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लेखक : तमाल बंद्योपाध्याय

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: राजकोषीय मजबूती की दिशा में बढ़ रहे कदम

वित्त वर्ष 2025 के लिए बीते गुरुवार को पेश किए गए अंतरिम बजट में भारत के ‘चार प्रमुख वर्गो ‘गरीब, महिलाएं, युवा और किसानों’ पर ध्यान देना जारी रहा और सरकार की तरफ से ऐसे संकेत मिले कि उनकी जरूरतों, आकांक्षाओं को पूरा करना और कल्याण करना ही सरकार की प्रमुख प्राथमिकता बनी रहेगी। लेकिन […]

आज का अखबार, लेख

Budget 2024: बजट में बैंकिंग क्षेत्र की कैसी होगी दिशा

केंद्रीय बजट के लिहाज से बैंकिंग की बात करें तब चीजें काफी मुश्किल दिखती हैं। उदाहरण के तौर पर, मैं 29 फरवरी 2000 के बजट का जिक्र कर रहा हूं जब तत्कालीन वित्त मंत्री यशवंत सिन्हा ने सबको हैरान करते हुए सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में सरकार की हिस्सेदारी घटाकर 33 प्रतिशत करने की घोषणा […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: बैंकों का वर्गीकरण चिंता की बात नहीं

दिसंबर के आखिरी कुछ दिनों में फोन कॉल और मेसेज की तादाद अचानक ही बढ़ गई। मुझे भी कई लोगों ने भी चिंतित होकर कॉल और संदेश भेजे। वे जानना चाहते थे कि उनकी पूंजी बैंक में सुरक्षित है या नहीं। आखिर अचानक उनकी व्यग्रता क्यों बढ़ गई? इसका संबंध भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) द्वारा […]

आज का अखबार, लेख

Opinion: P2P ऋण लेन-देन में खामियां हों दूर

पिछले साल जुलाई में मैंने इसी स्तंभ में लिखा था, ‘इससे पहले कि काफी देर हो जाए भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) को पी2पी (पीयर टू पीयर) लाइसेंस देने की प्रथा कम करनी चाहिए। कई पी2पी प्लेटफॉर्म जमा लेने वाली गैर बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) जैसा काम कर रहे हैं और उधार लेने वालों से बिना […]

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बैंकिंग साख: डिजिटल साहूकार….बिना कायदे के कारोबार

कोलकाता की यात्रा के दौरान मैं कुछ पुराने दोस्तों के साथ एक बार में गया। वहां कॉलेज के कुछ छात्र हो-हल्ला करते हुए बीयर पी रहे थे। हमने जिस शांतिपूर्ण माहौल की कल्पना की थी, वहां वैसा माहौल नहीं था। तब मैंने उनसे बात करने की कोशिश की। इनमें से एक ने बताया कि दाम […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: महंगाई का दम और दर कटौती के कदम

RBI and Policy Rate: बैंकिंग और वित्त पर नव वर्ष की शुरुआत में प्रकाशित होने वाले कॉलम की थीम कुछ इस तरह से होती है- नए साल का रुझान। लेकिन हम इससे पहले पिछले वर्ष का थोड़ा जायजा ले लेते हैं। वर्ष की शुरुआत में 10 वर्षीय बॉन्ड पर प्राप्तियां 7.33 प्रतिशत थीं जो 8 […]

आज का अखबार, लेख

‘डिजिटल दीदी’ से सर्वसुलभ होंगी वित्तीय सेवाएं

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पूर्व गवर्नर वाई वी रेड्डी ने 2005 में ‘वित्तीय समावेशन’ यानी सबके लिए वित्तीय सेवाएं सुलभ कराने जैसा शब्द गढ़ा और उस वक्त से भारत ने इस दिशा में एक लंबा सफर तय किया है। रेड्डी ने वित्त वर्ष 2005-06 (20 अप्रैल, 2005 को जारी) की वार्षिक मौद्रिक नीति के […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: बैंकिंग जगत में सुधार लेकिन कमियां भी बरकरार

पिछले वित्त वर्ष के दौरान देश के 32 सूचीबद्ध निजी और सरकारी बैंकों (PSB) का संयुक्त शुद्ध लाभ 40.56 प्रतिशत बढ़कर 2.29 लाख करोड़ रुपये के स्तर के करीब पहुंच गया। इसके साथ ही निजी और सरकारी बैंकों का शुद्ध मुनाफा 1 लाख करोड़ रुपये के आंकड़े को पार कर गया और कुछ ने अब […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: रिजर्व बैंक अपनी चुनौतियों के साथ कितना सहज?

मशहूर बल्लेबाज रहे राहुल द्रविड़ ने पिछले महीने ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ खेले गए विश्व कप 2023 फाइनल में भारत की हार के लिए अहमदाबाद के नरेंद्र मोदी स्टेडियम में खराब और धीमी पिच को जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा कि टीम प्रबंधन को जैसी उम्मीद थी उस हिसाब से पिच से वह टर्न नहीं मिला और […]

आज का अखबार, लेख

बैंकिंग साख: दरों में न करें बदलाव की कोई उम्मीद

वित्त वर्ष 2024 की सितंबर तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था में 7.6 प्रतिशत की वृद्धि हुई जिसने विश्लेषकों के अनुमानों को बड़े अंतर से मात दे दी और इस कथ्य की पुष्टि कर दी कि भारत वास्तव में दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था है। यह भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की दूसरी तिमाही के […]

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