महंगाई को नियंत्रित करना और महंगाई की उम्मीदों को संभालना शायद दुनिया भर के नीति निर्माताओं के लिए सबसे बड़ी चुनौती बन गया है। उदाहरण के लिए अमेरिका में महंगाई की दर मई में चार दशक के सबसे ऊंचे स्तर पर पहुंच गई। फेडरल रिजर्व महंगाई नियंत्रित करने के लिए मौद्रिक और वित्तीय स्थितियों को […]
इस समय देश के नीति निर्माताओं के सामने सबसे बड़ी चुनौती यह है कि अर्थव्यवस्था को सतत उच्च वृद्धि के मार्ग पर कैसे ले जाया जाए। यह सही है कि उत्पादन का स्तर महामारी के पहले के स्तर को पार कर चुका है लेकिन बीते दो वर्षों में कोविड महामारी ने जो दिक्कतें पैदा कीं, […]
सरकार द्वारा अनाम डेटा का इस्तेमाल चिंताजनक : गूगल
गूगल के चीफ प्राइवेसी ऑफिसर कीथ एनराइट ने नीति निर्माताओं से एनॉनिमाइज्ड डेटा (अनाम डेटा) की बिक्री और डेटा के स्थानीयकरण के जोखिमों पर विचार करने को कहा है। उनका कहना है कि इससे उपभोक्तों की निजता पर असर पड़ सकता है और वैश्विक रूप से वितरित क्लाउड्स के लाभों में व्यवधान आ सकता है। […]
गत सप्ताह जारी हुई भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) की मुद्रा एवं वित्त संबंधी नयी रिपोर्ट (आरसीएफ) में वृहद आर्थिक प्रबंधन का एक काबिलेतारीफ विश्लेषण आधारित आकलन पेश किया गया है जिसमें नीतिगत हस्तक्षेप का मध्यम अवधि का खाका मौजूद है। हालांकि यह रिपोर्ट केंद्रीय बैंक का आधिकारिक रुख प्रकट नहीं करती लेकिन फिर भी नीति […]
अखिल भारतीय सेवाएं और प्रांतीयता पर जोर
देश की संवैधानिक बुनियादों में और सरकार के वास्तविक कामकाज में अखिल भारतीय सेवाओं की अहम भूमिका है और उन्हें सही मायनों में अखिल भारतीय चरित्र दिखाना और निबाहना होता है। परंतु हाल के दशकों में उनके अखिल भारतीय चरित्र में गिरावट आई है। इसका सरकार की मानव संसाधन से संबद्ध विचार तथा विकेंद्रीकरण की […]
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा देशव्यापी लॉकडाउन (तब आम सोच यही थी कि लॉकडाउन लगाकर संक्रमण का सिलसिला रोका जा सकेगा) की घोषणा किए जाने के दो वर्षों बाद भी महामारी का पूरी तरह अंत नहीं हुआ है। वायरस का ओमीक्रोन स्वरूप अभी भी फैल रहा है और दुनिया के कई हिस्सों में संक्रमण के मामले […]
सरकार के पूंजीगत व्यय की गति पर्याप्त तेज नहीं
महामारी और वैश्विक वृहद आर्थिक वजहों सहित कई कारणों से सरकार के पूंजीगत व्यय की गति उतनी तेज नहीं हो पा रही है, जितनी नीति निर्माता चाहते थे। उपलब्ध आंकड़ों व अधिकारियों की राय से यह सामने आया है। महामारी के पांव पसारने के बाद अप्रैल-जून 2020 में अर्थव्यवस्था सुस्त पड़ गई और केंद्र सरकार […]
बजट प्रस्तुति के पश्चात बॉन्ड मजबूती का कारण
अर्थव्यवस्था कोविड-19 महामारी की छाया से उबर रही है और नीति निर्माताओं तथा बाजार के लिए यह जरूरी हो गया है कि वे महामारी के कारण उत्पन्न आर्थिक क्षति का आकलन करें तथा अपनी राजकोषीय एवं मौद्रिक प्रतिक्रिया को नए सिरे से तय करें। महामारी के दौरान नीति निर्माताओं को यह अनुमान लगाना पड़ा कि […]
देश के नागरिकों और कारोबारियों को महामारी की दिक्कत से संरक्षित करने के लिए नीतियां बनाने वाले नीति निर्माताओं के समक्ष एक बड़ी बाधा यह है कि उनके पास उच्च गुणवत्ता वाले आंकड़ों का अभाव है। जब यही पता नहीं होगा कि इस असाधारण संकट ने आम परिवारों और कारोबारी गतिविधियों को किस तरह प्रभावित […]
जमीनी हकीकत से वाकिफ हों नीति-निर्माता
उच्चतम न्यायालय ने विभिन्न राज्यों द्वारा कोरोनावायरस रोधी टीकों की खरीद के लिए वैश्विक निविदाएं जारी करने के बीच आज केंद्र से पूछा कि उसकी टीका प्राप्त करने की नीति क्या है? इसके साथ ही उसने टीकाकरण से पहले कोविन ऐप पर पंजीकरण कराने की अनिवार्यता पर भी सवाल उठाए और कहा कि नीति निर्माताओं […]