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बैंक

2 हजार के नोट हो रहे कम

वित्तीय तंत्र से 2,000 रुपये के नोट धीरे-धीरे हटाए जा रहे हैं। इससे सीधा संकेत मिलता है कि बैंकिंग नियामक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) बड़े मूल्य के नोट पर लेनदेन से जुड़ी निर्भरता कम करना चाहता है। वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद 2,000 रुपये के नोट वित्तीय तंत्र में उतारे गए थे। मार्च 2018 […]

लेख

अर्थव्यवस्था नहीं अन्य मुद्दे अहम

सन 1992 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुनाव प्रचार के दौरान बिल क्लिंटन ने एक ऐसा जुमला बोला था जो अमर हो गया। उन्होंने कहा था, ‘यह अर्थव्यवस्था का मामला है, मूर्ख!’ क्या भारत में नरेंद्र मोदी पर यह कारगर होगा? लोकतांत्रिक देशों में चुनाव दर चुनाव यह जुमला दोहराया गया। इस विचार में दम था […]

अर्थव्यवस्था

डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं कदम

पिछले दशक में भुगतान क्षेत्र में काफी बदलाव आए और नोटबंदी तथा कोविड-19 महामारी से देश में डिजिटल भुगतान में तेजी के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का कहना है कि देश को नकदी आधारित अर्थव्यवस्था से डिजिटल अर्थव्यवस्था में तब्दील करने की प्रक्रिया अभी अधूरी है। वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान 96 लाख करोड़ […]

लेख

लगातार घटते रोजगार और सुधार की धीमी रफ्तार

सरकार ने अनुमान जताया है कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में अर्थव्यवस्था की स्थिति में सुधार आएगा। पहली छमाही में वास्तविक सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) पिछले वर्ष की समान अवधि के जीडीपी की तुलना में 15.7 फीसदी कम हुआ। सरकार को आशा है कि दूसरी छमाही में जीडीपी में उतनी गिरावट नहीं आएगी। […]

बाजार

2021 में रह सकता है मिड, स्मॉलकैप का दबदबा

कैलेंडर वर्ष 2021 मिडकैप व स्मॉलकैप के लिए अहम रह सकता है। यह कहना है विश्लेषकों का, जिन्हें उम्मीद है कि बीएसई मिडकैप व स्मॉलकैप सूचकांक करीब दो साल के अंतराल के बाद नए उच्चस्तर को छू लेगा। विश्लेषकों ने बाजार में रुक-रुककर हो रही गिरावट को लेकर चेताया, लेकिन कहा कि बाजार में बढ़त […]

ताजा खबरें

नोटबंदी के बाद बढ़ गई शिशु मृत्यु दर

अर्थशास्त्री ज्यां द्रेज, आशीष गुप्ता, साई अंकित पराशर और कनिका शर्मा द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार वर्ष 2016 में नोटबंदी के बाद शिशु मृत्यु दर कम करने का भारत का प्रयास कमजोर पड़ा है और वर्ष 2017 में शिशु मृत्यु दर बढ़कर 2.9 प्रतिशत तथा वर्ष 2018 में 3.1 प्रतिशत हो गई है। हालांकि […]

लेख

नाकाम रही नोटबंदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा राष्ट्रीय टेलीविजन पर रातोरात 500 और 1,000 रुपये के नोट बंद करने की घोषणा को चार वर्ष बीत चुके हैं। बीते वर्षों में नोटबंदी चर्चा का महत्त्वपूर्ण विषय रही है। बहरहाल, यह कहना सही होगा कि नोटबंदी एक विवादास्पद नीतिगत हस्तक्षेप था और इससे शायद ही कोई लाभ हुआ हो। इसके […]

लेख

रोजगार दर निर्धारण को नीतिगत लक्ष्य बनाने का आ गया वक्त

श्रम बाजार के आंकड़े सितंबर 2020 में कुछ हद तक बेहतर हुए हैं। बेरोजगारी दर अगस्त के 8.4 फीसदी से गिरकर सितंबर में 6.7 फीसदी पर आ गई। यह पिछले 18 महीनों की सबसे कम बेरोजगारी दर है। अधिक महत्त्वपूर्ण बात यह है कि उस महीने में रोजगार दर भी करीब 38 फीसदी पर पहुंच […]

लेख

बदलाव का अवसर

नरेंद्र मोदी अगले सप्ताह 70 वर्ष के हो जाएंगे। वह छह वर्ष से अधिक समय से देश के प्रधानमंत्री हैं और इससे पहले करीब 13 वर्ष बतौर मुख्यमंत्री काम कर चुके हैं। उन्होंने गुजरात की अर्थव्यवस्था को बेहतर बनाया और कई मानकों पर उसका प्रदर्शन बेहतर किया। भले ही वह उतना अधिक न हो जितना […]

लेख

अर्थशास्त्रियों को सुनें

भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि पर महामारी का प्रभाव अन्य बड़ी अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में कहीं अधिक रहा। यह बात हाल ही में जारी सरकारी आंकड़ों से भी साबित होती है। अब जबकि देश भर में आर्थिक गतिविधियां दोबारा नए सिरे से शुरू हो रही हैं तो कुछ हद तक सुधार हो सकता है लेकिन यह […]