facebookmetapixel
Editorial: रक्षा खरीद में सुधार, प्राइवेट सेक्टर और इनोवेशन को मिलेगा बढ़ावा2026 में आने वाले तीन आईपीओ भारतीय कंपनियों के लिए लिखेंगे नई कहानीभारत का रणनीतिक पुनर्संतुलन: एक देश पर भरोसा छोड़, कई देशों से गठजोड़ को तरजीहसुप्रीम कोर्ट ने वनतारा में जानवर लाने के मामले में दी क्लीनचिट, किसी नियम का उल्लंघन नहीं पाया26 अक्टूबर से खुलेगा इंदिरा गांधी एयरपोर्ट का टर्मिनल 2, नए फीचर्स से यात्रियों को मिलेगी सहुलियतसुप्रीम कोर्ट ने निर्वाचन आयोग को चेताया, सूची में गड़बड़ी मिली तो एसआईआर रद्दNepal: सुशीला के समक्ष कई चुनौतियां; भ्रष्टाचार खत्म करना होगा, अर्थव्यवस्था मजबूत करनी होगीPM मोदी ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ की सफलता पर सशस्त्र बलों की सराहना की, चुनौतियों से निपटने को इनोवेशन पर जोरथाली महंगी होने से अगस्त में थोक महंगाई 0.52% पर, 4 महीने का उच्च स्तर; प्याज-आलू सस्ते पर गेहूं-दूध महंगेरेलवे को निजी क्षेत्र से वैगन खरीदने में आ रहीं कई दिक्कतें, पहियों की कमी व आयात निर्भरता बड़ी चुनौती

डिजिटल दौर में बदलती हिंदी: हिंग्लिश और जेनजी स्टाइल से बदल रही भाषा की परंपरा

मौजूदा डिजिटल दौर में बहुत सारी चीजों के साथ हिंदी भाषा में भी बदलाव आया है, वह अपनी पारंपरिक विरासत को भी सहेज रही है और तकनीक के इस नए दौर के साथ भी कदमताल कर रही है

Last Updated- September 14, 2025 | 10:15 PM IST
HINDI diwas
प्रतीकात्मक तस्वीर | फाइल फोटो

डिजिटल दौर में जब हर चीज तकनीक से जुड़ी है तब हमारी भाषा भला उससे अछूती कैसे रह सकती है। यही वजह है कि इस डिजिटल समय में और डिजिटल माध्यमों पर हिंदी में भी परिवर्तन देखने को मिल रहा है। पारंपरिक साहित्यिक और सरल हिंदी के बजाय अब युवा ऐसी भाषा बरत रहे हैं जो सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के मुताबिक अधिक नई और त्वरित है। इतना ही नहीं हिंदी में तकनीकी शब्दों का प्रयोग तथा शब्दों के संक्षिप्त रूप का चलन भी बढ़ गया है।

इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स ने युवा लेखकों को एक नया लोकतांत्रिक मंच भी मुहैया कराया है जहां वे अपनी मनचाही हिंदी में अपने मन की भावनाओं को प्रकट कर सकते हैं। इसने संवाद की एक सर्वथा नई भाषा को जन्म दिया है। इसमें एक हिस्सा हिंग्लिश का भी है जहां हिंदी और अंग्रेजी के मिलेजुले शब्दों के माध्यम से संदेश को अधिक तेज और संप्रेषणीय बनाने का प्रयास किया जाता है।

जेनजी की हिंदी

जेनजी यानी 1997 से 2012 के बीच पैदा हुई पीढ़ी एक अलग तरह की हिंदी का प्रयोग करती है। डिजिटल माध्यमों पर हिंदी केवल कविता-कहानी या लेख तक सीमित नहीं है। यहां हिंदी फेसबुक पोस्ट से लेकर एक्स, यूट्यूब इंस्टाग्राम रील्स और स्टोरीज तथा व्लॉग्स तक कई जगह विस्तारित है। इन सभी मंचों पर सक्रिय युवा अपनी-अपनी क्षेत्रीय पुट वाली हिंदी के साथ एक अलग तरह की अंग्रेजी मिश्रित हिंदी का प्रयोग करते हैं। उदाहरण के लिए : ‘आज थोड़ा लो फील हो रहा है,’ ‘मैंने कल लाइव स्ट्रीमिंग की,’ ‘हमारी वाइब्स मैच नहीं हो रहीं’। ये सारे वाक्य उन युवाओं के लिए हिंदी हैं और अगर उनसे कह दिया जाए कि ये हिंदी नहीं है तो वे सोच में पड़ जाएंगे।  

