बैंकों की सेहत: NIM, कासा, जमा और ऋण में वृद्धि का विश्लेषण
जब किसी मरीज की हालत गंभीर होने लगती है तब डॉक्टर उसके खून में ऑक्सीजन के स्तर की लगातार जांच करते रहते हैं। पल्स ऑक्सीमीटर पर व्यक्ति के खून में ऑक्सीजन का प्रतिशत दिखने लगता है। डॉक्टर, आमतौर पर किसी स्वस्थ व्यक्ति का रक्तचाप और ब्लड शुगर की जांच कर यह तय करता है कि […]
बैंकिंग साख: मुद्रास्फीति नियंत्रण का वादा पूरा करेंगे दास!
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने तीन दिन की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक के आखिर में एक बार फिर महंगाई को नियंत्रित करने की अपनी प्रतिबद्धता की घोषणा की। अपने बयान में उन्होंने कहा कि मुद्रास्फीति को टिकाऊ आधार पर 4 प्रतिशत के लक्ष्य के अनुरूप लाने के लिए मौद्रिक […]
बैंकिंग साख: दरों पर क्या RBI का रुख बदलेगा?
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दरें-निर्धारित करने वाली संस्था, मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की दिसंबर की बैठक में ब्याज दर या नीतिगत रुख में कोई बदलाव नहीं किया गया था। लगातार पांचवीं बैठक में भी रीपो दर में कोई बदलाव नहीं हुआ और यह 6.5 प्रतिशत पर बनी रही और इसका रुख व्यवस्था में नकदी […]
बैंकिंग साख: राजकोषीय मजबूती की दिशा में बढ़ रहे कदम
वित्त वर्ष 2025 के लिए बीते गुरुवार को पेश किए गए अंतरिम बजट में भारत के ‘चार प्रमुख वर्गो ‘गरीब, महिलाएं, युवा और किसानों’ पर ध्यान देना जारी रहा और सरकार की तरफ से ऐसे संकेत मिले कि उनकी जरूरतों, आकांक्षाओं को पूरा करना और कल्याण करना ही सरकार की प्रमुख प्राथमिकता बनी रहेगी। लेकिन […]
Budget 2024: बजट में बैंकिंग क्षेत्र की कैसी होगी दिशा
केंद्रीय बजट के लिहाज से बैंकिंग की बात करें तब चीजें काफी मुश्किल दिखती हैं। उदाहरण के तौर पर, मैं 29 फरवरी 2000 के बजट का जिक्र कर रहा हूं जब तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सबको हैरान करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 33 प्रतिशत करने की घोषणा […]
बैंकिंग साख: बैंकों का वर्गीकरण चिंता की बात नहीं
दिसंबर के आखिरी कुछ दिनों में फोन कॉल और मेसेज की तादाद अचानक ही बढ़ गई। मुझे भी कई लोगों ने भी चिंतित होकर कॉल और संदेश भेजे। वे जानना चाहते थे कि उनकी पूंजी बैंक में सुरक्षित है या नहीं। आखिर अचानक उनकी व्यग्रता क्यों बढ़ गई? इसका संबंध भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा […]
Opinion: P2P ऋण लेन-देन में खामियां हों दूर
पिछले साल जुलाई में मैंने इसी स्तंभ में लिखा था, ‘इससे पहले कि काफी देर हो जाए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को पी2पी (पीयर टू पीयर) लाइसेंस देने की प्रथा कम करनी चाहिए। कई पी2पी प्लेटफॉर्म जमा लेने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) जैसा काम कर रहे हैं और उधार लेने वालों से बिना […]
बैंकिंग साख: डिजिटल साहूकार….बिना कायदे के कारोबार
कोलकाता की यात्रा के दौरान मैं कुछ पुराने दोस्तों के साथ एक बार में गया। वहां कॉलेज के कुछ छात्र हो-हल्ला करते हुए बीयर पी रहे थे। हमने जिस शांतिपूर्ण माहौल की कल्पना की थी, वहां वैसा माहौल नहीं था। तब मैंने उनसे बात करने की कोशिश की। इनमें से एक ने बताया कि दाम […]
बैंकिंग साख: महंगाई का दम और दर कटौती के कदम
RBI and Policy Rate: बैंकिंग और वित्त पर नव वर्ष की शुरुआत में प्रकाशित होने वाले कॉलम की थीम कुछ इस तरह से होती है- नए साल का रुझान। लेकिन हम इससे पहले पिछले वर्ष का थोड़ा जायजा ले लेते हैं। वर्ष की शुरुआत में 10 वर्षीय बॉन्ड पर प्राप्तियां 7.33 प्रतिशत थीं जो 8 […]
‘डिजिटल दीदी’ से सर्वसुलभ होंगी वित्तीय सेवाएं
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी ने 2005 में ‘वित्तीय समावेशन’ यानी सबके लिए वित्तीय सेवाएं सुलभ कराने जैसा शब्द गढ़ा और उस वक्त से भारत ने इस दिशा में एक लंबा सफर तय किया है। रेड्डी ने वित्त वर्ष 2005-06 (20 अप्रैल, 2005 को जारी) की वार्षिक मौद्रिक नीति के […]