युवा महिलाओं में हृदय रोग का खतरा बढ़ने लगा है। चिकित्सकों का कहना है कि उनके पास ऐसी महिला मरीजों की संख्या बढ़ रही है, जो कम उम्र में हृदय संबंधी बीमारियों का सामना कर रही हैं। जीवन-शैली में बदलाव और बढ़ते तनाव के कारण यह समस्या बढ़ती जा रही है। वैसे तो महिला एवं पुरुष दोनों में हृदय रोग होने के कई कारण हो सकते हैं, मगर महिलाओं में यह खतरा कुछ खास कारणों से बढ़ जाता है।
डिजिटल माध्यम से स्वास्थ्य सलाह देने वाली प्रैक्टो के अनुसार हृदय संबंधी बीमारियों के लिए सलाह लेने के मामले 215 प्रतिशत तक बढ़ गए हैं, जिनमें 25-34 वर्ष उम्र की महिलाओं में 57 प्रतिशत ऐसे मामले पाए गए।
अपोलो हॉस्पिटल इंदौर की निदेशक एवं वरिष्ठ इंटरवेंशनल कार्डियोलॉजिस्ट सरिता राव ने कहा कि हृदय रोग के कुछ कारण जैसे उच्च रक्त चाप, कोलेस्ट्रॉल, मधुमेह और मोटापा महिला एवं पुरुषों में लगभग एक जैसे होते हैं।
उन्होंने कहा, ‘मगर कुछ ऐसे कारण हैं जो विशेषकर महिलाओं में हृदय रोग का कारण बन सकते हैं। इनमें गर्भाशय में भ्रूण का नष्ट होना, अवधि पूरी होने से पहले ही शिशु का जन्म और अवसाद आदि ऐसे कारण हैं, जो महिलाओं का जीवन जोखिम में डाल रहे हैं।’ हार्मोन प्रतिस्थापन थेरेपी और गर्भ निरोधक गोलियां भी कभी-कभी हृदय रोग का कारण बन सकते हैं। चिकित्सकों के परामर्श के बिना ये दवाएं नहीं लेनी चाहिए।
अस्पतालों में स्वास्थ्यकर्मी युवा महिलाओं में हृदयाघात की आशंका को नजरअंदाज कर देते हैं। पी डी हिंदुजा हॉस्पिटल ऐंड मेडिकल रिसर्च सेंटर, माहिम में हृदय रोग विशेषज्ञ अमेय उद्यावर कहते हैं, अगर कोई कम उम्र की महिला हृदयाघात का शिकार होती है तो इसके कारण शुरू से ही उसके शरीर में मौजूद होते हैं। युवा पुरुषों की तुलना में युवा महिलाओं में मधुमेह रोग होने की आशंका भी बढ़ गई है।
केरल में आयोजित एसीएस क्विक परीक्षण में कुल 21,374 लोगों में युवा महिलाओं में मधुमेह रोग होने की आशंका (51.3 प्रतिशत जबकि पुरुष में 33.4 प्रतिशत) अधिक पाई गई। इसी तरह, उच्च रक्तचाप का खतरा भी युवा पुरुषों (31.7 प्रतिशत) की तुलना में महिलाओं (47.7 प्रतिशत) में अधिक पाया गया। इस परीक्षण में यह भी पाया गया कि अस्पतालों में महिलाओं में अचानक हृदय संबंधी विकार पैदा होने के अधिक मामले पाए गए।
सर्वेक्षण में भाग लेने वाले इन लोगों में 22 प्रतिशत युवा श्रेणी (50 वर्ष से कम उम्र के) में रखे गए। इस समूह में 614 महिलाएं थीं। इन खतरनाक रुझानों को देखते हुए स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने भारत में पुरुष एवं महिलाओं में अलग-अलग स्तर पर हृदय को स्वस्थ रखने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जाने पर जोर दिया है। पहले ऐसा समझा जाता था कि पीरियड की उम्र में महिलाओं में पाए जाने वाला एस्ट्रोजन कम उम्र में हृदयाघात के खतरे से बचाता है।
हालांकि राव ने कहा कि इन दिनों जीवन-शैली में बदलाव से यह रुझान भी बिगड़ गया है और पहले की तुलना में अब महिलाएं हृदय संबंधी विकारों का अधिक सामना कर रही हैं। उन्होंने अमेरिका में किए गए एक अध्ययन का हवाला दिया जिससे यह संकेत मिला कि जिन युवा महिलाओं को हृदयाघात आए हैं वे अपनी ही उम्र के पुरुषों की तुलना में अधिक मुश्किलों का सामना कर सकती हैं।
मैक्स सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, साकेत में निदेशक एवं प्रमुख, ट्रांसरेडियल इंटरवेंशनल प्रोग्राम इन कार्डियोलॉजी, राजीव राठी के अनुसार जीवन शैली में बदलाव, अधिक धूम्रपान, अधिक तनाव, व्यायाम आदि का अभाव और कम उम्र में ही मधुमेह की बीमारी होना महिलाओं में हृदय रोग का कारण बन रहे हैं।
डॉक्टरों से परामर्श
उम्र संख्या (प्रतिशत)
25 से 34 57
35 से 44 25
18 से 24 07
45 से 54 06
55 से 64 02
18 से कम 03
डॉक्टरी परामर्श: पुरुष 78 और महिला 22 प्रतिशत, स्रोत– प्रैक्टो