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सरकार और निजी क्षेत्र की जुगलबंदी ने किया खेल, विश्व कप हो या एशियाड… हर जगह जमी भारत की धाक

नीरज चोपड़ा, जेना और अनु रानी जैसे खिलाड़ियों के दम पर भारत ने इस साल हुए हांगझोउ खेलों में 107 पदक जीत लिए। एशियाई खेलों में भारत ने पहले कभी इतने पदक नहीं जीते थे।

Last Updated- December 30, 2023 | 10:00 AM IST
Asian Games 2023: Indian women's kabaddi team regains Asian Games gold for country's 100th medal

किशोर जेना ने गहरी सांस ली, पीछे की ओर झुके और दौड़ते हुए पूरी ताकत के साथ भाला फेंका। चीन के हांगझोउ में उस शाम जेना का भाला आसमान से होते हुए जब 86.77 मीटर दूर जमीन से टकराया तो वहां मौजूद लोगों की सांसें थम गईं। जेना के इस थ्रोन ने 2023 के एशियाई खेलों की भाला फेंक प्रतियोगिता में हमवतन नीरज चोपड़ा से आगे खड़ा कर दिया।

जेना के लिए यह खुशी कुछ पल की ही रही क्योंकि ओलिंपिक चैंपियन नीरज ने अगली कोशिश में 88.88 मीटर दूर भाला फेंकर स्वर्ण अपने नाम कर लिया। मगर जेना का यह कारनामा उन्हें अगले साल होने वाले ओलिंपिक खेलों के लिए क्वालिफाई करा गया। जोश से भरे जेना की अगली कोशिश में उनका भाला 87.54 मीटर दूर चला गया, जो उनका अब तक का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन है।

भाला फेंक स्पर्द्धा में दमदार जीत 2023 में भारत के लिए बहुत अहम क्षण था, जिसके साथ देश खेल में बड़ी ताकत बनने की राह पर बढ़ गया है। हांगझोउ में जेना ने रजत जीता था, जो उनके लिए बहुत बड़ी बात थी। ओडिशा में पुरी के पास छोटे से गांव कोठासाही के रहने वाले जेना वॉलीबॉल खेलते थे मगर 2019 में उन्होंने भाला फेंकना शुरू कर दिया।

ओलिंपिक के लिए क्वालिफाई करने और एशियाई खेलों में रजत जीतने से पहले उन्होंने बहुत संघर्ष किया था। सात भाई-बहनों में सबसे छोटे जेना को गुजारा करने के लिए पांच साल पहले अपनी पुश्तैनी जमीन बेचनी पड़ी थी।

उन दिनों को याद कर 28 साल के जेना कहते हैं कि भाला फेंक फाइनल में 86.77 मीटर का थ्रो एशियाड में उनके प्रदर्शन का सबसे खास पल था। उन्होंने बिज़नेस स्टैंडर्ड के साथ फोन पर बातचीत में कहा, ‘उस थ्रो के कारण ही मैं पेरिस ओलिंपिक के लिए क्वालीफाई कर पाया, इसीलिए वह खास था। मेरे दिमाग में हमेशा ओलिंपिक का ही खयाल रहता था।’

जेना मानते हैं कि खेलों में भारत इसलिए सफल हो रहा है क्योंकि प्रतिभाओं को जल्दी पहचाना जा रहा है और टॉप्स (टारगेट ओलिंपिक पोडियम स्कीम) जैसी सरकारी पहलों के जरिये उन्हें बढ़ावा दिया जाएगा।उनका कहना है कि खेलों को देश भर के स्कूलों में पाठ्यक्रम का हिस्सा बना दिया जाए तो पदक दिलाने वाले खिलाड़ी मिल जाएंगे। जेना और नीरज की वाहवाही के बीच अनु रानी ने भी इतिहास रच दिया। वह एशियाई खेलों की भाला फेंक स्पर्द्धा में स्वर्ण जीतने वाली पहली भारतीय महिला बन गईं।

एशियाड में रिकॉर्ड पदक

नीरज चोपड़ा, जेना और अनु रानी जैसे खिलाड़ियों के दम पर भारत ने इस साल अक्टूबर में हुए हांगझोउ खेलों में 107 पदक जीत लिए। एशियाई खेलों में भारत ने पहले कभी इतने पदक नहीं जीते थे।

जकार्ता में पिछले एशियाई खेलों में भारत ने 70 पदक हासिल किए थे। इस साल अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करते हुए वह चीन, जापान और दक्षिण कोरिया के बाद पदक तालिका में चौथे स्थान पर रहा। भाला फेंक के अलावा भारत ने कबड्डी, हॉकी और निशानेबाजी जैसे खेलों में भी धूम मचाई, जहां वह हमेशा से मजबूत रहा है।

बैडमिंटन में सात्विकसाईराज रांकीरेड्डी और चिराग शेट्टी की जोड़ी ने पुरुष युगल में सोना जीत लिया। कंपाउंड तीरंदाजों ने एशियाड का अब तक का सबसे शानदार प्रदर्शन कर पांच स्वर्ण पदक अपनी मुट्ठी में कर लिए। फिर भी ओलिंपिक खेलों में जाने का उनका सपना अधूरा रह गया क्योंकि कंपाउंड तीरंदाजी को उसमें शामिल नहीं किया गया है।

