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लेखक : तमाल बंद्योपाध्याय

आज का अखबार, लेख

बैंकों में भरोसे की नई शुरुआत: बिना दावे वाली रकम लौटाने की कवायद तेज

वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग के सचिव नागराजू मद्दिराला ने सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के प्रमुखों से 28 अगस्त को कहा कि वे ‘डीईएएफ’ खातों में पड़े जमाकर्ताओं के पैसे वापस करने के लिए जिलों में ब्लॉक स्तर के कार्यक्रम और एक राष्ट्रव्यापी अभियान शुरू करें। डीईएएफ दरअसल जमाकर्ता शिक्षा एवं जागरुकता निधि है। […]

आज का अखबार, लेख

मॉनिटरी ट्रांसमिशन का नया तरीका: उधारी में सफलता का रोडमैप

विभिन्न परिपक्वता अवधि वाले सभी बॉन्ड (सरकारी प्रतिभूतियां, राज्य विकास ऋण और कॉरपोरेट बॉन्ड) पर यील्ड बढ़ती जा रही हैं। इसके साथ, सरकारी प्रतिभूतियों और एसडीएल एवं कॉरपोरेट बॉन्ड के बीच यील्ड का अंतर (स्प्रेड) भी बढ़ता जा रहा है।खबरों के अनुसार पिछले सप्ताह कम से कम दो कंपनियों आवासीय एवं शहरी विकास निगम लिमिटेड […]

आज का अखबार, लेख

प्रधानमंत्री जन धन योजना: फाइनेंशियल इंक्लूजन की क्रांति और पहले दशक की अन्य उपलब्धियां

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने 6 अगस्त को मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद मीडिया के साथ बातचीत में नागरिकों के हित और कल्याण की बात की, जिसमें ‘पिरामिड के निचले स्तर’ पर रहने वाले लोग भी शामिल हैं। उन्होंने कहा, ‘आरबीआई के लिए, भारत के नागरिकों के हित और कल्याण सबसे […]

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कर्णाटका बैंक की कहानी: 101वीं वर्षगांठ के जश्न से इस्तीफों तक, अहंकार और संस्कृतियों का टकराव

कर्णाटका बैंक ने 18 फरवरी, 2025 को अपनी 101वीं वर्षगांठ बड़े धूमधाम से मनाई और इस कार्यक्रम में मानवतावादी और आध्यात्मिक शिक्षक मधुसूदन साई का उद्बोधन हुआ। इस अवसर पर कर्नाटक संगीत कार्यक्रम का आयोजन भी कराया गया। इस मौके पर बैंक के चेयरमैन पी प्रदीप कुमार, प्रबंध निदेशक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) श्रीकृष्णन […]

आज का अखबार, लेख

माइक्रोफाइनैंस उद्योग की नई चुनौतियां: टिके रहने को फंड की जरूरत, बैंकों को कदम उठाने होंगे

भारत में सूक्ष्म वित्त उद्योग (माइक्रोफाइनैंस) कुछ समय पहले तक फंसे कर्ज की बढ़ती तादाद की समस्या से जूझ रहा था। अभी इस समस्या पर काबू पाया ही गया था कि एक और बड़ी चुनौती सामने आ गई है। कुछ छोटे माइक्रोफाइनैंस ऋणदाताओं को बैंकों से लिए गए कर्ज चुकाने में परेशानी हो रही है। […]

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नीतिगत स्थिरता बरकरार: क्या यह रिजर्व बैंक की दर कटौती चक्र का अंत है?

फरवरी से जून के दरमियान तीन चरणों में नीतिगत रीपो दर में एक फीसदी की कटौती करने के बाद रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को दरों को 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। ‘तटस्थ’ मौद्रिक नीति संबंधी रुख को भी अपरिवर्तित रखा गया। तीन दिवसीय बैठक के […]

आज का अखबार, लेख

अगस्त में मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद मौद्रिक नीति में दर कटौती की बजाय स्थिरता की संभावना

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू हो गई है। अर्थशास्त्री एवं बाजार के जानकार इस मौद्रिक नीति से जुड़ी दो महत्त्वपूर्ण बातों पर एक राय रखते हैं। पहली बात, आरबीआई इस वर्ष के लिए मुद्रास्फीति संबंधी अपने अनुमानों में कमी करेगा और दूसरी बात यह कि आर्थिक वृद्धि से […]

आज का अखबार, लेख

असहनीय दबाव, अपेक्षाओं का बोझ: सरकारी बैंकों में तनाव और अवसाद का माहौल

जब लक्ष्य हासिल करना मुश्किल लगता है और वरिष्ठ प्रबंधन तथा ग्राहक दोनों अधीर होते हैं ऐसे में लगातार डर का माहौल बने रहना लाजिमी है और हर बैंकर में इस तरह के प्रतिकूल माहौल में भी टिके रहने और कामयाब होने की हिम्मत नहीं होती। यह एक ऐसी कहानी है जो प्रमाणिक नहीं है। […]

आज का अखबार, लेख

RBI की चुनौतियाँ: तंत्र में कितनी हो नकदी — उपयुक्त, पर्याप्त या बहुत अधिक?

सैमुअल टेलर कॉलरिज की एक कविता ‘द राइम ऑफ द ऐन्शंट मैरनर’ की कुछ पंक्तियों में नाविकों की व्यथा का जिक्र है कि वे समुद्र के बीच होते हुए भी प्यास से मर रहे हैं क्योंकि उनके चारों ओर खारा पानी है। आजकल अगर आप देनदारियों का प्रबंधन करने वाले वरिष्ठ बैकरों के केबिन की […]

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सरकारी बैंक के कार्यकारी निदेशक की पदावनति का दिलचस्प मामला

गत 24 जून को वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने एक अधिसूचना जारी की: ‘केंद्र सरकार वित्तीय सेवा विभाग की अधिसूचना क्रमांक 4/3/2023-बीओ.1 दिनांक 27 मार्च 2024 के तहत यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक (ईडी) के रूप में ‘ए’ (नाम गोपनीय) की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द करती है और उन्हें […]

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