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जमाना नया, नई है इंडिका

Last Updated- December 07, 2022 | 7:07 PM IST

इससे पहले कि आप सवाल पूछें, जवाब तैयार है, वह भी हां में। नई इंडिका विस्टा में बड़े पैमाने पर बदलाव किए गए हैं। वाकई में नई वाली विस्टा बेहद शानदार है। चलिए आपको, इसकी खूबियों से दो-चार कराते हैं।


इसकी पहली खूबी तो यह है कि कार बढ़िया तरीके से बनाई गई है। दूसरी खूबी यह है कि इसमें अच्छी क्लालिटी का सामान लगा है। नंबर तीन, इसमें शट लाइन के अलावा पैनल गैप्स और मेटल सरफेस को प्लास्टिक के साथ जोड़ा गया है। चौथी खूबी, फिएट से लिया इंजन और गियरबॉक्स का तालमेल बढ़िया है। खूबी नंबर पांच, इसको चलाना और भी आसान हो गया है खासकर मोड़ पर यह बढ़िया परफॉर्म करती है।

और हां, इसकी छठी खासियत यह है कि दिखने में भी कार कम सुंदर नहीं है। अगर आप आगे पढ़ना जारी रखेंगे तो आपको मालूम पड़ेगा कि अपनी प्रतिद्वंद्वी कारों के सामने इंडिका विस्टा कहां ठहरती है, खासकर विदेशी कार कंपनियों की पेशकश के सामने। छह महीनों में जब यह यूरोपीय बाजार में दस्तक देगी तो देखना  होगा कि यूरोपीय लोग इस पर हंसते हैं या फिर इसकी शान का बखान करेंगे।

फिलहाल, तो दूसरी वाली बात ज्यादा मायने रखती है। इसकी भी वजह है। दरअसल यूरोप के लोगों की जगुआर, लैंड रोवर के भारतीय मालिक से अपेक्षाएं जो बढ़ गई हैं। मैंने देखा कि पुणे शहर के ट्रैफिक में बहुत सारे लोगों ने इस पर नजरें इनायत नहीं कीं। दरअसल, ऑटो हब के रूप में तब्दील होते जा रहे इस शहर के लोगों ने ट्रायल के दौरान इस कार को सड़कों पर देखा होगा।

और इसकी दूसरी वजह यह भी हो सकती है कि विस्टा के डिजाइन में बहुत ज्यादा तब्दीलियां नहीं की गई हैं। यूं भी कह सकते हैं कि बाहरी डिजाइन को लेकर टाटा ने कोई जोखिम नहीं उठाया। इसके भी कई कारण हो सकते हैं। पहला, यह टाटा की पहली पैसेंजर कार है जिसमें ड्राइवर भी आराम महसूस कर सकता है? इसके अलावा पेडल प्लेसमेंट भी सही है और रेक के हिसाब से स्टीयरिंग व्हील भी मुफीद ही है।

और जिस कार को मैं अभी ड्राइव कर रहा हूं उसमें भी सीट की ऊंचाई का एडजस्टमेंट ठीक  तरह से किया गया है। विस्टा के फ्रंट में सबफ्रेम लगाया गया है जिससे स्टीयरिंग पर बढ़िया पकड़ बनाने में मदद मिलती है। इसमें लगे फिएट ड्राइवरट्रेन की वजह से इसको शहर के अंदर चलाने में भी आसानी होगी। इसके पहले तीन गियर आस-पास ही हैं।

इससे शहरी लोगों की दिक्कत आसान होगी क्योंकि शहर में गाड़ी चलाते वक्त पहले, दूसरे और तीसरे गियर को बार-बार बदलना पड़ता है। उदाहरण के तौर पर, मारुति सुजूकी की स्विफ्ट डीजल कार  और विस्टा चलाने में जो अंतर महसूस होगा वह यह होगा कि विस्टा को चलाते वक्त आपकी बाईं टांग को कुछ आराम मिलेगा। अब आप कहेंगे कि हमने स्विफ्ट डीजल का जिक्र क्यूं किया?

दरअसल इन दोनों ही कारों में फिएट मल्टीजेट इंजन लगाए गए हैं। (वैसे अब फिएट भी पालियो में यही इंजन लगा रही है।) टाटा ने विस्टा में फाइव-स्पीड फिएट मैनुअल भी दिया है। विस्टा में जो फिएट ड्राइवरट्रेन लगाया गया है, उसको क्वाड्रजैट का नाम दिया गया है। पहले इसमें 1.4 टीडीआई, टाटा का टर्बोडीजल इंजन और गियरबॉक्स लगाया जाता था।

टाटा ने फिएट पावरट्रेन के साथ काफी काम किया है ताकि भारतीय परिस्थितियों में विस्टा के लिए इंजन और गियरबॉक्स का तालमेल बढ़िया बनाया जा सके। चार सिलिंडर वाला 1248 सीसी का 16 वॉल्व वाला कॉमन-रेल टर्बोडीजल इंजन 4,000 आरपीएम पर 74 बीएचपी की पावर देता है और 1,750 से 3,000 रेव्स पर 19.3 केजीएम का टॉर्क मिलता है।

