वित्त वर्ष 2024 में 26 सूचीबद्ध बैंकों की शुद्ध गैर-निष्पादित संपत्तियां (NPA) एक प्रतिशत से भी कम दर्ज की गई हैं। यह उपलब्धि हासिल करने वाले बैंकों में 14 निजी, 7 सार्वजनिक क्षेत्र के (PSB) और 5 लघु वित्त बैंक शामिल हैं। इस सूची में देश के शीर्ष तीन बैंक- भारतीय स्टेट बैंक (0.57 %), एचडीएफसी बैंक (0.33%) और आईसीआईसीआई बैंक (0.45%) भी शामिल हैं।
ऐक्सिस बैंक (0.31%), इंडसइंड बैंक लि. (0.57%), कोटक महिंद्रा बैंक (0.34%), आईडीएफसी फर्स्ट बैंक (0.6%), आईडीबीआई बैंक (0.34%), येस बैंक (0.6%), बैंक ऑफ बड़ौदा (0.68%) और पंजाब नैशनल बैंक (0.73%) भी इसी क्लब में शामिल हैं।
इन बैंकों ने यह उपलब्धि बैड लोन की वसूली, इसकी भरपाई के लिए रकम मुहैया कराकर या सुरक्षित रखकर, यहां तक कि बट्टे खाते में डालने जैसे कदम उठाकर हासिल की है। तीनों वर्गों में केवल छह बैंक ही ऐसे हैं, जिनका कुल एनपीए 2 प्रतिशत से कम है।
प्रतिशत के हिसाब से देखें तो सबसे ज्यादा (5.73%) एनपीए पंजाब नैशनल बैंक का है। इसके बाद पंजाब ऐंड सिंध बैंक (5.43%) का नंबर आता है। चार और बैंक ऐसे हैं जिनका एनपीए 4 प्रतिशत से अधिक लेकिन 5 प्रतिशत से कम है। इन बैंकों में बैंक ऑफ इंडिया (4.98%), यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, ईएसएएफ स्मॉल फाइनैंस बैंक लि. (4.76%) और जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक (4.08%) शामिल हैं।
सरकारी बैंकों के मुकाबले निजी बैंक अधिक प्रोविजनिंग कर रहे हैं। वित्त वर्ष 2024 में निजी बैंकों ने 49,116 करोड़ रुपये का प्रोविजन किया है। यह पिछले वर्ष के मुकाबले 19 प्रतिशत अधिक है।
दूसरी ओर, सरकारी बैंकों का प्रोविजन सालाना 37 प्रतिशत तक गिरा है और वित्त वर्ष 2023 में ये 97,029 करोड़ रुपये से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 61,580 करोड़ रुपये पर आ गया। सूचीबद्ध बैंकों का प्रोविजन लगभग 19.5 प्रतिशत कम हुआ है, जो 1.41 लाख करोड़ रुपये से घटकर 1.13 लाख करोड़ रह गया।
वित्त वर्ष 2024 में सभी अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की जमा वृद्धि 13.8 प्रतिशत थी (वित्त वर्ष 2023 में यह 10.2 प्रतिशत पर रही थी), जबकि ऋण वृद्धि 19.9 प्रतिशत दर्ज की गई जो वित्त वर्ष 2023 में 15.8 प्रतिशत थी। लेकिन, यह पैटर्न सभी बैंकों की बैलेंस शीट को नहीं दर्शाता है।
एचडीएफसी बैंक (HDFC Bank) का ही उदाहरण लें। बीते वित्त वर्ष में बैंक की जमा वृद्धि 26.36 प्रतिशत दर्ज की गई थी जबकि ऋण वृद्धि 56.68 प्रतिशत थी। यह परिणाम एचडीएफसी के बैंक में विलय के कारण सामने आया था।
बड़े निजी बैंकों में इंडसइंड बैंक रहा जिसकी जमा (4.28%) और ऋण (4.97%) दोनों में ही कम वृद्धि देखने को मिली। आईडीबीआई बैंक की जमा वृद्धि 8.67 प्रतिशत रही जबकि उसने ऋण में 16.03 प्रतिशत की वृद्धि दर्शायी। येस बैंक ने स्थिति को पूरी तरह उलट दिया है। उसकी जमा वृद्धि 22.47 रही जबकि ऋण वृद्धि 12.07 प्रतिशत रही।
यदि लघु वित्तीय बैंकों को छोड़ दें तो वित्त वर्ष 2024 में आईडीएफसी फर्स्ट बैंक ने सबसे ज्यादा जमा (38.68%) और ऋण (25.13%) दर्ज किया है। सरकार के स्वामित्व वाले 12 में से छह बैंकों ने जमा मद में एक अंक में वृद्धि दर्शायी है। इस समूह में शामिल पंजाब ऐंड सिंध बैंक अकेला ऐसा बैंक है जिसकी जमा और ऋण दोनों ही एक अंक में आगे बढ़े हैं। निजी क्षेत्र में इंडसइंड बैंक और तमिलनाड मर्केंटाइल बैंक का प्रदर्शन भी पंजाब ऐंड सिंध बैंक जैसा ही रहा है।
