिसमें एग्रीटेक कंपनियों के लिए एक नए फंड बनाने की चर्चा भी है ताकि उनको और बढ़ावा दिया जा सके।
लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या केंद्रीय बजट 2025 में कृषि अनुसंधान और विकास (R&D) के लिए फंडिंग में किसी प्रकार का बड़ा बदलाव होगा? क्या यह कृषि बजट के कुल हिस्से में अनुसंधान और विकास के खर्चे को बढ़ाने की कोशिश करेगा? जलवायु संकट के दिनों-दिन गंभीर होते जाने के साथ, देश की खेती प्रणाली को भविष्य के लिए तैयार करना भी जरूरी है।
सबसे बड़ी चुनौती यह है कि खाद्य और उर्वरक सब्सिडी (fertiliser subsidies) में बढ़ोतरी की उम्मीद है, क्योंकि मोदी सरकार ने मुफ्त अनाज योजना (free food grains scheme) को अगले पांच साल के लिए बढ़ा दिया है और यूरिया (urea) और डीएपी (DAP) जैसे उर्वरकों की बाजार कीमतों को बढ़ाने से परहेज किया है।
ग्रामीण क्षेत्र के लिए, ग्रामीण आवास (rural housing) और ग्रामीण सड़क योजना (rural roads scheme) के लिए पर्याप्त फंडिंग पर ध्यान केंद्रित रहने की संभावना है। ‘लखपति दीदी’ योजना पर भी विशेष ध्यान दिया जाएगा, क्योंकि यह ग्रामीण परिवारों के लिए बहुआयामी लाभ देती है। ग्रामीण आवास के लिए, केंद्रीय मंत्रिमंडल ने पहले ही अगले पांच वर्षों में 2 करोड़ नए घर बनाने का प्रस्ताव पारित किया है। यह पहले से बनाए गए लगभग 3 करोड़ घरों के अलावा है। नई पात्रता के नियम पहले ही बदले जा चुके हैं और नए लाभार्थियों का सर्वे भी शुरू हो चुका है।