केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को कहा कि हिंदी एवं अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई टकराव नहीं है और यह केवल बोलचाल की भाषा न रहकर, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्यायपालिका और पुलिस की भाषा भी बननी चाहिए। गुजरात के गांधीनगर में पांचवें अखिल भारतीय राजभाषा सम्मेलन के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए शाह ने कहा कि भारतीयों को अपनी भाषाओं को संरक्षित करना चाहिए और उन्हें अमर बनाना चाहिए। उन्होंने अभिभावकों से बच्चों से उनकी मातृभाषा में बात करने का आग्रह किया।
उन्होंने कहा, ‘हिंदी और अन्य भारतीय भाषाओं के बीच कोई संघर्ष नहीं है। दयानंद सरस्वती, महात्मा गांधी, केएम मुंशी, सरदार वल्लभभाई पटेल जैसे विद्वानों ने हिंदी को अपनाया और इसका प्रचार-प्रसार किया। गुजरात, जहां गुजराती और हिंदी सह-अस्तित्व में हैं, दोनों भाषाओं के विकास का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।’ केंद्रीय मंत्री ने कहा, ‘हिंदी केवल एक बोली या प्रशासन की भाषा नहीं है। हिंदी को विज्ञान, प्रौद्योगिकी, न्याय और पुलिस की भी भाषा बनना चाहिए। जब ये सभी कार्य भारतीय भाषाओं में होंगे, तब जनता से जुड़ाव स्वतः ही स्थापित हो जाएगा।’
शाह ने कहा कि संस्कृत ने हमें ज्ञान की गंगा दी और हिंदी ने इस ज्ञान को हर घर तक पहुंचाया और यह ज्ञान स्थानीय भाषाओं के माध्यम से लोगों तक पहुंचा है। उन्होंने कहा कि माता-पिता को बच्चों से सदैव उनकी मातृभाषा में बात करनी चाहिए। शाह ने कहा, ‘यह बच्चे के भविष्य के लिए बहुत जरूरी है क्योंकि कई मनोवैज्ञानिकों और शिक्षाशास्त्रियों ने यह माना है कि बच्चा अपनी मातृभाषा में सोचता है। जैसे ही आप बच्चे पर कोई दूसरी भाषा थोपते हैं उसका 25 से 30 प्रतिशत मानसिक बल अनुवाद में खर्च हो जाता है।’
गृह मंत्री ने बताया कि बहुभाषीय अनुवाद सारथी नामक ‘सॉफ्टवेयर’ का उपयोग किया जा रहा है, जो उन्नत तकनीक पर आधारित अनुवाद प्रणाली है।’