जिंदगीनामा: सीईओ तैयार करने में क्यों पिछड़ रहा है भारत?
दिग्गज कंपनियों जैसे गूगल (अल्फाबेट) और माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय मूल के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई और सत्य नडेला अक्सर यहां आते रहते हैं। उनकी भारत यात्रा से साथ कई बातें जुड़ी रहती हैं मगर उनमें एक खास बात यह है कि वे देश के मध्यम वर्ग के लोगों को गौरवान्वित महसूस करने का मौका […]
जिंदगीनामा: हरित क्रांति की अनचाही विरासत
हरित क्रांति ने देश की किस्मत बदलने में महती भूमिका निभाई, लेकिन अब इसका चक्र उल्टा घूम रहा है। इसके दुष्परिणाम उस समय नीति निर्माताओं ने सोचे भी नहीं होंगे। आज जब किसान आए दिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सीमाओं पर डेरा डाल रहे हैं तो1960 के दशक की हरित क्रांति के परिणाम अपर्याप्त […]
जिंदगीनामा: विमानन क्षेत्र का अल्पकालिक आकर्षण
तीन दशक पहले शुरू हुई दिग्गज विमानन कंपनी जेट एयरवेज 7 नवंबर को उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के साथ ही बंद कर दी गई। इसके कुछ दिन बाद टाटा समूह के मालिकाना हक वाली विस्तारा का विलय एयर इंडिया में कर दिया गया। यह कंपनी 11 साल पहले ही अस्तित्व में आई थी और […]
जिंदगीनामा: असंगठित और संगठित क्षेत्र की कार्यसंस्कृति
नालियां और सीवर ऐसी जगहें हैं, जहां दुनिया में कोई भी शायद ही काम करना चाहता हो। मगर कचरा फंसने से रुकी नालियों और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले 7 लाख से ज्यादा भारतीयों के लिए ये रोजाना के कामकाज की जगह हैं, जिन्हें हाथ से मैला ढोने वाला सफाईकर्मी कहा जाता है। इस […]
जिंदगीनामा: भारतीय कंपनियों में महिला नेतृत्व और कार्यस्थल सुरक्षा की चिंताजनक स्थिति
कोलकाता के आर जी कर अस्पताल में हुई दर्दनाक घटना और मलयालम फिल्म उद्योग में यौन उत्पीड़न का खुलासा करने वाली रिपोर्ट का भारत की 500 सबसे बड़ी कंपनियों की फॉर्च्यून इंडिया सूची के साथ पहली नजर में कोई संबंध नहीं दिखता। मगर सच यह है कि इनका आपस में लेना-देना है। पहली दो घटनाएं […]
जिंदगीनामा: पिछड़ा वर्ग में शामिल होने की बढ़ती होड़
वित्त वर्ष 2025 के बजट से काफी पहले से ही रोजगार की समस्या का मसला अखबारों के पहले पन्ने पर छपता रहा है। लेकिन इस बजट से पता चला है कि देर से और खीझकर ही सही सरकार ने इस पर ध्यान दिया है। अर्थशास्त्री खुले तौर पर और निजी क्षेत्र की दिग्गज हस्तियां गुपचुप […]
जिंदगीनामा: कार्यस्थल पर महिलाओं को समान अवसर नहीं
इस महीने की दो घटनाओं ने कार्यस्थल पर महिलाओं की संख्या बढ़ाने के जटिल मुद्दे से जुड़ी व्यावहारिक समस्याओं को स्पष्ट रूप से दर्शाया है। महीने की शुरुआत में केंद्र सरकार द्वारा कथित रूप से भेदभावपूर्ण भर्ती वाली प्रक्रिया की ओर ध्यान दिलाए जाने के बाद राज्य श्रम विभाग की टीम ने ऐपल के आईफोन […]
विनिवेश लक्ष्य पर भारी पड़ता नीतिगत बदलाव
पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय दोबारा संभालने के बाद अपने शुरुआती सार्वजनिक वक्तव्यों में से एक में मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने खासतौर पर कहा कि तेल विपणन क्षेत्र की बड़ी कंपनी भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड अथवा बीपीसीएल को बेचने की योजना पूरी तरह समाप्त हो चुकी है। उन्होंने कहा कि बीपीसीएल एक अत्यंत सफल […]
जिंदगीनामा: बिजली, सड़क और पानी की वापसी
आम चुनाव शुरू होने के पहले देश की सबसे प्रसिद्ध हाई-टेक मिलेनियम सिटी के रहवासी कल्याण संघों (RWA) में भी तीखी बहस छिड़ गई। ये वे इलाके हैं जो सबसे कम तकनीकी गुणवत्ता वाली नागरिक अधोसंरचना पर किसी तरह प्रबंधन कर रहे हैं। तर्क यह है कि गुरुग्राम की निरंतर खस्ता होती हालत को देखते […]
जिंदगीनामा: जलवायु परिवर्तन पर न्यायिक सक्रियता
राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में हाल में तापमान 38 डिग्री सेंटीग्रेड तक हो गया जिससे यह चेतावनी मिल रही है कि इस साल अच्छी गर्मियां पड़ने वाली हैं। ऐसे में दो न्यायिक फैसले जलवायु परिवर्तन को लेकर नया दृष्टिकोण देते हैं। देश के सर्वोच्च न्यायालय ने 21 मार्च के एक आदेश का विस्तृत निर्णय अपलोड कर […]









