लोकसभा ने गुरुवार को दिल्ली सेवा विधेयक (delhi service bill) ध्वनिमत से पारित कर दिया। बीजू जनता दल (बीजद), वाईएसआर कांग्रेस पार्टी (वाईएसआरसीपी) और शिरोमणि अकाली दल ने इस विधेयक पर सरकार का समर्थन किया जो फिलहाल सत्ता पक्ष और विपक्षी दलों के गठबंधनों में से किसी के साथ नहीं हैं।
दिन के घटनाक्रम से संकेत मिलते हैं कि संसद के मॉनसून सत्र की बाकी अवधि में स्थिति सामान्य हो जाएगी। सत्र में छह कार्य दिवस बचे हैं और यह 11 अगस्त को समाप्त होगा।
उच्च सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं
राज्यसभा में अगले सप्ताह विवादास्पद विधेयक को पारित कराने के लिए वाईएसआरसीपी और बीजद का समर्थन महत्त्वपूर्ण होगा। उच्च सदन में सरकार के पास बहुमत नहीं है। राज्यसभा में दोनों दलों के कुल 18 सांसद हैं।
बीजद के पिनाकी मिश्रा ने कहा कि उनकी पार्टी ओडिशा में जमीनी स्तर पर भारतीय जनता पार्टी (BJP) के खिलाफ लड़ना जारी रखेगी, लेकिन उनकी पार्टी इस विधेयक का समर्थन करती है क्योंकि संविधान के तहत दिल्ली को लेकर केंद्र के पास कुछ विशेष अधिकार क्षेत्र हैं। उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी विपक्ष के अविश्वास प्रस्ताव का भी विरोध करेगी क्योंकि मौजूदा समय में इसकी ‘जरूरत’ नहीं है।
सुबह का सत्र मणिपुर के मुद्दे की वजह से बाधित
संसद में सुबह का सत्र मणिपुर के मुद्दे की वजह से बाधित रहा, जबकि राज्यसभा में अधिवक्ता (संशोधन), प्रेस एवं पत्रिकाओं का पंजीकरण और अपतटीय क्षेत्र खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक सहित तीन विधेयक पारित किए गए। राज्यसभा के सभापति जगदीप धनखड़ ने सदन में गतिरोध दूर करने के लिए दिन में विपक्षी दलों के सांसदों से मुलाकात की।
लोकसभा में अध्यक्ष ओम बिरला सुबह के सत्र में शामिल नहीं हुए, लेकिन विपक्षी सांसदों द्वारा सदन को सुचारु रूप से चलाने के लिए सहयोग करने के आश्वासन के बाद वह अपनी सीट पर लौट गए। विधेयक पर चार घंटे से अधिक समय तक चली बहस में 26 सांसदों ने हिस्सा लिया।
सदन में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक पारित होने के बाद लोकसभा अध्यक्ष ने आम आदमी पार्टी (आप) के सांसद सुशील सिंह रिंकू को उनके अमर्यादित आचरण के कारण सदन से शेष सत्र के लिए निलंबित कर दिया।
विधेयक पारित होने के बाद रिंकू सदन के बीचों बीच आ गईं और कुछ कागजात फाड़कर अध्यक्ष की ओर फेंक दिए। रिंकू लोकसभा के नए सदस्य हैं, जो मई में एक उपचुनाव में चुने गए थे और उन्होंने मॉनसून सत्र के पहले दिन 20 जुलाई को शपथ ली थी।
उन्होंने कहा कि ‘दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र शासन संशोधन विधेयक’ संसद में लाकर उच्चतम न्यायालय के फैसले का किसी तरह से उल्लंघन नहीं किया गया है और संविधान के तहत संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र से संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।
दिल्ली न तो पूर्ण राज्य है, न ही पूर्ण संघ शासित प्रदेश
शाह ने कहा, ‘दिल्ली न तो पूर्ण राज्य है, न ही पूर्ण संघ शासित प्रदेश है। राष्ट्रीय राजधानी होने के नाते संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए में इसके लिए एक विशेष प्रावधान है।’ उन्होंने कहा कि संविधान के अनुच्छेद 239 ए ए के तहत इस संसद को दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र या इससे संबंधित किसी भी विषय पर कानून बनाने का पूर्ण अधिकार प्राप्त है।’
शाह ने कहा कि आम आदमी पार्टी (APP) के नेतृत्व वाली दिल्ली सरकार द्वारा दिल्ली सेवा विधेयक का विरोध करने का मकसद विजिलेंस को नियंत्रण में लेकर ‘बंगले’ का और भ्रष्टाचार का सच छिपाना है और ऐसे में सभी दलों को देश और दिल्ली के भले को ध्यान में रखना चाहिए।
लोकसभा में हुई चर्चा का जवाब देते हुए गृह मंत्री ने कहा, ‘पिछले कुछ दिनों में सदन में नौ विधेयक पारित हुए लेकिन विपक्षी दल इसमें शामिल नहीं हुए। वे सभी विधेयक भी महत्त्वपूर्ण थे। लेकिन आज के विधेयक (दिल्ली सेवा विधेयक) पर सभी (विपक्षी दल) मौजूद हैं क्योंकि सवाल गठबंधन बचाने का है।’
गृह मंत्री ने कहा, ‘आज भारत आपके (विपक्ष) दोहरे चरित्र को देख रहा है और देखना भी चाहिए। आपके लिए जनता का विधेयक महत्त्वपूर्ण नहीं है। इनके गठबंधन से एक छोटी सी पार्टी भागकर नहीं चली जाए, इनके लिए इसका बड़ा महत्त्व है।’
मणिपुर के विषय पर गृह मंत्री ने कहा, ‘मैं पहले ही दिन से यहां कह रहा हूं, जितनी भी लंबी चर्चा आपको करनी हो, मणिपुर पर सरकार चर्चा करने के लिए तैयार है। हर चीज का जवाब दिया जाएगा और मैं जवाब दूंगा।’ उन्होंने आरोप लगाए कि दिल्ली सरकार नियमों के साथ काम नहीं कर रही, यह विधानसभा के सत्र और मंत्रिमंडल की बैठक नियमित नहीं बुला रही है।
शाह ने कहा कि देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, बी आर आंबेडकर और कांग्रेस नेता सरदार पटेल, सी राजगोपालाचारी और राजेंद्र प्रसाद ने दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा दिए जाने का विरोध किया था।