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राज्यों में इलेक्ट्रिक बसों की मांग सुस्त

फेम-2 10,000 करोड़ रुपये के आबंटन के साथ तीन साल के लिए शुरू हुई थी

Last Updated- February 14, 2023 | 11:39 PM IST
Indifference of bus manufacturers, no interest in government contracts

सार्वजनिक परिवहन में इलेक्ट्रिक बसों के इस्तेमाल के लिए चलाई गई फेम योजना समाप्त होने को है, वहीं इसके लिए राज्यों की मांग बहुत सुस्त है। फास्टर एडॉप्शन ऐंड मैन्युफैक्टरिंग ऑफ (हाइब्रिड ऐंड) इलेक्ट्रिक व्हीकल्स (फेम) योजना के तहत राज्यों द्वारा कुल 7,090 बसें चलाई जानी थीं, लेकिन अब तक लक्ष्य का 31 प्रतिशत यानी सिर्फ 2,232 बसें ही चलाई गई हैं।

इसे देखते हुए भारी उद्योग मंत्रालय राज्यों द्वारा ज्यादा बसों के ऑर्डर करने पर जोर दे रहा है, जिससे लक्ष्य हासिल किया जा सके। मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इस कैलेंडर वर्ष के अंत तक मंत्रालय ने करीब 3,000 बसें तैनात करने का लक्ष्य रखा है।’ इस साल का लक्ष्य हासिल करने की कवायद में मंत्रालय महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश, कर्नाटक जैसी राज्य सरकारों से संपर्क कर रहा है। अब तक मंत्रालय को 1,506 बसों के ऑर्डर मिल भी गए हैं।

अप्रैल 2019 में फेम-2 शुरू किए जाने के बाद से मंत्रालय ने 6315 इलेक्ट्रिक बस स्वीकृत किए हैं, जो 65 शहरों, एसटीयू, राज्य सरकार की इकाइयों में शहर के भीतर आवाजाही के लिए लगाई जानी हैं। बहरहाल लोकसभा में पिछले सप्ताह भारी उद्योग राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने कहा कि विभाग को महज 3,738 बसों के टेंडर मिले हैं।

फेम-2 योजना 10,000 करोड़ रुपये के आबंटन के साथ तीन साल के लिए शुरू की गई थी, लेकिन उसके बाद इसकी तिथि बढ़ाकर मार्च, 2024 कर दी गई। अधिकारी ने कहा, ‘हमारा लक्ष्य नहीं पूरा हुआ, क्योंकि हम राज्य सरकारों के ऑर्डर पर निर्भर हैं। राज्य सरकारों ने इलेक्ट्रिक बसें खरीदने में कम रुचि दिखाई है। तमिलनाडु, राजस्थान, मध्य प्रदेश और पंजाब जैसे कुछ राज्यों ने इसमें थोड़ी रुचि दिखाई।’

एमएचआई राज्य सरकारों से आवेदन लेता है और उसके बाद इलेक्ट्रिक बसों के विनिर्माताओं को टेंडर जारी करता है। राज्य महंगी बसें खरीदने को लेकर सुस्त हैं। एक इलेक्ट्रिक बस की कीमत 1.2 करोड़ रुपये है, जो डीजल बसों से पांच गुनी महंगी है।

भारत सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों पर जोर दे रही है, क्योंकि भारत में ऊर्जा से जुड़े कार्बनडाई ऑक्साइड के उत्सर्जन में परिवहन क्षेत्र की हिस्सेदारी 13.5 प्रतिशत है। 2020 में प्रकाशित इंटरनैशनल एनर्जी एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक इसमें सड़क परिवहन की हिस्सेदारी 90 प्रतिशत है।

फेम योजना के तहत ई-बसों पर 20,000 रुपये प्रति किलोवाट सब्सिडी दी जाती है, जो बस की फैक्टरी कीमत 2 करोड़ रुपये तक का अधिकतम 40 प्रतिशत मिल सकता है।

फेम-2 के दिशानिर्देशों के मुताबिक ई-बस में बैटरी का आकार लगभग 250 केडब्ल्यूएच है। देश में बिकी ज्यादातर ई-बसों पर फेम सब्सिडी मिली हुई है। फेम-2 योजना के तहत बसों के लिए कुल 3,545 करोड़ रुपये मिले हैं।

First Published - February 14, 2023 | 11:16 PM IST

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