फरवरी से जून के दरमियान तीन चरणों में नीतिगत रीपो दर में एक फीसदी की कटौती करने के बाद रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को दरों को 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। ‘तटस्थ’ मौद्रिक नीति संबंधी रुख को भी अपरिवर्तित रखा गया। तीन दिवसीय बैठक के बाद एमपीसी ने ये दोनों निर्णय सर्वसम्मति से लिए।
रिजर्व बैंक ने जून में नीतिगत दरों में आधा फीसदी की कटौती के बाद अपने रुख को ‘समायोजन’ से ‘तटस्थ’ कर दिया था। बुधवार को उसने 2025-26 के लिए अपने सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) वृद्धि के अनुमान को भी 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रहने दिया। लेकिन वर्ष के लिए उपभोक्ता मूल्य सूचकांक (सीपीआई) आधारित मुद्रास्फीति दर के अपने अनुमान को उसने 3.7 फीसदी से घटाकर 3.1 फीसदी कर दिया। जून में इसने इसे 4 फीसदी से घटाकर 3.7 फीसदी कर दिया था।
गवर्नर ने अपने बयान में कहा कि वर्तमान वृहद आर्थिक स्थिति, दृष्टिकोण और अनिश्चितताओं के कारण वर्तमान नीतिगत दर को जारी रखने तथा ऋण बाजार और व्यापक अर्थव्यवस्था में पहले हुई दर कटौती के असर देखने के लिए प्रतीक्षा करने की आवश्यकता है।
मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद 10 वर्ष के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 9 आधार अंक बढ़कर बुधवार को 6.42 फीसदी हो गई। ऐसा इस नजरिये के कारण हुआ कि नरमी का चक्र शायद समाप्त हो गया है। डॉलर के बरअक्स रुपये में थोड़ी मजबूती आई और यह 87.73 के स्तर पर पहुंच गया। इक्विटी बाजार में भी मामूली बदलाव ही हुआ और निफ्टी 50 अंत में 24, 574.20 के स्तर पर बंद हुआ। यह पिछली बंदी से महज0.3 फीसदी कम था। जून की नीति के पहले 10 वर्ष के सरकारी बॉन्ड की यील्ड 6.19 फीसदी थी और एक डॉलर का मूल्य 85.63 रुपये था।
खाद्य कीमतों के कारण खुदरा मुद्रास्फीति की दर वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही में रिजर्व बैंक के अनुमानों से कम रही लेकिन तथाकथित मुख्य मुद्रास्फीति (गैर खाद्य, गैर तेल मुद्रास्फीति) 4 फीसदी के आसपास बनी रही। ताजा अनुमानों की बात करें तो मुख्य मुद्रास्फीति की दर इस वर्ष 4 फीसदी के स्तर के ऊपर बनी रह सकती है लेकिन खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित समग्र मुद्रास्फीति वित्त वर्ष 2026 में 3.1 फीसदी रहने का अनुमान है। यह दूसरी तिमाही में से 2.1 फीसदी, तीसरी तिमाही में 3.1 फीसदी और चौथी तिमाही में 4.4 फीसदी रह सकती है। वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही में खुदरा मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति की दर के 4.9 फीसदी रहने का अनुमान है।
