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डिजिटल अर्थव्यवस्था की ओर तेजी से बढ़ रहे हैं कदम

Last Updated- December 12, 2022 | 9:12 AM IST

पिछले दशक में भुगतान क्षेत्र में काफी बदलाव आए और नोटबंदी तथा कोविड-19 महामारी से देश में डिजिटल भुगतान में तेजी के बावजूद भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) का कहना है कि देश को नकदी आधारित अर्थव्यवस्था से डिजिटल अर्थव्यवस्था में तब्दील करने की प्रक्रिया अभी अधूरी है।
वित्त वर्ष 2010-11 के दौरान 96 लाख करोड़ रुपये वैल्यू के 4.98 अरब के लेनदेन से बढ़कर डिजिटल भुगतान वित्त वर्ष 2019-20 में 3,435 लाख करोड़ रुपये की वैल्यू के साथ 16.23 अरब लेनदेन पर पहुंच गया। इससे मात्रा और वैल्यू के संदर्भ में 12.54 प्रतिशत और 43 प्रतिशत की सालाना वृद्घि दर का पता चलता है।
सभी क्षेत्रों और समाज के वर्गों में डिजिटल भुगतान की लोकप्रियता बढऩे के बावजूद, इसे अपनाने की दर में डिजिटल वित्तीय जागरुकता और डिजिटल वित्तीय साक्षरता के अभाव के कारण अंतर रहा है। आरबीअपाई ने पेमेंट सिस्टम्स इन इंडिया 2010-2020 पर अपनी पुस्तिका में कहा है, ‘भुगतान प्रणाली में उपयोगकर्ताओं की विविधता को देखते हुए अभी भी इस दिशा में लंबी यात्रा की जानी बाकी है, खासकर सभी भूभागों (टियर-3-6 केंद्रों) और समाज के सभी वर्गों (जैसे वरिष्ठ नागरिक और प्रवासी श्रमिक) में इसकी लोकप्रियता में इजाफा किया जाना बाकी है।’ इसलिए, केंद्रीय बैंक का मानना है कि डिजिटल वित्तीय जागरूकता और डिजिटल वित्तीय साक्षरता में लक्षित दृष्टिकोण की जरूरत है, जिससे कि इसके दायरे में सभी संभावित क्षेत्र और उपयोगकर्ता सेगमेंट को लाया जा सके और डिजिटल भुगतान प्रणाली अपनाने के अपेक्षित स्तर को हासिल करने के प्रयासों को बल मिल सके।
इसी तरह, अन्य चुनौतियों के संदर्भ में आरबीआई ने कहा कि जहां स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल भुगतान क्षेत्र में कई विकल्प हैं, वहीं गैर-स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए इनका अभाव है। आरबीआई ने कहा है, ‘ऐसे नवाचार की गुंजाइश बरकरार है, जो उन गैर-स्मार्टफोन उपयोगकर्ताओं के लिए डिजिटल भुगतान उत्पादों की पेशकश कर सकें।’
केंद्रीय बैंक ने कहा है, ‘मोबाइल और स्टोर्ड वैल्यू कम्पोनेंट के जरिये ऑफलाइन भुगतान के विकल्प से डिजिटल भुगतान के चलन को और बढ़ावा मिलने की संभावना है।’

First Published - January 25, 2021 | 11:35 PM IST

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