इसका फाइव-स्पीड फिएट गियरबॉक्स अगले पहिओं को पॉवर देता है। इसमें लगा डीजल इंजन गियरबॉक्स कॉम्बिनेशन, हैचबैक्स और सेडान के लिहाज से बेहद शानदार है और फ्रंट व्हील ड्राइविंग के लिए यह मनमाफिक है। गियर बदलने की क्वालिटी भी बढ़िया ही है तो क्लिच पैडल में भी मुश्किलें पेश नहीं आतीं। बताया जा रहा है कि कंपनी ने इसके लिए केबल शिफ्ट मैकेनिज्म के अलावा टि्वन कोन सिंक्रोनाइजर की मदद ली है।

लेकिन हमें अभी विस्टा टीडीआई के 1.2 लीटर सेफायर पेट्रोल वर्जन का टेस्ट ड्राइव भी करना है। यह कार भी फिएट ड्राइवरट्रेन से लैस है। वापस क्वाड्रजेट की ओर मुड़ते हैं। इसका इंजन कांपैक्ट है। कम रेव में इससे काफी टॉर्क मिलता है। इस वजह से किसी के लिए भी इसको ड्राइव करना मजेदार हो सकता है। विस्टा का क्वाड्रजैट, मारुति सुजूकी की कार की तुलना में थोड़ा भारी है।

और यह परफॉर्मेंस के मामले में भी कहीं से हल्का नहीं पड़ती विस्टा क्वाड्रजैट को 0 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ने में 6.41 सेकंड का समय लगता है तो 100 किलोमीटर प्रति घंटा की रफ्तार पकड़ने में यह 17.41 सेकंड का समय लेती है। वहीं अगर स्विफ्ट डीजल की बात करें तो यह कार 0 से 60 किलोमीटर प्रति घंटा की गति 6.01 सेकंड में पकड़ लेती है तो 14.35 सेकंड में 100 किलोमीटर प्रति घंटे के स्तर पर आ जाती है।

वैसे जिस कार की गति से ये आंकड़े जुटाए गए हैं, वह एकदम नई है लेकिन मुझे पूरी उम्मीद है कि कुछ सौ किलोमीटर पर विस्टा और बढ़िया नतीजे दे सकती है। जहां तक तेल खपत और शहर में कार चलाने की बात है तो इंडिका विस्टा बेशक बढ़िया है लेकिन कुल मिलाकर हर पैमाने पर और कार चलाने के आनंद की जहां तक बात है तो यह कुछ उन्नीस बैठती है। आस-पास में ही गियर होने से गियर बदलने में कुछ भी वक्त नहीं लगता।

डीजल पावरट्रेन के लिहाज से यह बहुत ही बढ़िया है। चौथा और पांचवां गियर तेज रफ्तार खासकर, हाइवे पर दौड़ने के लिए हैं। पांचवें गियर में कार 162 किलोमीटर प्रति घंटा की सबसे तेज रफ्तार पकड़ती है। इस कार की जबरदस्त खूबी यह है कि यह कार तेजी से  रफ्तार पकड़ सकती है। इसका इंजन भी बहुत बढ़िया है।

अगर तुलना की जाए तो स्विफ्ट डीजल का मॉडल 80 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार से 120 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार तक आने में 15.3 सेकंड लगते हैं जबकि विस्टा ऐसी रफ्तार पकड़ने में 14.5 सेकंड का वक्त लेती है। अब आपको पता चल ही गया होगा कि विस्टा के इंजन और गियरबॉक्स में बेहद खूबियां हैं। इसके अलावा भी जो खूबियां है उसकी जानकारी भी आपको जरूर होनी चाहिए।

डीजल इंजन के बावजूद इंडिका के मुकाबले विस्टा में आवाज बहुत कम होती है। इस डीजल कार को जब स्टार्ट किया जाता है तब भी यह ज्यादा शोर नहीं करती। जब कार 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार भी पकड़ने पर भी इसका स्टीयरिंग कांपता नहीं है।

लंबी दूरी तय करते वक्त या फिर किसी घुमावदार रास्ते पर चले,तो विस्टा में कोई ज्यादा दिक्कत नहीं आती है। हर रास्ते पर इस कार को चलाना आसान ही होता है। इस कार के सामने वाले हिस्से में लगा हुआ सस्पेंशन कार की बॉडी के सबफ्रेम से जुड़ा हुआ है। कार की स्टीयरिंग का आसानी से घूमना और ऐसी शानदार ड्राइविंग, टाटा की किसी कार में पहले नहीं दिखी।

कार बनाने वालों को इस बात पर बेहद गर्व है कि विस्टा में काफी मजबूत स्टील पैनल का इस्तेमाल किया गया है। इस वजह से कार की बॉडी घुमावदार हो जाती है। इसमें जरुरत के हिसाब से ब्लैंक का इस्तेमाल किया गया है। इसी कारण कार का भार कम हो जाता है लेकिन कार की सेफ्टी या बॉडी की मजबूती पर कोई खास फर्क नहीं पड़ता है।

