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माइक्रोफाइनैंस उद्योग की नई चुनौतियां: टिके रहने को फंड की जरूरत, बैंकों को कदम उठाने होंगे

यह सेक्टर सुधार के लिए तैयार है, लेकिन कारोबार जारी रखने के लिए इसे पूंजी की जरूरत है। अगर बैंक अपनी तिजोरी के दरवाजे नहीं खोलते तो हालात और बिगड़ जाएंगे।

Last Updated- August 14, 2025 | 11:05 PM IST
microfinance

भारत में सूक्ष्म वित्त उद्योग (माइक्रोफाइनैंस) कुछ समय पहले तक फंसे कर्ज की बढ़ती तादाद की समस्या से जूझ रहा था। अभी इस समस्या पर काबू पाया ही गया था कि एक और बड़ी चुनौती सामने आ गई है। कुछ छोटे माइक्रोफाइनैंस ऋणदाताओं को बैंकों से लिए गए कर्ज चुकाने में परेशानी हो रही है। संभव है कि इनमें से कुछ ने भुगतान चूक भी कर दिया हो। चूंकि यह उद्योग पहले से ही चुनौतियों का सामना कर रहा है इसलिए कुछ बैंकों ने उन्हें नया कर्ज देना बंद कर दिया है।

जब पूंजी की कमी होती है तब माइक्रोफाइनैंस के क्षेत्र में काम करने वाली गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी-एमएफआई) के लिए अपने ऋण का दायरा बढ़ाने में मुश्किल होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि उन्हें नया ऋण लेने के लिए सबसे पहले अपने पुराने कर्ज चुकाने होते हैं। अगर ऐसा नहीं होता है तो उन्हें नया ऋण नहीं मिल सकता है। इस वजह से वसूली पर भी बुरा असर पड़ सकता है। ऐसी स्थिति में नए कर्ज के लिए ये कंपनियां अपने मौजूदा ग्राहकों से मिलने वाले भुगतान पर निर्भर होती हैं। जब ग्राहक भुगतान नहीं कर पाते तब इन कंपनियों के पास पैसे की कमी हो जाती है और वे चूककर्ता बन जाती हैं।
माइक्रोफाइनैंस क्षेत्र में काम करने वाली एनबीएफसी-एमएफआई कंपनियां अपने कुल कर्ज में से 40 फीसदी तक गैर-सूक्ष्म ऋण दे सकती हैं जबकि सामान्य एनबीएफसी 25 फीसदी तक ऋण, छोटे ग्राहकों को दे सकते हैं। इन दोनों तरह की कंपनियों के लिए पैसे का मुख्य स्रोत बैंक ही होते हैं।

उद्योग के अनुमान बताते हैं कि वित्त वर्ष 2024-25 में, एनबीएफसी-एमएफआई को बैंकों और अन्य वित्तीय संस्थाओं से ग्राहकों को आगे कर्ज देने के लिए लगभग 57,000 करोड़ रुपये मिले। यह वित्त वर्ष 2024 की तुलना में करीब 38 फीसदी कम है। बड़े एमएफआई को अपने कर्ज का 82 फीसदी बैंकों से मिला जबकि मझोले और छोटे एमएफआई को क्रमशः 54 फीसदी और 28 फीसदी पूंजी बैंकों से मिली। वित्त वर्ष 2024 की तुलना में यह लगभग 38 फीसदी कम था। बड़े एमएफआई को 82 फीसदी कर्ज बैंकों से मिला जबकि मध्यम और छोटे एमएफआई को बैंकों से क्रमशः 54 फीसदी और 28 फीसदी पूंजी मिली।

दिसंबर 2024 तक, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के पास 9,291 अलग-अलग तरह के एनबीएफसी पंजीकृत थे। इनमें से 95 एमएफआई-एनबीएफसी हैं जिनमें 26 को मध्य-स्तरीय मध्यस्थ और 69 को निम्न-स्तरीय के रूप में वर्गीकृत किया गया है। एक मध्य-स्तरीय इकाई की संपत्ति का आकार कम से कम 1,000 करोड़ रुपये होता है।

पिछले एक साल में, एमएफआई का ऋण पोर्टफोलियो घट गया है जिसमें बैंकों सहित सभी तरह के वित्तीय मध्यस्थों द्वारा दिए गए छोटे ऋण शामिल हैं। आमतौर पर, छोटे ऋण के पीछे कोई गारंटी नहीं होती। जहां एक तरफ यूनिवर्सल या पूर्ण बैंक और लघु वित्त बैंक अब सुरक्षित ऋण पर ज्यादा ध्यान दे रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ एमएफआई-एनबीएफसी अपने ऋण देना कम कर रहे हैं।

क्रेडिट ब्यूरो सीआरआईएफ हाई मार्क क्रेडिट इन्फॉर्मेशन सर्विसेज लिमिटेड के आंकड़ों से पता चलता है कि मार्च 2024 में, कुल सूक्ष्म ऋण पोर्टफोलियो 4,42,700 करोड़ रुपये था। इसके बाद से यह हर तिमाही में कम हो रहा है। मार्च 2025 में, यह 3,81,225 करोड़ रुपये और जून 2025 तक, यह और कम होकर 3,59,169 करोड़ रुपये हो गया।

