Right to Disconnect Bill: संसद के निचले सदन यानी लोकसभा में शुक्रवार, 5 दिसंबर 2025 को प्राइवेट मेंबर बिल (PMB) के रूप में ‘राइट टू डिसकनेक्ट बिल 2025 (Right to Disconnect Bill 2025)’ पेश किया गया। यह बिल NCP सांसद सुप्रिया सुले द्वारा पेश किया गया। प्राइवेट मेंबर बिल उस सांसद द्वारा पेश किया जाता है जो किसी मंत्री पद पर न हो। भारतीय संसदीय व्यवस्था में ऐसे सांसद को ‘प्राइवेट मेंबर’ कहा जाता है, चाहे वह सत्ता पक्ष का हो या विपक्ष का।
बिल का उद्देश्य कर्मचारियों को काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखने का अधिकार देना है। इसके अनुसार, कर्मचारी को ऑफिस टाइम के बाद ईमेल, कॉल या मैसेज का जवाब देने की बाध्यता नहीं होगी। इसके साथ ही, ऑफ-ऑफिस समय में उपलब्ध न रहने पर कोई अनुशासनात्मक कार्रवाई नहीं होगी।
इस बिल में कंपनियों को कर्मचारी कल्याण समिति बनाने और नियमों का पालन न करने पर कर्मचारियों के कुल वेतन का 1 प्रतिशत जुर्माना देने की बात भी कही गई है। राज्य सरकारें डिजिटल डिटॉक्स सेंटर भी बनाएंगी, ताकि लोगों को डिजिटल उपकरणों का संतुलित और सुरक्षित उपयोग सिखाया जा सके।
भारत में पेश यह बिल केवल एक शुरुआत है। दुनिया के कई देशों में पहले से ही ‘राइट टू डिसकनेक्ट’ कानून लागू हैं, जो कर्मचारियों को डिजिटल उपकरणों से दूर होने का अधिकार देते हैं।
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फ्रांस:
2017 में फ्रांस दुनिया का पहला देश बना जिसने कर्मचारियों को डिजिटल उपकरणों से दूर होने का अधिकार देने वाला कानून बनाया। इसमें 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों को आफ्टर-आवर्स ईमेल और कॉल के लिए नियम बनाने पड़ते हैं।
बेल्जियम:
2023 से 20 या उससे अधिक कर्मचारियों वाली कंपनियों के लिए औपचारिक नियम बनाना अनिवार्य है। नियमों में आराम के समय और डिजिटल उपकरणों के इस्तेमाल की स्पष्ट सीमाएं तय होती हैं।
स्पेन:
स्पेन ने राइट टू डिसकनेक्ट को श्रम और टेलीवर्क कानूनों में शामिल किया है। नियमों का पालन न करने पर कंपनियों पर कानूनी कार्रवाई हो सकती है।
पुर्तगाल:
पुर्तगाल में नियम सबसे सख्त हैं। यहां कर्मचारियों से बिना इमरजेंसी संपर्क करना गैरकानूनी है। कर्मचारियों को रोजाना 11 घंटे का लगातार आराम सुनिश्चित किया गया है।
इटली और ग्रीस:
ये देश मुख्य रूप से दूरस्थ काम के लिए नियम लागू करते हैं। हर रिमोट या फ्लेक्सिबल काम के कॉन्ट्रैक्ट में आराम के समय और डिजिटल उपकरणों से अलग होने के उपाय तय किए जाते हैं। ग्रीस में कानून यह भी सुनिश्चित करता है कि राइट टू डिसकनेक्ट का पालन करने वाले कर्मचारियों के साथ कोई भेदभाव न हो।
ऑस्ट्रेलिया:
हाल ही में ऑस्ट्रेलिया में कानून आया है, जिसमें कर्मचारी आफ्टर-आवर्स कॉल, मैसेज और ईमेल का जवाब देने से इनकार कर सकते हैं। यदि कोई विवाद होता है तो कर्मचारी फेयर वर्क कमीशन तक शिकायत दर्ज कर सकते हैं।
आजकल काम का दबाव इतना बढ़ गया है कि कर्मचारी अक्सर तनाव और थकान महसूस करते हैं और उनकी नींद भी प्रभावित होती है। “Telepressure” यानी हर समय ईमेल या मैसेज का तुरंत जवाब देने का दबाव भी कर्मचारियों के जीवन और निजी समय को प्रभावित करता है। ऐसे में काम और निजी जीवन के बीच संतुलन बनाए रखना कर्मचारियों के मानसिक स्वास्थ्य और काम करने की क्षमता के लिए बहुत जरूरी है।