अमेरिका के साथ व्यापार पर तकरार से हर तरफा नाउम्मीदी फैली है मगर चालू वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में स्मार्टफोन का निर्यात सारे रिकॉर्ड तोड़कर 1 लाख करोड़ रुपये के पार चला गया। विक्रेताओं और उद्योग से सरकार को मिले आंकड़ों से पता चला कि निर्यात को उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना से ज्यादा रफ्तार मिली।
यह आंकड़ा पिछले वित्त वर्ष के पांच महीनों में हुए निर्यात के मुकाबले 55 फीसदी अधिक है। अप्रैल से सितंबर 2024 में 64,500 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन निर्यात हुए थे। ऐपल के लिए ठेके पर आईफोन बनाने वाली दो कंपनियों टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स और फॉक्सकॉन ने इस दौरान 75,000 करोड़ रुपये से अधिक के स्मार्टफोन निर्यात किए यानी कुल स्मार्टफोन निर्यात में करीब 75 फीसदी योगदान इन्हीं दो कंपनियों का रहा।
वित्त वर्ष 2022-23 में कुल 90,000 करोड़ रुपये के स्मार्टफोन निर्यात हुए थे। इस हिसाब से इस वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों में ही 10 फीसदी ज्यादा निर्यात हो चुका है। स्मार्टफोन निर्यात पर पीएलआई योजना का प्रभाव इस बात से भी पता चलता है कि वित्त वर्ष 2023 के बाद हर साल निर्यात में करीब 50 फीसदी या ज्यादा वृद्धि दर्ज की गई है। स्मार्टफोन पीएलआई योजना के समर्थक लंबे समय से कहते रहे हैं कि स्मार्टफोन उत्पादन मूल्य में दुनिया भर में छाना है तो निर्यात करें, जैसा चीन ने किया है। इससे देश में स्मार्टफोन के पुर्जों के विनिर्माण को भी गहराई मिलेगी, जिससे उच्च मूल्यवर्धन को रफ्तार मिल सकती है। इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्रालय ने विभिन्न पीएलआई योजनाओं की हालिया समीक्षा के दौरान बताया कि स्मार्टफोन के मामले में मूल्यवर्धन 2021 में 5 से 6 फीसदी था जो बढ़कर वित्त वर्ष 2025 तक 19 फीसदी हो चुका है।
केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने हाल में बिज़नेस स्टैंडर्ड से कहा था कि मंत्रालय को इलेक्ट्रॉनिक्स पुर्जा विनिर्माण के लिए पीएलआई योजना के तहत 50,000 करोड़ रुपये से अधिक के निवेश के लिए आवेदन प्राप्त हुए हैं। उन्होंने यह भी बताया कि तमाम उथल-पुथल के बावजूद भारत ने पिछले वित्त वर्ष के दौरान 24 अरब डॉलर के स्मार्टफोन का निर्यात किया जो वित्त वर्ष 2026 में 30 से 35 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।
इंडियन सेल्युलर ऐंड इलेक्ट्रॉनिक्स एसोसिएशन के चेयरमैन पंकज महेंद्रू ने कहा, ‘निर्यात को बढ़ावा देने और लागत से जुड़ी दिक्कतें खत्म करने में पीएपआई बेहद कारगर साबित हुई है। मगर हमें याद रहना चाहिए कि हमारा मुकाबला चीन के मोबाइल फोन उद्योग से है, जिसे वहां की सरकार पिछले दो दशक से लगातार वित्त एवं बुनियादी ढांचे के जरिये मदद कर रही है।’
स्मार्टफोन निर्यात में भारत का स्थान पिछले 11 साल में काफी सुधर गया है। भारत 2015 में एचएस कोड के लिहाज से इस निर्यात में 167वें पायदान पर था। मगर वित्त वर्ष 2025 में कुल 2 लाख करोड़ रुपये के निर्यात के साथ वह शीर्ष पायदान पर पहुंच गया।
पीएलआई योजना का असर इस बात से भी पता चलता है कि ऐपल का निर्यात पिछले वित्त वर्ष के पहले पांच महीनों के दौरान 70 फीसदी तक बढ़ गया जो इस योजना के तहत उसका अंतिम वर्ष है।