एनबीएफसी-एमएफआई का हिस्सा सबसे अधिक 1,39,308 करोड़ रुपये है जिसके बाद यूनिवर्सल बैंक (1,17,810 करोड़ रुपये), लघु वित्त बैंक (56,199 करोड़ रुपये), एनबीएफसी (43,451 करोड़ रुपये) और अन्य (2,401 करोड़ रुपये) की हिस्सेदारी है। अच्छी बात यह है कि बकाया कर्ज में कमी आ रही है।
उदाहरण के लिए, जोखिम में पड़ा कर्ज (पोर्टफोलियो ऐट रिस्क, पीएआर) सितंबर 2024 में 2.1 फीसदी के उच्चतम स्तर पर पहुंच गया था। जून 2025 में यह घटकर 1.6 फीसदी हो गया है। पीएआर 1-30 एक ऐसा संकेतक है जो उन कर्जों का प्रतिशत मापता है जिनका 1 से 30 दिनों तक भुगतान नहीं किया गया है और जिनके फंसे कर्ज बनने का जोखिम है।

एवेंन्डस कैपिटल प्राइवेट लिमिटेड की जुलाई की एक रिपोर्ट बताती है कि माइक्रोफाइनैंस उद्योग के प्रमुख खिलाड़ी अधिक मजबूत और बड़े स्तर पर कारोबार चलाने के लिए अपनी कार्यप्रणाली में बदलाव कर रहे हैं। तीन से अधिक उधारदाताओं के साथ पोर्टफोलियो एक्सपोजर मार्च 2024 में 20 फीसदी था, जो मार्च 2025 तक घटकर 12 फीसदी हो गया है। इसी अवधि के दौरान, जिन उधारकर्ताओं ने कम से कम 2 लाख रुपये का कर्ज लिया था उनकी संख्या 8 फीसदी से घटकर 3 फीसदी हो गई है। कर्ज देने वाले कर्ज की वसूली में कुशलता दिखा रहे हैं और खराब कर्ज को बट्टे खाते में डालकर अपने बैलेंसशीट को साफ-सुथरा बना रहे हैं। इसके अलावा परिसंपत्तियों की गुणवत्ता में भी सुधार हो रहा है।

जून 2024 में, 8.65 करोड़ सक्रिय ग्राहकों में से लगभग 25 लाख ग्राहकों ने पांच से ज्यादा कर्ज लिए थे। एक साल बाद, जून 2025 में, 7.98 करोड़ सक्रिय ग्राहकों में यह संख्या घटकर 10 लाख रह गई है। इसी तरह, पिछले साल लगभग 32 लाख ग्राहकों ने चार कर्ज लिए थे और अब यह संख्या घटकर 21 लाख हो गई है।

उद्योग के दो स्व-नियामक संगठन इस बदलती हुई स्थिति पर लगातार कड़ी नजर रख रहे हैं। उन्होंने कुछ सुरक्षा उपाय लागू किए हैं जैसे कि प्रति ग्राहक कर्ज की सीमा 2 लाख रुपये तय करना, प्रति ग्राहक कर्ज की संख्या तीन तक सीमित करना और बकाया कर्ज वाले ग्राहकों को नया कर्ज देने से रोकना।
वित्त वर्ष 2017 और 2024 के बीच, माइक्रोफाइनैंस ऋण 1.07 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर 4.34 लाख करोड़ रुपये हो गया जिसकी वार्षिक चक्रवृद्धि दर (सीएजीआर) लगभग 22.1 फीसदी रही (सभी आंकड़े पूर्णांकित हैं)। इसी अवधि में, यूनिक बॉरोवर्स की संख्या में केवल 6.9 फीसदी की वृद्धि हुई जबकि प्रति उधारकर्ता दिए गए ऋण का सीएजीआर 14.3 फीसदी बढ़ गया। हालांकि अब यह बीती हुई बात है।

कोविड लॉकडाउन से पहले, नोटबंदी और जीएसटी लागू होने से बाजार में काफी सुधार हुआ था। इसके तुरंत बाद, अप्रैल 2022 से आरबीआई के नए माइक्रोफाइनैंस नियम लागू हुए। अब कर्ज की दरों पर कोई सीमा नहीं है। कर्ज देने वाले ब्याज दरें तय करने के लिए स्वतंत्र हैं, लेकिन उन्हें बोर्ड द्वारा स्वीकृत एक पारदर्शी नीति का पालन करना होगा।

बैंकिंग क्षेत्र को दूर-दराज के इलाकों तक पहुंचने के लिए गैर-बैंकिंग संस्थाओं के साथ अपनी साझेदारी जारी रखनी चाहिए क्योंकि एमएफआई-एनबीएफसी तकनीक और व्यक्तिगत संपर्क के जरिये अंतिम छोर तक कर्ज पहुंचा सकते हैं।

सूक्ष्म ऋण देना एक कारोबार है कोई समाज सेवा नहीं। लेकिन, एमएफआई-एनबीएफसी को यह याद रखने की जरूरत है कि वे वित्तीय समावेशन के माध्यम हैं, न कि वित्तीय शोषण के जो हाल ही में आए संकट की असली वजह है। एमएफआई को अपने काम करने के तरीके को बदलना होगा और बैंकों को यह चाहिए कि वे नकदी के लिए रास्ते खाेलें। यह दोनों के लिए फायदेमंद होगा।


(लेखक जन स्मॉल फाइनैंस बैंक के वरिष्ठ सलाहकार हैं)

First Published - August 14, 2025 | 10:59 PM IST

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