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साप्ताहिक मंथन: बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों पर लगाम

यूरोप में कम से कम तीन ऐसे मामले सामने आए हैं जहां प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों पर अरबों यूरो का जुर्माना लगाया गया।

Last Updated- September 29, 2023 | 11:37 PM IST
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प्रौद्योगिकी क्षेत्र की बड़ी कंपनियों (मेटा, एमेजॉन, माइक्रोसॉफ्ट, अल्फाबेट और ऐपल यानी एमएएमएए) के विरुद्ध संघर्ष नया नहीं है। परंतु अब यह निर्णायक मोड़ पर पहुंच गया है। इस माह के आरंभ में अमेरिका में अल्फाबेट (गूगल) और एमेजॉन के खिलाफ दो संभावित रूप से बहुत बड़े मुकदमे शुरू हुए। सन 1998 में माइक्रोसॉफ्ट के विरुद्ध कदम के बाद यह संभवत: सबसे बड़ा मामला है।

इस बीच यूरोप में कम से कम तीन ऐसे मामले सामने आए हैं जहां प्रौद्योगिकी क्षेत्र की कंपनियों पर अरबों यूरो का जुर्माना लगाया गया। अब एक ‘क्रांतिकारी’ कानून पारित किया गया है और एक नया कानून आया है जो ग्राहकों को इस बात की आजादी देते हैं कि वे यह निर्णय ले सकें कि पहले से डाले गए सॉफ्टवेयर में से कौन से रखना चाहते हैं और किन सॉफ्टवेयर को हटाना चाहते हैं। इस तरह गूगल पे और ऐपल वॉलेट के बीच प्रतिस्पर्धा और बढ़ गई है।

एकाधिकार संबंधी शक्तियों का दुरुपयोग करने या निजता का अतिक्रमण करने पर कंपनी के कुल टर्नओवर का 10 फीसदी तक जुर्माना लगाया जा सकता है। गर्मियों में ब्रिटेन में भी ऐसा ही एक कानून पारित किया गया था।

अमेरिकी कांग्रेस में नए कानून को रोका गया है। आंशिक तौर पर ऐसा एमएएमएए की सक्रिय लॉबीइंग के कारण भी हुआ है लेकिन न्याय विभाग और संघीय व्यापार आयोग ने आक्रामक कानूनी मामले दायर किए हैं जो मौजूदा ऐंटी ट्रस्ट (मोनोपोली) कानूनों के दायरे को बढ़ाना चाहते हैं।

प्रयास यह है कि उपभोक्ताओं के संरक्षण के स्वीकार्य उद्देश्य के अलावा कानून की व्याख्या करके प्रतिद्वंद्वी कारोबारों को भी बचाया जा सके। इस बीच भारत में प्रतिस्पर्धा आयोग ने गूगल के विरुद्ध दो मामलों में रिकॉर्ड 2,280 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया है जबकि तीसरे मामले में सुनवाई चल रही है। यहां तक का सफर बहुत लंबा रहा है।

इंटरनेट एक जमाने में नई प्रौद्योगिकी, नवाचार और नए कारोबारी मॉडलों के साथ डिजिटल दौर के उपभोक्ताओं की जरूरतों को पूरा करने और बनाने वाले उद्यमियों के लिए नियमन मुक्त था, वहीं अब यह दुनिया में लगभग सबकुछ संचालित कर रहा है। यह बदलना ही था क्योंकि मुक्त अभिव्यक्ति विषाक्त होती गई, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्मों ने राष्ट्रीय राजनीति को प्रभावित करना आरंभ कर दिया और बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों पर चीन का प्रभाव रणनीतिक चिंता का विषय बन गया।

प्रकाशित या प्रसारित होने वाली सामग्री की समीक्षा ने राजनीतिक हलचलें बढ़ा दीं और यह सार्वजनिक नीति बन गई है। बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों के खिलाफ जो आरोप लग रहे हैं उनमें व्यक्तिगत डेटा का दुरुपयोग और खोज के मामलों में भुगतानशुदा सामग्री को पहले दिखाना जैसी बातें शामिल हैं।