वृद्धि की बात करें तो रिजर्व बैंक के समक्ष कई अनिश्चितताएं हैं। शुल्क दरों में इजाफे से लेकर व्यापार वार्ताओं और भूराजनीतिक तनावों तक अनेक अनिश्चितताएं हैं। इसके बावजूद उसने वित्त वर्ष 26 के वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमानों को 6.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखा है। पहली तिमाही में 6.5 फीसदी, दूसरी तिमाही में 6.7 फीसदी, तीसरी तिमाही में 6.6 फीसदी और चौथी तिमाही में 6.3 फीसदी का अनुमान जताया गया। वित्त वर्ष 27 की पहली तिमाही के लिए वास्तविक जीडीपी वृद्धि अनुमान 6.6 फीसदी है। अप्रैल में रिजर्व बैंक ने वित्त वर्ष 26 की जीडीपी वृद्धि के अनुमानों को 6.7 फीसदी से कम करके 6.5 फीसदी कर दिया था।
रिजर्व बैंक ने नकदी प्रबंधन में लचीला रुख अपनाए रखने की बात कही। उसकी योजना बैंकिंग व्यवस्था में पर्याप्त नकदी उपलब्ध कराने की है ताकि अर्थव्यवस्था की मांग को पूरा किया जा सके और मुद्रा और ऋण बाजारों में पिछली दरों का असर सुनिश्चित किया जा सके।
बैंकों के नकद आरक्षित अनुपात यानी सीआरआर में एक फीसदी की कमी की जानी है जिसे 6 सितंबर से 6 नवंबर के बीच चार चरणों में लागू किया जाएगा। इससे व्यवस्था में 2.5 लाख करोड़ रुपये की राशि आएगी। सीआरआर वह राशि है जिसे वाणिज्यिक बैंक केंद्रीय बैंक के पास रखते हैं। उन्हें इस राशि पर कोई ब्याज नहीं मिलता है। अगर ऋण मांग में कोई भारी उछाल नहीं आती है तो हम केंद्रीय बैंक से उम्मीद कर सकते हैं कि वह व्यवस्था से अतिरिक्त नकदी की निकासी के लिए नीलामी जारी रखे।
अब तक तो सब ठीक लग रहा है लेकिन आगे क्या? एमपीसी आने वाले आंकड़ों और उभरते घरेलू वृद्धि-मुद्रास्फीति गणित पर नजर रखेगा ताकि समुचित मौद्रिक नीति पथ तैयार किया जा सके। रिजर्व बैंक ‘आने वाले आंकड़ों और वृद्धि-मुद्रास्फीति गतिशीलता की दिशा के आधार पर एक सुविधाजनक मौद्रिक नीति प्रदान करने में सक्रिय रहेगा।’
शुल्क दरों को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है। एक फीसदी की कटौती का पूरा असर अभी देखा जाना है। इस बीच अगस्त के अंत तक वित्त वर्ष 26 की पहली तिमाही की जीडीपी वृद्धि दर आ जाएगी। कुछ अर्थशास्त्री मान रहे थे कि नीतिगत दर में 25 आधार अंकों की कटौती हो सकती है लेकिन ऐसा नहीं हुआ। क्या आगे चलकर ऐसा होगा? अगर हां तो कब? ऐसा तभी हो सकता है जबकि वृद्धि में भारी गिरावट आए। गवर्नर के वक्तव्य में यह नहीं कहा गया है कि मौद्रिक नरमी की बहुत सीमित गुंजाइश थी लेकिन कुल मिलाकर नीति का स्वर उतना नरम नहीं था जितनी कइयों ने उम्मीद की होगी।
खुदरा मुद्रास्फीति दर में इजाफा होने की उम्मीद है और वित्त वर्ष 26 की चौथी तिमाही तथा उसके बाद यह 4 फीसदी से ऊपर जा सकती है। ऐसा तथाकथित आधार प्रभाव के चलते तथा पिछली नीतिगत दर कटौतियों के कारण मांग में इजाफे के चलते हो सकता है। नीतिगत दर में नरम मुद्रास्फीति के अनुमान से बनी गुंजाइश का इस्तेमाल पहले ही कर लिया गया था और दरों में कटौती को आगे बढ़ाया गया था। फिलहाल, दरों में कटौती का काम पूरा हो गया है। अक्टूबर में कटौती, जिसके बारे में कई लोग अभी भी अनुमान लगा रहे हैं, निश्चित नहीं है। बेशक, अगर वृद्धि दर में गिरावट आती है, तो हालात अलग से होंगे।
(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के वरिष्ठ सलाहकार हैं)