
हिंद-प्रशांत क्षेत्र में नौसैनिक नीति
भारत सैन्य प्रभावकर्ता के रूप में हिंद-प्रशांत क्षेत्र में देर से आया। हालांकि हमारी थलसेना, नौसेना और वायुसेना पूरे वर्ष जो बहुपक्षीय एवं द्विपक्षीय सैन्य अभ्यास करती हैं उनसे उसकी उपस्थिति महसूस होती है। हर वर्ष हमारी सेना 62 द्विपक्षीय और 23 बहुपक्षीय अभ्यास करती है जिससे हमारे जवानों का कौशल और छवि बेहतर होती […]

भारत और अमेरिका के रिश्तों की व्याख्या
पिछले दिनों उस घटना को दो दशक पूरे हो गए जब अमेरिकी टैंक बगदाद में घुसे थे और इराक की राजधानी को ‘आजाद’ कराया था। उससे एक दिन पहले सद्दाम हुसैन ने राष्ट्रपति भवन खाली कर दिया था और वह किसी भूमिगत स्थान पर छिप गए थे। यह जगह उनके वफादार अल्बू नासिर के कबीले […]

चीन के मामले में दलाई लामा से इतर दीर्घकालिक नीति जरूरी
सन 1947 में भारत की आजादी के बाद से ही उसे सामरिक परिदृश्य के मामले में अदूरदर्शी बताया गया है। अमेरिकी थिंकटैंक रैंड कॉर्पोरेशन के जॉर्ज टैनम ने सन 1992 में कहा था कि देश में सामरिक संस्कृति का अभाव है क्योंकि उसे कभी अपने अस्तित्व के संकट से नहीं जूझना पड़ा। जाहिर है टैनम […]

Budget 2023 : रक्षा बजट में स्पष्टता की दरकार दोधारी तलवार
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह विभिन्न सार्वजनिक भाषणों के माध्यम से और संवाददाता सम्मेलनों के जरिये यह संदेश प्रचारित-प्रसारित करते रहे हैं कि सशस्त्र बलों के पास धन की कमी नहीं है। वह कहते हैं कि रक्षा आवंटन में पर्याप्त इजाफा यह सुनिश्चित करता है कि सेना के पास जवान, हथियार, उपकरण और बुनियादी ढांचा आदि […]

सेना को चाहिए दीर्घकालिक सुरक्षा रणनीति
एक और वर्ष बीत गया है और नई दिल्ली के रणनीतिक और कूटनीतिक दिग्गज एक धुंधले भूराजनीतिक परिदृश्य को लेकर विचार विमर्श करते रह गए। हमारी विदेश सेवा, खुफिया प्रतिष्ठान और सेना के तमाम प्रयासों के बावजूद भारत इकलौता देश है जिसे साढ़े तीन मोर्चों पर सैन्य चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। जमीन […]