हिंदी साहित्य पर असर

हिंद युग्म प्रकाशन के संस्थापक और प्रधान संपादक शैलेश भारतवासी ने बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा, ‘डिजिटल दौर में हिंदी साहित्य की भाषा बहुत अधिक नहीं बदली है लेकिन कुछ परिवर्तन हैं जिन्हें रेखांकित किया जा सकता है। उदाहरण के लिए अब साहित्य में वर्तमान की प्रवृत्तियां अधिक आ रही हैं। पहले जहां मानक हिंदी या कहें शास्त्रीय हिंदी ही रचनाओं की भाषा हुआ करती थी, वहीं अब हिंदी प्रदेशों की अपनी भदेस हिंदी भी साहित्य में आ रही है बल्कि कहें कि उसकी ही मांग है।

उदाहरण के लिए राजस्थान, हरियाणा या बिहार की अपनी एक अलग तरह की हिंदी है। साहित्य में उसका चलन बढ़ा है। युवा लेखक पारंपरिक हिंदी के बजाय प्रयोगवादी भाषा का इस्तेमाल कर रहे हैं।’ भारतवासी हिंदी सिनेमा में क्षेत्रीय कहानियों के बढ़ते चलन से साहित्यिक चलन को जोड़ते हुए कहते हैं, ‘जिस तरह साहित्य में छोटे शहरों की कहानियों की मांग अचानक बढ़ी है और जो उन्हें अधिक विश्वसनीय बना रही है, उसी तरह हिंदी साहित्य में भी देसी भाषाओं का मिश्रण बढ़ा है।’

वरिष्ठ कवि अनिल करमेले कहते हैं, ‘साहित्य की भाषा भी अब बदल रही है। नए अनुभवों के साथ नई भाषा सामने आ रही है।  दलित, स्त्री, एलजीबीटीक्यू और आदिवासी अनुभवों को साहित्य में जगह मिल रही है। ये अनुभव अपने साथ अपनी खास भाषा भी ला रहे हैं। तो भाषा में बदलाव तो आ रहा है और उसके लिए कहीं न कहीं डिजिटल माध्यमों की प्रसार क्षमता और अनुभवों की व्यापकता भी एक वजह है।’

डिजिटल हिंदी और बाजार

डिजिटल माध्यमों पर हिंदी के प्रयोग और स्मार्टफोन्स के बढ़ते इस्तेमाल ने इस डिजिटल हिंदी को बाजार से भी जोड़ने का काम किया है। अब विभिन्न ई-कॉमर्स वेबसाइट से लेकर ऐप्स, वेबसाइट और ईगवर्नेंस साइट आदि सभी हिंदी में इंटरफेस मुहैया करा रहे हैं ताकि आबादी के बड़े हिस्से को अपने साथ जोड़ सकें। वॅायस असिस्टेंट, चैटबॉट और अनुवाद के टूल्स हिंदी में बहुत बेहतर काम करने लगे हैं।

इन्फ्लुएंसर्स की भाषा

समाचार पोर्टल, ब्लॉग, पॉडकास्ट और यूट्यूब चैनलों पर जहां पहले अंग्रेजी का वर्चस्व था, वहीं अब इनमें हिंदी का बोलबाला है। इन्फ्लुएंसर्स और कंटेंट क्रिएटर्स की एक पूरी पीढ़ी सामने है जो हिंदी भाषा की मदद से अच्छे खासी कमाई कर रही है। इन्होंने इंटरनेट पर एक नई सांस्कृतिक लहर पैदा की है। ये इन्फ्लुएंसर्स अपनी-अपनी हिंदी में कला, विज्ञान, तकनीक, शिक्षा और मनोरंजन समेत तमाम विषयों पर सफलतापूर्वक सामग्री पोस्ट कर रहे हैं औरअच्छी खासी आय अर्जित कर रहे हैं।

इस डिजिटल दौर में हिंदी का इस्तेमाल लगातार बढ़ रहा है। पहले जहां अंग्रेजी सामग्री का वर्चस्व था, वहीं अब हिंदी कंटेंट के लिए अलग दर्शकों का वर्ग तेजी से तैयार हुआ है। खासकर छोटे शहरों और कस्बों से आने वाले यूजर्स सोशल मीडिया पर हिंदी कंटेंट को प्राथमिकता देते हैं।  

First Published - September 14, 2025 | 10:14 PM IST

संबंधित पोस्ट