Budget 2025: वित्त वर्ष 2025-26 का बजट तब आ रहा है जब भारत की GDPथोड़ी धीमी हो रही है। इसके चलते बजट में अर्थव्यवस्था के विकास के लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रों को बढ़ावा देने की उम्मीद है, जिसमें खासकर मैन्युफैक्चरिंग (निर्माण) क्षेत्र सबसे महत्वपूर्ण है। मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित करना, वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण से बजट को लेकर पूर्व-बजट परामर्श के दौरान किए गए प्रमुख सुझावों में से एक था। कई अर्थशास्त्रियों ने यह सुझाव दिया कि सरकार को आगामी बजट में औद्योगिक नीति से अलग एक राष्ट्रीय मैन्युफैक्चरिंग नीति लानी चाहिए, खासकर छोटे और मझोले उद्यमों (MSMEs) को ध्यान में रखते हुए।
इसके अलावा, उम्मीद की जा रही है कि बजट वित्तवर्ष 2026 में उत्पादन आधारित प्रोत्साहन योजना (PLI Scheme) के तहत लेबर-इंटेंसिव (labour-intensive) सेक्टर के लिए आवंटन बढ़ाया जा सकता है, ताकि घरेलू मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा मिल सके।
राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय (NSO) द्वारा वित्तवर्ष 25 के लिए 6.4 प्रतिशत GDP विकास का अनुमान, कृषि और मैन्युफैक्चरिंग के क्षेत्र में बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद पर आधारित है, खासकर वित्तीय वर्ष के दूसरे भाग (अक्टूबर-मार्च) में। वित्तवर्ष 25 के पहले हाफ (H1)में मैन्युफैक्चरिंग का विकास 4.5 प्रतिशत हुआ, जबकि NSO के अग्रिम अनुमानों के अनुसार, यह वित्तवर्ष 25 में 5.3 प्रतिशत तक बढ़ने की उम्मीद है, जो मुख्य रूप से घरेलू मांग में सुधार से संभव हो सकता है।
हाल ही में बिजनेस स्टैंडर्ड के BFSI समिट में सरकार के मुख्य आर्थिक सलाहकार वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा था कि देश के मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर के विकास में रुकावट आई थी, क्योंकि कॉरपोरेट्स और बैंकिंग सिस्टम के पास बैलेंस शीट की समस्याएं थीं।
वी. अनंत नागेश्वरन ने कहा था, “अब जब शारीरिक बुनियादी ढांचे में सुधार और व्यापार करने में आसानी बढ़ी है, और कॉरपोरेट्स पूंजी निर्माण में जुटने लगे हैं, तो मैन्युफैक्चरिंग का GDP में हिस्सा बढ़ना चाहिए।”
इसके अलावा, जब से डोनाल्ड ट्रंप की सरकार ने अमेरिका में सत्ता संभाली है, भारत को उम्मीद है कि चीन से व्यापार और निवेश में बदलाव का फायदा उसे मिलेगा। भारत को वैश्विक मूल्य श्रृंखला (global value chain) का हिस्सा बनाने और आत्मनिर्भर बनने के लिए सरकार को मैन्युफैक्चरिंग क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए कदम उठाने होंगे।
टैक्स एक्सपर्ट्स को उम्मीद है कि सरकार अलग-अलग इनपुट्स और उपकरणों पर कस्टम ड्यूटी में छूट दे सकती है, जिससे मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर को मदद मिलेगी। इससे रोजगार बढ़ेंगे, उपभोक्ता मांग में सुधार होगा और निजी निवेश में बढ़ोतरी होगी, जो अर्थव्यवस्था के लिए फायदेमंद साबित होगा।
सीतारमण ने पिछले साल भारतीय उद्योग संघ (CII) के वार्षिक व्यापार शिखर सम्मेलन में अपने संबोधन में कहा था, “मैं यह कहना चाहूंगी कि मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ाना बहुत जरूरी है। हमें अपने उत्पाद निर्माण में अधिक विशेषज्ञता लानी होगी।”