Sugar Stocks: चीनी के दाम तकरीबन छह साल के शीर्ष स्तर के आसपास चल रहे हैं। इससे भारतीय उपभोक्ताओं की थाली का स्वाद बिगड़ रहा है, लेकिन वे शेयर बाजार में संबंधित शेयरों में निवेशकों के पोर्टफोलियो को मिठास प्रदान कर रहे हैं।
पिकाडिली एग्रो, डीसीएम श्रीराम, मगध शुगर और बजाज हिंदुस्तान जैसी चीनी विनिर्माताओं के शेयरों में वित्त वर्ष के दौरान 200 प्रतिशत तक की भारी बढ़ोतरी हुई है क्योंकि महाराष्ट्र और कर्नाटक जैसे प्रमुख गन्ना उत्पादक राज्यों में कम बारिश के कारण चीनी उत्पादन में कमी होने की आशंका है। इसकी तुलना में इस अवधि के दौरान बीएसई सेंसेक्स में 11 फीसदी की मामूली बढ़ोतरी हुई है।
विश्लेषकों को उम्मीद है कि कम उत्पादन के कारण कम से कम अगले साल चीनी की कीमतें अधिक स्तर पर बनी रहेंगी, जिससे इस क्षेत्र को लाभ मिलेगा। अधिक मार्जिन वाले एथनॉल उत्पादन की ओर उद्योग का बढ़ता झुकाव एक अन्य प्रमुख सकारात्मक कारक बना हुआ है, इसलिए उनका सुझाव है कि निवेशकों को इस क्षेत्र में चुनिंदा शेयर शामिल करने चाहिए।
सैमको सिक्योरिटीज के शोध विश्लेषक टी मनीष ने कहा कि सरकार द्वारा एथनॉल मिश्रण पर जोर दिए जाने से मौजूदा भागीदारों को फायदा होगा। हाल ही में जी20 में वैश्विक जैव ईंधन गठबंधन का गठन भी इसी उद्देश्य की दिशा में है।
इसके अलावा त्योहारी सीजन शुरू हो चुका है, जिससे चीनी खपत और मांग में वृद्धि होगी। हमें बलरामपुर चीनी, द्वारिकेश शुगर्स, ईआईडी पैरी और प्राज इंडस्ट्रीज पसंद हैं और इन शेयरों में 10 से 15 फीसदी की तेजी नजर आ रही है।
सरकार का लक्ष्य वर्ष 2025 तक 20 प्रतिशत एथनॉल मिश्रण(पेट्रोल के साथ) का लक्ष्य (जो फिलहाल 11.5 प्रतिशत है) हासिल करना है, जिससे अगले कुछ वर्षों में और अधिक क्षमता वृद्धि होने की उम्मीद है। इस 20 प्रतिशत वाले लक्ष्य के लिए 11 अरब लीटर एथनॉल की आवश्यकता होगी।
डीएएम कैपिटल का मानना है कि गन्ने के रस और बी-हैवी का रुख मोड़ना सात से आठ अरब लीटर एथनॉल के लिए काफी रहेगा और तीन से चार अरब लीटर एथनॉल अनाज से उत्पादित किया जाएगा।
इसने एक हालिया रिपोर्ट में कहा है कि अनाज आधारित एथनॉल से उद्योग को राजस्व का एक अन्य स्रोत मिलेगा तथा यह राजस्व और लाभ में योगदान करेगा। कई चीनी कंपनियों ने एथनॉल मिश्रण के स्तर में वृद्धि से उत्पन्न अवसर का लाभ उठाने के लिए अनाज आधारित भट्टियां स्थापित की हैं।