एक अध्ययन में पाया गया कि एमेजॉन के उत्पाद खोज के शुरुआती 20 नतीजों में से 16 विज्ञापन थे। कर वंचना के आरोप भी हैं। इस बीच इन मुठ्ठीभर कंपनियों ने अपनी पहुंच और ताकत में सरकारों को चुनौती देना आरंभ कर दिया। शीर्ष पांच कंपनियों ने वित्तीय स्थिति के मामले में एसऐंडपी 500 को पीछे छोड़ दिया, इनका शेयर बाजार मूल्यांकन लाखों करोड़ डॉलर हो गया इन्होंने इतनी कमाई कर ली कि इन पर लगने वाला जुर्माना भी कुछ खास नहीं रह गया।

एमएएमएए का मुनाफा एसऐंडपी 500 के 10 फीसदी के औसत से दोगुना हो गया और बाजार शक्ति के दुरुपयोग से इसमें लगातार इजाफा हुआ। इनके जिन कारोबारी व्यवहार पर आपत्ति है उनमें मोबाइल फोनों पर गूगल सॉफ्टवेयर को पहले से इंस्टॉल करना (इस विशेषाधिकार के लिए ऐपल को अरबों डॉलर का भुगतान करना), विभिन्न ऑपरेटिंग सिस्टम में अंतर संचालन की इजाजत न होना और संभावित प्रतिस्पर्धियों का पता लगाना और उन्हें खरीद लेना (मेटा द्वारा इंस्टाग्राम और व्हाट्सऐप का अधिग्रहण) और नए प्रकाशकों के साथ विज्ञापन राजस्व साझा करते समय अनुचित व्यवहार करना शामिल है।

2021 में ऑस्ट्रेलिया ने एक कानून पारित करके प्रकाशकों को समान अवसर मुहैया कराने का प्रयास किया। एक प्रौद्योगिकी कंपनी ने ऑस्ट्रेलिया में सेवा रोककर प्रतिक्रिया दी लेकिन बाद में मामला निपट गया। मामला उस स्तर पर नहीं पहुंचा जहां नियामक कंपनियों को भंग कर देना चाहते हैं। सन 1984 में एटीऐंडटी के साथ ऐसा हुआ था, लेकिन सांसदों की ओर से ऐसे कदम उठाने की बात कही गई है।

कंपनियों ने भी इन बढ़ते हमलों का जवाब बचाव और आक्रामक लॉबीइंग के जरिये दिया लेकिन उन्होंने विपरीत फैसलों के बाद अलग-अलग देशों में अपने कारोबारी मॉडल में भी बदलाव किया। मेटा ने ऐप पर युवाओं की गतिविधियों के आधार पर उनको विज्ञापन दिखाना बंद कर दिया है, गूगल ने अपने विज्ञापन व्यवसाय द्वारा उपयोग किए जाने वाले डेटा तक पहुंच का विस्तार किया है और टिकटॉक ने अपने उपयोगकर्ताओं को इजाजत दी है कि वे गैर वैयक्तीकृत फीड चुन सकें।

परंतु शायद इतना ही पर्याप्त न हो। एमेजॉन को अपने प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद बेचने से रोका जा सकता है क्योंकि तीसरे पक्ष के विक्रेताओं के साथ हितों के टकराव की स्थिति बन सकती है। खोज में गूगल की 90 फीसदी हिस्सेदारी सीमित हो सकती है और ऐपल को अपने ऐप स्टोर तक पहुंच के नियम बदलने पड़ सकते हैं। यह सब तब हुआ जब असंबद्ध कारणों से बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों की शेयर कीमतें 2022 में गिरीं। चार एमएएमएए में भारी छंटनी की घोषणाओं के बीच इस वर्ष कीमतें कुछ सुधरी हैं। बड़ी प्रौद्योगिकी कंपनियों का संघर्ष एक से अधिक मोर्चों पर जारी है।

First Published - September 29, 2023 | 11:32 PM IST

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