नीतिगत स्थिरता बरकरार: क्या यह रिजर्व बैंक की दर कटौती चक्र का अंत है?
फरवरी से जून के दरमियान तीन चरणों में नीतिगत रीपो दर में एक फीसदी की कटौती करने के बाद रिजर्व बैंक की छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) ने बुधवार को दरों को 5.5 फीसदी पर अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया। ‘तटस्थ’ मौद्रिक नीति संबंधी रुख को भी अपरिवर्तित रखा गया। तीन दिवसीय बैठक के […]
अगस्त में मुद्रास्फीति में गिरावट के बावजूद मौद्रिक नीति में दर कटौती की बजाय स्थिरता की संभावना
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की बैठक शुरू हो गई है। अर्थशास्त्री एवं बाजार के जानकार इस मौद्रिक नीति से जुड़ी दो महत्त्वपूर्ण बातों पर एक राय रखते हैं। पहली बात, आरबीआई इस वर्ष के लिए मुद्रास्फीति संबंधी अपने अनुमानों में कमी करेगा और दूसरी बात यह कि आर्थिक वृद्धि से […]
असहनीय दबाव, अपेक्षाओं का बोझ: सरकारी बैंकों में तनाव और अवसाद का माहौल
जब लक्ष्य हासिल करना मुश्किल लगता है और वरिष्ठ प्रबंधन तथा ग्राहक दोनों अधीर होते हैं ऐसे में लगातार डर का माहौल बने रहना लाजिमी है और हर बैंकर में इस तरह के प्रतिकूल माहौल में भी टिके रहने और कामयाब होने की हिम्मत नहीं होती। यह एक ऐसी कहानी है जो प्रमाणिक नहीं है। […]
RBI की चुनौतियाँ: तंत्र में कितनी हो नकदी — उपयुक्त, पर्याप्त या बहुत अधिक?
सैमुअल टेलर कॉलरिज की एक कविता ‘द राइम ऑफ द ऐन्शंट मैरनर’ की कुछ पंक्तियों में नाविकों की व्यथा का जिक्र है कि वे समुद्र के बीच होते हुए भी प्यास से मर रहे हैं क्योंकि उनके चारों ओर खारा पानी है। आजकल अगर आप देनदारियों का प्रबंधन करने वाले वरिष्ठ बैकरों के केबिन की […]
सरकारी बैंक के कार्यकारी निदेशक की पदावनति का दिलचस्प मामला
गत 24 जून को वित्त मंत्रालय के वित्तीय सेवा विभाग ने एक अधिसूचना जारी की: ‘केंद्र सरकार वित्तीय सेवा विभाग की अधिसूचना क्रमांक 4/3/2023-बीओ.1 दिनांक 27 मार्च 2024 के तहत यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के कार्यकारी निदेशक (ईडी) के रूप में ‘ए’ (नाम गोपनीय) की नियुक्ति को तत्काल प्रभाव से रद्द करती है और उन्हें […]
बैंकिंग साख: डिजिटल भुगतान- UPI, AePS और PPI से मिल रहा आर्थिक सशक्तिकरण को बल
भारतीय रिजर्व बैंक ने जून के आखिरी हफ्ते में आधार के जरिये भुगतान प्रणाली (एईपीएस) को मजबूत करने के दिशानिर्देश जारी किए। हम सब यूपीआई (यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस) को तो जानते हैं मगर एईपीएस क्या है? यह यूपीआई का बड़ा भाई है, जिसे केंद्र सरकार यूपीआई से पांच साल पहले 2011 में लाई थी। बैंक […]
बेमिसाल 70 साल: भारत की आर्थिक प्रगति का प्रतिबिंब रहा है SBI
देश का सबसे बड़ा कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) 1 जुलाई को अपना 70वां स्थापना दिवस मना रहा है। एसबीआई को इस अवसर पर बहुत शुभकामनाएं! भारतीय अर्थव्यवस्था का एक मजबूत स्तंभ और परिसंपत्ति के आधार पर दुनिया के शीर्ष 50 बैंकों में शामिल एकमात्र भारतीय बैंक एसबीआई देश के हर तीन व्यक्तियों में एक […]
बैंकिंग साख: मुनाफे की पटरी पर लौटे बैंक, अधिकांश की कमाई बढ़ी; मगर चुनौतियां बरकरार
चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही अगले सप्ताह समाप्त होने वाली है। ऐसे में वक्त है कि हम इस बात पर नज़र डालें कि वित्त वर्ष 2024-25 की आखिरी तिमाही यानी जनवरी-मार्च 2025 में निजी और सरकारी बैंकों का प्रदर्शन कैसा रहा। इस दौरान सात निजी और एक सरकारी बैंक को छोड़कर सभी का परिचालन […]
बैंकिंग साख: Silence, sound, action: केन्द्रीय बैंकिंग की कामयाबी के लिए क्या है जरूरी?
करीब दशक भर पहले सितंबर 2015 में भारतीय रिजर्व बैंक ने नीतिगत रीपो दर में 50आधार अंकों की कटौती की थी। यह अनुमान से दोगुनी कटौती थी। यह तीन साल की सबसे बड़ी कटौती थी और इसके बाद रीपो दर घटकर 6.75 फीसदी रह गई। यह साढ़े चार सालों का न्यूनतम स्तर था। मौद्रिक नीति […]
सतर्कता जांच: सरकारी बैंकरों के सिर पर लटकती तलवार
‘सतर्कता’ सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों (पीएसबी) के कर्मचारियों के लिए एक भयावह शब्द है। ऐसे भी उदाहरण हैं जहां उच्चाधिकारी इस भय का दुरुपयोग करते हैं। गत वर्ष राजस्थान में एक सरकारी बैंक के मुख्य प्रबंधक को सेवानिवृत्ति के एक दिन पहले नोटिस दिया गया। इसमें उन पर 2022 में एक रियल एस्टेट परियोजना की […]