अंतरिम बजट में गुरुवार को पूंजीगत परिव्यय बढ़ाने जाने के प्रस्ताव की घोषणा से भारत की धातु, इमारत सामग्रियों और इंजीनियरिंग कंपनियों के लिए अच्छा संकेत है। यह अनुमान उद्योग के वरिष्ठ अधिकारियों और विश्लेषकों ने जताया है। उद्योग के इन्फ्रास्ट्रक्चर के अनुरूप पूंजीगत परिव्यय प्रस्तावित किया गया है।
आधारभूत ढांचा के तहत धातुओं, विनिर्माण, इंजीनियरिंग और बिल्डिंग सामग्री की मांग बढ़ेगी। इन उद्योगों में से कई कंपनियों ने आने वाले वर्षों में मांग तेजी से बढ़ने के कारण अपनी क्षमताओं में अतिरिक्त विस्तार किया है।
वित्त वर्ष 25 के लिए पूंजीगत परिव्यय का अनुमान 11.11 लाख करोड़ रुपये है और यह वित्त वर्ष 24 के 9.5 लाख करोड़ रुपये के संशोधित अनुमान की तुलना में 17 प्रतिशत अधिक है। इसमें रेल गलियारे, रेलगाड़ी के डिब्बों को बेहतर बनाने और आधारभूत ढांच में खर्च बढ़ने के कारण और इजाफा हुआ।
भारतीय स्टील एसोसिएशन के अध्यक्ष व एएम/एनएस इंडिया के मुख्य कार्याधिकारी दलीप ओम्मन ने कहा, ‘इससे घरेलू स्तर पर स्टील की मांग जबरदस्त बढ़ेगी, निजी निवेश तेजी से बढ़ेगा और रोजगार सृजन होगा।’ टाटा स्टील के मुख्य कार्याधिकारी टीवी नरेंद्र ने कहा कि गांवों में मकानों के विस्तार और तीन रेलवे कॉरिडोर बनने के प्रस्ताव से स्टील की मांग तेजी से बढ़ेगी।
भारत में स्टील की मांग 8 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। इस वृद्धि में खासतौर से योगदान इन्फ्रास्ट्रक्चर ने दिया है। दिग्गज स्टील निर्माताओं ने भारत में स्टील की मांग तेजी से बढ़ने की उम्मीद में अपनी क्षमताओं का विस्तार किया है। उद्योग के जानकारों के अनुसार गुरुवार को स्टील निर्माताओं के अलावा सीमेंट निर्माताओं के लिए भी लाभदायक है।
लिहाजा बजट की यह घोषणा सीमेंट निर्माता कंपनी की विस्तार योजनाओं के अनुकूल है। श्री सीमेंट के चेयरमैन एचएम बांगूर ने कहा, ‘बजट की घोषणाएं सीमेंट की मांग के लिए सकारात्मक दिशा में है। उद्योग अपनी क्षमता का विस्तार कर भविष्य की सीमेंट की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है।’
घरेलू मांग बढ़ने से निर्यात बाजार में आए उतार-चढ़ाव से विनिर्माण उद्योग को सुरक्षा मिलेगी। क्रिसिल रेटिंग लिमिटेड के निदेशक राहुल गुहा ने कहा,’प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) का विस्तार कर दो करोड़ से अधिक घर बनाए जाने पर अन्य विनिर्माण सामग्रियों जैसे सिरामिक और पाइप की मांग का विस्तार होगा।
इससे बिल्डिंग सामग्रियों जैसे द्वितीयक स्टील, सिरामिक, एस्बेस्टस और पीवीसी की मांग बढ़ेगी। यह विशेष रूप से निर्यात पर निर्भर क्षेत्रों की सुरक्षा करेगा। दरअसल, अंतरराष्ट्रीय बाजार में सुस्ती आने का असर सिरामिक बाजार पर पड़ा है।