टाटा ने इस कार में समान लंबाई के ड्राइव शॉफ्ट का इस्तेमाल किया है जिसके जरिए स्टीयरिंग पर लगने वाला जोर भी कम हो जाता है। इस डीजल कार के  फ्रंट व्हील ड्राइव में भी इस तरह का जोर लगता है जिसकी वजह से कार को कंट्रोल करना आसान होता है। विस्टा के पिछले हिस्से में एक नए टि्व्स्ट बीम सस्पेंशन का इस्तेमाल किया गया है।

वहीं दूसरी ओर इसके पहले मॉडल में सेमी ट्रेलिंग आर्म्स का इस्तेमाल किया गया है। विस्टा में चौड़े और मजबूत टयूबलेस रैडियल टायर का इस्तेमाल किया जाता है, इसकी वजह से कार में भरोसा दिखता है। इंडिका हमेशा से ही सफर करने के लिहाज से यह बेहद खास रही है। विस्टा कार में गैस चार्ज्ड शॉक ऑब्जर्वर का इस्तेमाल किया गया है, इसकी वजह से ही यह कार बिना किसी शोरगुल के खराब सड़क पर भी आसानी से चल सकती है।

जब यह कार किसी बड़े गङ्ढे से गुजरती है तो यह अपने आप को बेहद आसानी से निकाल ले जाती है। इंडिका विस्टा अपने पहले के मॉडलों के मुकाबले काफी सुधरी हुई कार लगती है। हालांकि ड्राइविंग के दीवाने जो कार पर ज्यादा खर्च करना चाहते हैं वे इसे बहुत खास नहीं मानेंगे। संभव है कि वह डीजल स्विफ्ट का इंतजार  कुछ समय तक करेंगे और उस पर ज्यादा पैसा लगाना चाहेंगे।

इंडिगो से इसकी तुलना करें तो पाएंगे कि विस्टा का व्हीलबेस बेहद जबरदस्त है और यह पहले के मुकाबले थोड़ा बडा भी है। इस कार में 5 लोग बड़े आराम से बैठ सक ते हैं और इसके पीछे के  हिस्से में भी काफी जगह होती है। हालांकि इस कार में पहले के मुकाबले सामान रखने की थोड़ी कम जगह है।

विस्टा, इंडिका के मुकाबले चौड़ी भी है और लंबी भी है। इसका वजन भी 40 से 50 किलो ज्यादा है। कार के अंदर के हिस्से की बात करें तो इंडिका के मुकाबले इसमें थोड़ा फर्क जरूर दिखता है।  पहले इंडिका में जो ग्रे प्लास्टिक का इस्तेमाल किया जाता था अब उसमें थोड़ा बदलाव लाया गया है।

यह प्लास्टिक टच करने में भी काफी सॉफ्ट सा महसूस होता है। आखिरकार यह कहा जा सकता है कि टाटा ने अपनी कार को ग्राहकों के पसंद करने लायक तो बना ही दिया है। कार का डैशबोर्ड बीच से थोड़ा उठा हुआ सा है और यह बहुत हद तक शेवरले स्पार्क और निसान एक्स ट्रेयल की तरह दिखती है। इस कार में लेफ्ट हैंड ड्राइव वर्जन है जिसकी आदत डालने में थोड़ा वक्त लगता है लेकिन फिर भी यह ठीक है।

इस कार का एलसीडी डिस्प्ले कुछ जानकारियों को देने के मौजूद है हालांकि दिन की रोशनी में इसे देखना थोड़ा मुश्किल होता है। अगर पूरी तौर पर यह कहा जाए कि यह कार सफर करने के लिए बहुत बढ़िया है तो इसमें कोई खराबी नहीं होनी चाहिए। सबसे खास बात यह है कि इस कार का बहुत व्यापक तौर पर परीक्षण किया गया है। फिलहाल इसमें एंटी ब्रेक लॉकिंग सिस्टम (एबीएस) नहीं है।

लेकिन जैसे ही टाटा लगभग 6महीने में कार को निर्यात करना शुरू करेगी तो भारत में भी इस कार में वह सिस्टम मौजूद रहेगा। आपको यह बता देना जरूरी समझता हूं कि इसके विकल्पों की सूची में एलॉय व्हील नहीं है।

इस कार में ईंधन की बचत की बात करें तो यह कार फिलहाल 16 किलोमीटर प्रति लीटर के हिसाब से दूरी तय करती है। इस कार की फिलहाल जो खुदरा कीमत है, उस लिहाज से इस कार के खरीदारों की कमी नहीं होनी चाहिए। लेकिन टाटा की यह कार अगर 10 साल पहले आई होती तो कहीं अच्छा होता।

First Published - September 1, 2008 | 1:19 AM IST

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