नैसकॉम की अध्यक्ष और सैप लैब्स इंडिया की प्रमुख सिंधु गंगाधरन का मानना है कि भारत को सिर्फ टेक्नोलॉजी और सेवाओं का निर्यात करने वाले देश के बजाय एक उत्पाद राष्ट्र और प्रौद्योगिकी निर्माता के रूप में पहचान मिलनी चाहिए। नैसकॉम के नोएडा ऑफिस में आशिष आर्यन के साथ एक साक्षात्कार में गंगाधरन ने कहा कि टैरिफ कीअनिश्चितताओं के बावजूद वैश्विक कंपनियां अभी भी भारत में निवेश जारी रखने की संभावनाएं देख रही हैं, जिसका अंदाजा भारत में स्थापित हो रहे जीसीसी में शानदार तेजी से लगाया जा सकता है। प्रमुख अंश …
वीजा और टैरिफ को लेकर पहले से ही बहुत अनिश्चितता है और अब युद्ध आ गया है। नैसकॉम सॉफ्टवेयर उद्योग के लिए इन मुद्दों से कैसे निपट रहा है?
हम 280 अरब डॉलर के तकनीकी उद्योग के बारे में बात कर रहे हैं। मुख्य बातचीत वास्तव में दुनिया भर में हो रहे सभी भू-राजनीतिक परिवर्तनों के बारे में है। प्रत्येक सीईओ (मुख्य कार्यकारी अधिकारी) या सीआईओ (मुख्य सूचना अधिकारी) के साथ बातचीत प्रौद्योगिकी के इर्द-गिर्द होती है, जिसमें राजनीति, टैरिफ और व्यापार युद्धों का जिक्र होता है। टैरिफ हमारे उद्योग को सीधे तौर पर उस तरह से प्रभावित नहीं कर रहे हैं जिस तरह से वे वस्तुओं और सेवाओं को प्रभावित करते हैं। कहने का मतलब है, इसका परोक्ष प्रभाव है। जब टेक्नोलॉजी की बात आती है तो दुनिया भर में हर कोई भारत को एक तटस्थ, विश्वसनीय, मजबूत तकनीक प्रदाता के रूप में देखता है।
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बौद्धिक संपदा निर्माण और अधिक पेटेंट रखने के मामले में टेक सर्विस उद्योग क्या कर सकता है?
हमारे पास दुनिया का बैक ऑफिस होने की विरासत है। इसमें अभी भी कुछ सच्चाई है, जिसे हम बदलने की कोशिश कर रहे हैं। मुख्य सवाल यह है कि युवा लोग यह समझें कि हम जो कर रहे हैं वह क्यों कर रहे हैं? यह एक मानसिक बदलाव भी है। हमारे जैसे देश में माइंडसेट बदलने में अधिक समय लगता है। लेकिन हम इस पर काम कर रहे हैं। नैसकॉम में, हमारी सबसे बड़ी आकांक्षाओं में से एक है भारत को उत्पाद राष्ट्र बनाना, सेवाओं, उत्पाद कंपनियों से सर्वश्रेष्ठ प्रणालियों को लाना और इन्हें सभी के लिए उपलब्ध कराना।
आर्टिफिशल इंटेलिजेंस (एआई) के कारण सेवा उद्योग की एक नई पहचान की जरूरत है। नैसकॉम और आईटी उद्योग अगले पांच वर्षों में इसके लिए कितने तैयार हैं?
हमने जो किया है वह यह है कि हमने फ्यूचर प्राइम प्लेटफॉर्म पर समर्पित वैकल्पिक विषय रखे हैं, जो एआई पर केंद्रित है। यह महज सैद्धांतिक एआई सामग्री नहीं है। मैं वास्तव में कोर स्किल्स की बात कर रही हूं, जिसे बिनार-तकनीकी पृष्ठभूमि से आने वाले प्रैक्टिशनरों के लिए भी लागू किया जा सकता है। हम उद्योग से ठोस उपयोग के मामले भी ला रहे हैं क्योंकि यही आगे बढ़ने वाला एक खास बदलाव हो सकता है। नैसकॉम में हम माइक्रोसॉफ्ट, गूगल, एडब्ल्यूएस (एमेजॉन वेब सर्विसेज), फ्रैक्टल या सैप जैसी कंपनियों को एक प्लेटफॉर्म पर ला रहे हैं।
भारत में महिलाएं टेक्नोलॉजी परिदृश्य का प्रमुख हिस्सा हैं। लेकिन अध्ययनों से पता चलता है कि स्वचालन (विशेष रूप से एआई के कारण) महिलाओं को अधिक प्रभावित करेगा। इस बारे में आपकी क्या राय है?
जब आप देखते हैं कि एआई पुरुषों की तुलना में महिलाओं को अधिक प्रभावित कर रहा है, तो यह अधिक विकसित देशों में उनके द्वारा किए जा रहे काम की प्रकृति के कारण हो सकता है। इसकी भारत के साथ तुलना नहीं हो सकती है। हालांकि, इसमें सचाई है। अधिक क्लेरिकल भूमिकाओं से महिलाएं विस्थापित हो रही हैं, इसमें कोई संदेह नहीं है। टेक में, मुझे लगता है कि एआई ज्यादा समानता लाने वाला है। लेकिन हम टेक में अधिक महिलाओं को रोल मॉडल और मेंटरशिप प्रोग्राम से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं।