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सवाल-जवाब: हम एक कदम से एक ही लक्ष्य को साधने पर जोर देंगे-RBI गवर्नर

दास ने कहा कि हमारे घरेलू बॉन्ड प्रतिफल, कुछ विकसित देशों के बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि जैसे अंतरराष्ट्रीय कारकों के हिसाब से नहीं बदल रहे हैं।

Last Updated- October 06, 2023 | 10:07 PM IST
RBI governor Shaktikanta Das on RBI repo rate

आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास (RBI Governor Das) और डिप्टी गवर्नर माइकल पात्र ने मौद्रिक नीति समीक्षा के बाद संवाददाता सम्मेलन के दौरान कई मुद्दों पर बात की। बातचीत के मुख्य अंश:

-क्या ओएमओ (केंद्रीय बैंक द्वारा खुले बाजार में सरकारी प्रतिभूतियों की खरीद या बिक्री) के लिए कोई समयसीमा होगी और क्या यह जेपीएम बॉन्ड को सूचकांक में शामिल किए जाने की तैयारी में है?

दासः बॉन्ड सूचकांक में शामिल किए जाने से इसका कोई संबंध नहीं है और मैं इस बात को फिर से दोहराता हूं। यह हमारे घरेलू नकदी प्रबंधन का एक हिस्सा है। जहां तक समयावधि की बात है, इस संबंध में मैंने कहा है कि हम उभरते रुझानों को देखेंगे। नकदी की स्थिति में काफी गतिशीलता है। हम उभरते रुझानों को देखेंगे और जब भी आवश्यक होगा, हम इसकी अधिसूचना दे देंगे।

-क्या आरबीआई बैंकों से दरों को और समायोजित करने की उम्मीद करता है? क्या आपको इस बात की चिंता है कि तटस्थ रुख में बदलाव से यह संकेत मिलेगा कि महंगाई पर कदम उठाने का आपका संकल्प कमजोर हुआ है?

दासः जब ऐसी स्थिति आती है तब तटस्थ रुख वाला बदलाव भी सामने दिखेगा। फिलहाल दरों में बढ़ोतरी अभी अधूरी है। हमने रीपो दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि की है लेकिन यह पूरी तरह से जमा दरों या बैंक की उधार दरों में नहीं बदला है और अब भी कुछ दूरी तय की जानी बाकी है। हम उम्मीद करते हैं कि यह रीपो दर में वृद्धि के अनुरूप ही होगा और इसी वजह से हमारा इरादा महंगाई को नियंत्रित करने के लिए तंत्र में मुद्रा की आपूर्ति में कमी लाने का है।

-प्रश्न: जब नकदी में पहले से ही कमी है तब ओएमओ बिक्री पर क्यों जोर है?

दासः पिछले दो या तीन हफ्तों में नकदी में कमी मुख्य रूप से अग्रिम कर भुगतान और जीएसटी भुगतान के कारण हुई। व्यापक तौर पर आप देखें तो अतिरिक्त नकदी की स्थिति है। हमने 2,000 रुपये के नोट वापस लेने की घोषणा की है और हमें अब तक लगभग 3.43 लाख करोड़ रुपये वापस मिल चुके हैं और केवल 12,000 करोड़ रुपये ही नहीं मिले हैं। 2,000 रुपये के नोटों को वापस लेने के कारण पर्याप्त मात्रा में नकदी आई है।

सरकारी खर्च भी अब बढ़ रहा है और इससे भी तंत्र में काफी नकदी आएगी। त्योहारी सीजन में मुद्रा की मांग बढ़ेगी इसलिए चलन वाली मुद्रा भी बढ़ेगी और इससे नकदी की कुछ मात्रा घटती हुई नजर आएगी लेकिन कुल मिलाकर देखा जाए तो तंत्र में अतिरिक्त नकदी है।

हमें सक्रिय होना होगा। साथ ही सक्रियता से नकदी का प्रबंधन करना होगा। हम बहुत सतर्क रहेंगे कि क्योंकि नकदी के पैमाने में कई गतिशील हिस्से हैं। समय-समय पर जिस तरह के कदम की आवश्यकता होगी, हम उसे उठाएंगे। ओएमओ बिक्री को लेकर हमने यह सोचा था कि यह आवश्यक होगा और इसीलिए मैंने अपने बयान में इसका उल्लेख किया है।

-ओएमओ कैसे होगा? क्या यह एक नीलामी होगी या यह पर्दे के पीछे होगा? क्या इसका वैश्विक प्रतिफल में वृद्धि से कोई संबंध है?

दासः यह नीलामी की प्रक्रिया के माध्यम से किया जाएगा न कि एनडीएस-ओएम मंच के माध्यम से। हम इसकी अधिसूचना देंगे और इसके बाद हम नीलामी करेंगे। इसका वैश्विक बॉन्ड प्रतिफल से कोई लेना-देना नहीं है। यदि आप बयान को ध्यानपूर्वक देखें, तो हमने कहा है कि हमारा नकदी प्रबंधन हमारी मौद्रिक नीति के रुख के अनुरूप होगा। इसीलिए, इसका विकसित अर्थव्यवस्थाओं के बॉन्ड प्रतिफल के बढ़ने से कोई लेना-देना नहीं है।

-जब वैश्विक प्रतिफल बढ़ता है तब एक केंद्रीय बैंकर के रूप में आपकी क्या आशंकाएं होती हैं और इसके उपाय के क्या साधन होते हैं?

दासः हमारे घरेलू बॉन्ड प्रतिफल, कुछ विकसित देशों के बॉन्ड प्रतिफल में वृद्धि जैसे अंतरराष्ट्रीय कारकों के हिसाब से नहीं बदल रहे हैं। हमारे बॉन्ड प्रतिफल मुख्य रूप से घरेलू कारकों द्वारा निर्धारित होते हैं जैसा कि आज नजर आता है। अन्य जगहों, विशेष रूप से अमेरिका में बॉन्ड में तेजी दिखने पर सामान्य तौर पर उभरती अर्थव्यवस्थाओं में मुद्रा मूल्यह्रास होता है, लेकिन भारत के संदर्भ में देखें तो हमारे विदेशी मुद्रा भंडार के व्यापक होने के चलते यह अंतर दिखता है।

इससे बाजार को काफी भरोसा मिलता है। दूसरी बात यह है कि हम मुद्रा की स्थिरता को बनाए रखने और अत्यधिक अस्थिरता को रोकने के लिए बाजार में हस्तक्षेप करते हैं। दरअसल हम एक समय में एक लक्ष्य को साधने के लिए एक ही कदम उठाते हैं।

-क्या आपको लगता है कि आरबीआई को नकदी के फ्रेमवर्क पर फिर से काम करने की आवश्यकता है?

पात्र: मौजूदा फ्रेमवर्क के तहत 14-दिनों वाला वीआरआरआर और वीआरआर प्राथमिक विकल्प है, लेकिन इसमें सक्रिय भागीदारी नहीं देखी जाती है। मौजूदा ढांचे के तहत, कॉल दर को रीपो दर के अनुरूप बनाने की आवश्यकता है, लेकिन यह एमएसएफ दर के ज्यादा अनुकूल है।

First Published - October 6, 2023 | 10:07 PM IST

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