सभी बैंक जमा एकत्र करने के लिए संघर्ष करते दिख रहे हैं। यूको बैंक को छोड़ अन्य बैंक कम लागत में चालू और बचत खाते में बेहतर वृद्धि दर्ज करने में नाकाम रहे। यूको बैंक ने वित्त वर्ष 2024 में चालू और बचत खाता (कासा) मद में 39.25 प्रतिशत की वृद्धि दर्शायी। वित्त वर्ष 2023 में इस मद में 37.82 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई थी। येस बैंक ने भी अपनी सालाना वृद्धि दर को बरकरार रखा है, जो वित्त वर्ष 2024 में 30.9 और इससे पहले के वर्ष में 30.8 प्रतिशत पर रही। विशेष यह कि सभी बैंकों के कासा मद में गिरावट आई है।
एचडीएफसी बैंक की निम्न लागत वाला जमा पोर्टफोलियो वृद्धि वित्त वर्ष 2023 के 44.4 प्रतिशत के स्तर से गिरकर वित्त वर्ष 2024 में 38.2 प्रतिशत पर आ गई। उसकी इस गिरावट का कारण भी विलय को ही माना जा रहा है। अन्य बैंकों में ऐक्सिस बैंक की कासा वृद्धि में भी कमी देखने को मिली है, जो वित्त वर्ष 2023 में 47 प्रतिशत से घटकर वित्त वर्ष 2024 में 43 प्रतिशत पर आ गई।
यही हाल आईसीआईसीआई बैंक का रहा, जिसकी कासा वृद्धि 44.4 प्रतिशत से 38.2 प्रतिशत पर आ गिरी। सभी सूचीबद्ध बैंकों में केवल दो निजी और दो सरकारी बैंकों ने ही वित्त वर्ष 2024 में 50 प्रतिशत से अधिक कासा वृद्धि दर्शायी है, लेकिन इन चारों बैंकों की वृद्धि दर में कमी दर्ज की गई है।
इनमें बैंक ऑफ महाराष्ट्र (वित्त वर्ष 2024 में 52.73% और वित्त वर्ष 2023 में 53.38%), जम्मू ऐंड कश्मीर बैंक (50.51% और 54.1%), आईडीबीआई बैंक (50.43% और 53.02%) तथा सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया (50.02% और 50.39%) हैं।
परिणामस्वरूप अधिकांश बैंकों का शुद्ध ब्याज मार्जिन (एनआईएम) भी घटा है। इनमें भी एचडीएफसी बैंक की गिरावट सबसे अधिक रही है, वित्त वर्ष 23 में 4.1 प्रतिशत थी और वित्त वर्ष 24 में गिर कर यह 3.44 प्रतिशत पर आ गई। इस दौरान एसबीआई का शुद्ध ब्याज मार्जिन 3.58 से 3.3 प्रतिशत और आईसीआईसीआई बैंक का 4.9 से गिरकर 4.4 पर आ गया।
केवल बंधन बैंक की एनआईएम वित्त वर्ष 24 में 7.6 प्रतिशत पर रही, जो एक साल पहले 7.3 प्रतिशत पर थी। छोटे वित्त बैंकों को छोड़ दें तो 6 प्रतिशत से भी अधिक एनआईएम दर्ज करने वाला बैंक आईडीएफसी फर्स्ट बैंक रहा, यद्यपि गिरावट इसकी वृद्धि दर में भी आई है, जो वित्त वर्ष 23 की 6.41 से गिरकर 6.35 प्रतिशत दर्ज की गई।
छोटे वित्त बैंकों समेत सभी सूचीबद्ध बैंकों ने वित्त वर्ष 24 में 3.20 लाख करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्ज किया है, जो एक वर्ष पहले के मुनाफे से 38.5 प्रतिशत अधिक है। बैंकों का यह अब तक का सबसे अधिक मुनाफा है।
सबसे अधिक लाभ में एसबीआई रहा, जिसने 61.077 करोड़ रुपये का शुद्ध मुनाफा दर्शाया। इसके बाद एचडीएफसी बैंक का शुद्ध मुनाफा 60.812 करोड़ रुपये रहा। वित्त वर्ष 24 में 10,000 करोड़ रुपये से अधिक मुनाफा दर्ज करने वाले अन्य बैंकों में आईसीआईसीआई बैंक (40.888 करोड़ रुपये), ऐक्सिस बैंक (24,862 करोड़ रुपये), बैंक ऑफ बड़ौदा बैंक (17,789 करोड़ रुपये), केनरा बैंक (14,554 करोड़ रुपये), कोटक महिंद्रा बैंक (13,782 करोड़ रुपये) तथा यूनियन बैंक ऑफ इंडिया (13,648 करोड़ रुपये) हैं।
बैंकों के प्रदर्शन में यह सकारात्मक माहौल कब तक बना रहेगा? जब तक बैंक फुटकर ऋण खास कर पर्सनल ऋण के मामले में सावधानी बरतते रहेंगे, उन्हें कोई दिक्कत नहीं होगी। बैंकिंग क्षेत्र की गतिविधियों पर बैंक नियामक करीब से निगाह बनाए हुए है।