CSR खर्च में बढ़ोतरी, फिर भी कॉरपोरेट की प्रतिष्ठा में मामूली सुधार
देश में संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार की दूसरी पारी के दौरान वर्ष 2013 में अनूठे कॉरपोरेट सामाजिक उत्तरदायित्व (सीएसआर) कानून की पेशकश की गई थी। यह कानून तब लाया गया था जब कंपनियों की छवि कुछ खराब हो रही थी। उस समय अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता, ओडिशा के एक आदिवासी इलाके में बॉक्साइट […]
जिंदगीनामा: मुफ्त बिजली, रियायती रेल परिवहन गरीबों को सार्थक लाभ नहीं दिला पाते
केंद्र और राज्य सरकारें गरीबों की मदद करने के नाम पर बुनियादी ढांचे पर जो भारी-भरकम सब्सिडी देती हैं, उनसे लक्षित वर्ग को तो उतना लाभ नहीं मिला है, बल्कि इसने विकसित भारत का लक्ष्य प्राप्त करने की राह में रोड़े ही अटकाए हैं। चाहे आप इसे कुछ भी कह लें, लेकिन जब तक तमाम […]
जिंदगीनामा: आर्थिक सुधारों पर बहुदलीय सहमति से वृद्धि को मिल सकता है बल
पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद के खिलाफ भारत की प्रतिक्रिया के बारे में दुनिया को बताने के लिए विभिन्न देशों में बहुदलीय प्रतिनिधिमंडल भेजने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि यह तरीका दूसरे मामलों में भी अपनाया जाना चाहिए। बहुपक्षीयता का यह विचार निस्संदेह काफी प्रेरित करने वाला है। दुर्भाग्य है कि किसी ने भी […]
ट्रंप का ‘मुक्ति दिवस’ शुल्क पहुंचाएगा नुकसान
अर्थशास्त्रियों को शायद यह महसूस हो रहा होगा कि अमेरिका के राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के लिए अर्थशास्त्र के प्रारंभिक सिद्धांतों को समझना निहायत ही जरूरी हो गया है। इसके पीछे अर्थशास्त्रियों की यह सोच हो सकती है कि ट्रंप द्वारा 2 अप्रैल को ‘मुक्ति दिवस’ के नाम पर लगाए ऊंचे शुल्क अर्थशास्त्र के किसी भी […]
अमेरिका में विविधता, समानता पर चोट
डॉनल्ड ट्रंप के दोबारा राष्ट्रपति बनने के बाद अमेरिकी कंपनियों के सुर बदलते दो महीने भी नहीं लगे और वे खुद को प्रगतिशील सामाजिक एवं राजनीतिक सोच के खिलाफ दिखाने लगीं। वजह? वे ट्रंप प्रशासन में आने वाले कारोबारी मौके लपकने में वक्त बिल्कुल जाया नहीं करना चाहतीं। सिलसिला दुनिया की सबसे बड़ी धन प्रबंधन […]
उद्योग जगत में श्रमिकों की कमी का दर्द
संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार को ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना शुरू किए अभी एक साल ही हुआ था कि चीनी उद्योग से जुड़े एक बड़े उद्योगपति बजट पेश होने के बाद टेलीविजन पर एक कार्यक्रम में अनोखी शिकायत करते नजर आए। उन्होंने कहा कि नरेगा यानी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम (इसका शुरुआती नाम यही […]
जिंदगीनामा: सीईओ तैयार करने में क्यों पिछड़ रहा है भारत?
दिग्गज कंपनियों जैसे गूगल (अल्फाबेट) और माइक्रोसॉफ्ट के भारतीय मूल के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) सुंदर पिचाई और सत्य नडेला अक्सर यहां आते रहते हैं। उनकी भारत यात्रा से साथ कई बातें जुड़ी रहती हैं मगर उनमें एक खास बात यह है कि वे देश के मध्यम वर्ग के लोगों को गौरवान्वित महसूस करने का मौका […]
जिंदगीनामा: हरित क्रांति की अनचाही विरासत
हरित क्रांति ने देश की किस्मत बदलने में महती भूमिका निभाई, लेकिन अब इसका चक्र उल्टा घूम रहा है। इसके दुष्परिणाम उस समय नीति निर्माताओं ने सोचे भी नहीं होंगे। आज जब किसान आए दिन राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) की सीमाओं पर डेरा डाल रहे हैं तो1960 के दशक की हरित क्रांति के परिणाम अपर्याप्त […]
जिंदगीनामा: विमानन क्षेत्र का अल्पकालिक आकर्षण
तीन दशक पहले शुरू हुई दिग्गज विमानन कंपनी जेट एयरवेज 7 नवंबर को उच्चतम न्यायालय के एक फैसले के साथ ही बंद कर दी गई। इसके कुछ दिन बाद टाटा समूह के मालिकाना हक वाली विस्तारा का विलय एयर इंडिया में कर दिया गया। यह कंपनी 11 साल पहले ही अस्तित्व में आई थी और […]
जिंदगीनामा: असंगठित और संगठित क्षेत्र की कार्यसंस्कृति
नालियां और सीवर ऐसी जगहें हैं, जहां दुनिया में कोई भी शायद ही काम करना चाहता हो। मगर कचरा फंसने से रुकी नालियों और सेप्टिक टैंक की सफाई करने वाले 7 लाख से ज्यादा भारतीयों के लिए ये रोजाना के कामकाज की जगह हैं, जिन्हें हाथ से मैला ढोने वाला सफाईकर्मी कहा जाता है। इस […]