उद्योग के विशेषज्ञों का कहना है कि पूंजीगत लाभ की सीमा को दस करोड़ रुपये पर सीमित करने से इसका सीधा प्रभाव लक्जरी मकानों की पर पड़ सकता है। वित्त मंत्री ने धारा 54 और 54एफ के तहत आवासीय मकानों में निवेश पर पूंजीगत लाभ से कटौती को 10 करोड़ रुपये करने का प्रस्ताव दिया है।
विशेषज्ञ कहते हैं, चूंकि अल्ट्रा लक्जरी मकान ज्यादातर महानगरों और बड़े शहरों में हैं, इसलिए इस प्रस्ताव से ऐसे घरों के बाजार पर असर पड़ने की संभावना है। ब्रिगेड इंटरप्राइजेज के सीएफओ अतुल गोयल ने कहा, ‘पूंजीगत लाभ की सीमा को अधिकतम दस करोड़ रुपये करने से अल्ट्रा लक्जरी मकानों की मांग पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है।’
गोयल ने कहा कि पहले सभी पूंजीगत लाभ को नए मकान में निवेश किया जा सकता था या पूंजीगत लाभ कर बचाने के लिए सरकारी निर्दिष्ट प्रतिभूतियों में निवेश किया जा सकता था। उन्होंने कहा, ‘अब 10 करोड़ रुपये तक के ही पूंजीगत लाभ का पुनर्निवेश किया जा सकता है। 10 करोड़ रुपये से अधिक का पूंजीगत लाभ कर योग्य होगा।’
सिरिल अमरचंद मंगलदास में पार्टनर कुणाल सवानी कहते हैं कि अचल संपत्ति के अधिग्रहण पर दीर्घावधि पूंजीगत लाभ कर छूट को 10 करोड़ रुपये तक सीमित करना लक्जरी अचल संपत्ति परियोजनाओं के लिए एक प्रमुख अवरोधक है।
सवानी कहते हैं, ‘इन प्रावधानों की मंशा के विपरीत यानी आवास की कमी को कम करने के लिएहै। आवासीय घर के अधिग्रहण पर पूंजीगत लाभ से छूट देने वाले ऐसे प्रावधान अक्सर अमीरों द्वारा प्रमुख आवासीय घरों की बिक्री या अन्य पात्र पूंजीगत संपत्तियों की बिक्री पर अपने लाभ को ऑफसेट करने के लिए उपयोग किए जाते थे।’
वह कहते हैं कि स्टॉक का विकल्प रखने वाले कुछ यूनिकॉर्न प्रमोटर्स और प्रमुख प्रबंधन टीम के सदस्यों ने इन प्रावधानों का लाभ उठाया है और लक्जरी आवासीय संपत्तियों में निवेश किया है। इसके अनुसार, इन प्रथाओं पर अंकुश लगाने के लिए सरकार ने अब इन प्रावधानों के तहत उपलब्ध लाभों को 10 करोड़ रुपये तक सीमित करने का प्रस्ताव दिया है।
इंडिया सोथबी इंटरनैशनल रियल्टी के मुख्य कार्याधिकारी अमित गोयल ने कहा कि धारा 54 और 54 एफ के तहत आवासीय मकानों में निवेश पर पूंजीगत लाभ से कटौती पर प्रस्तावित 10 करोड़ रुपये की सीमा आवास उद्योग के लिए एक बड़ी बाधा हो सकती है। उन्होंने कहा, ‘हम ईमानदारी से सरकार से इस सीमा पर पुनर्विचार करने की अपील करते हैं।’
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एनारॉक प्रॉपर्टी कंसल्टेंट्स में चेयरमैन अनुज पुरी ने कहा, ‘यह (सीमा तय करने का प्रस्ताव) एचएनआई के लिए नकारात्मक प्रतीत होता है क्योंकि पहले ऐसी कोई सीमा नहीं थी। इसका मतलब है कि अगर कोई घर बेचता है और लाभ 10 करोड़ रुपये से अधिक है तो किसी अन्य संपत्ति में निवेश करने पर अधिकतम लाभ 10 करोड़ रुपये तक की छूट होगी।’
हालांकि पुरी कहते हैं कि नए लक्जरी मकानों की बिक्री पर इसका कोई सीधा असर नहीं होगा, लेकिन जिन मकानों की पुनर्बिक्री की जाएगी उस पर कुछ हद तक इसका असर देखने को मिल सकता है।
हीरानंदानी समूह के प्रबंध निदेशक निरंजन हीरानंदानी ने कहा कि प्रस्ताव व्यक्तिगत खरीदारों के लिए समस्याएं पैदा कर सकता है लेकिन मैक्रो मार्केट को प्रभावित नहीं करेगा।