एशियाई खेलों का सबसे भावुक करने वाला क्षण तब आया, जब मणिपुर की वूशू खिलाड़ी रोशिबीना देवी रजत जीतने के बाद रो पड़ीं। वह अपने प्रदेश में बार-बार हो रही जातीय हिंसा से व्यथित थीं और इन्हें इस बात का भी दुख था कि चीन की नत्थी वीजा नीति के कारण अरुणाचल प्रदेश के वूशू खिलाड़ी एशियाड में हिस्सा नहीं ले सके।

भारत के लिए एक और अप्रत्याशित जीत टेबल टेनिस में मिली, जब बचपन की सहेली ऐहिका मुखर्जी और सुतीर्था मुखर्जी ने कांस्य पदक जीत लिया। पश्चिम बंगाल के नैहाटी की इस जोड़ी को शायद ही कोई जानता था मगर दोनों ने टेनिस की महाशक्ति कहलाने वाले चीन की टीम को क्वार्टरफाइनल में धूल चटाकर सबको हैरत में डाल दिया। अगर आपको एशियाई खेलों की पदक तालिका ऐतिहासिक लग रही है तो पैरा एथलीटों को भी देख लीजिए।

क्रिकेट ने रुलाया तो एशियाई खेलों ने जगाई आस

उन्होंने और भी आगे निकलते हुए 29 स्वर्ण समेत कुल 111 पदक भारत के नाम करा दिए। इस साल विश्व महिला मुक्केबाजी चैंपियनशिप में निकहत जीन, नीतु घनघस, स्वीटी बूरा और लवलीना बोरगोहियां ने स्वर्ण पदक जीतकर रिंग में धमाल मचाया तो आर प्रज्ञानंद शतरंज की बिसात पर गजब का कौशल और चतुराई दिखाते हुए फिडे विश्व कप फाइनल में पहुंचने वाले सबसे कम उम्र खिलाड़ी बन गए। बाद में उनकी बहन आर वैशाली भी ग्रैंडमास्टर बन गईं। अब वे दुनिया के इकलौते भाई-बहन हैं, जो ग्रैंडमास्टर हैं।

चेन्नई में एशियन चैंपियंस ट्रॉफी में अपराजित रहते हुए भारतीय पुरुष हॉकी टीम भी अंतरराष्ट्रीय हॉकी महासंघ की रैंकिंग में तीसरे पायदान पर पहुंच गई।

भारत अभी तक क्रिकेट की ही महाशक्ति था मगर 2023 ने दिखाया कि अब वह हर खेल में छाने की तैयारी कर रहा है। टॉप्स के तहत सरकारी प्रोत्साहन, खेलो इंडिया कार्यक्रम, खिलाड़ियों को प्रशिक्षण के लिए विदेश भेजने और निजी प्रायोजकों का साथ मिलने के कारण ऐसा हो रहा है। केंद्रीय युवा मामले और खेल मंत्रालय का बजट भी साल 2004 के 450 करोड़ रुपये से बढ़कर इस साल 3,400 करोड़ रुपये के पार चला गया।

इस साल भारत ने मुंबई में अंतरराष्ट्रीय ओलिंपिक समिति (आईओसी) के 141वें सत्र की मेजबानी की। इस दौरान आईओसी के अध्यक्ष थॉमस बाख ने भारत को खेलों की बढ़ती ताकत माना और यह भी बताया कि 2036 ओलंपिक खेलों की मेजबानी में भारत की दिलचस्पी है। इस साल हमने पुरुष हॉकी विश्वकप और क्रिकेट विश्वकप की मेजबानी की। ऐसे बड़े खेल आयोजनों की मेजबानी मिलना बताता है कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का रुतबा कितना बढ़ रहा है।

पहलवानों का धरना

इस साल सब कुछ अच्छा चल रहा था मगर पहलवानों की पीड़ा ने कड़वाहट घोल दी। महिला पहलवानों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण शरण सिंह पर शोषण का आरोप लगाया। इस पर कार्रवाई नहीं हुई तो नाराज होकर ओलिंपिक में पदक जीतने वाले बजरंग पुनिया, विनेश फोगाट, साक्षी मलिक और योगेश्वर दत्त जैसे पहलवान दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना देने लगे।

साल के अंत में बृजभूषण सिंह के करीबी संजय सिंह के कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष बनने पर साक्षी ने संन्यास का ऐलान कर दिया। विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाली विनेश ने कहा कि वह अर्जुन पुरस्कार और खेल रत्न वापस कर रही हैं क्योंकि उनके जीवन में अब इन पुरस्कारों का कोई मतलब नहीं रह गया। विवादों से दूर क्रिकेट विश्व कप में सबसे बड़ी दावेदार मानी जा रही भारतीय पुरुष टीम खिताबी मुकाबला हार गई।

अहमदाबाद में फाइनल खेलने से पहले भारत ने अपने दसों मैच जीते थे मगर आखिरी पड़ाव पर ऑस्ट्रेलिया से हारकर टीम का 12 साल बाद विश्व कप जीतने का सपना टूट गया।

विराट कोहली ने इस बार जमकर बल्ला भांजते हुए सबसे ज्यादा रन बनाए और मुहम्मद शमी ने अपनी तेज गेंदों के बल पर सबसे ज्यादा विकेट लिए मगर भारत खिताब अपने नाम नहीं कर पाया।

2013 में चैंपियंस ट्रॉफी जीतने के बाद से भारतीय टीम कोई भी आईसीसी प्रतियोगिता नहीं जीत पाई है। वैसे पुरुषों का दुख महिला क्रिकेटरों ने कुछ हद तक कम किया। इस साल मुंबई में टेस्ट मुकाबला खेलते हुए महिला क्रिकेट टीम ने इंगलैंड को 347 रन से रौंद दिया। दिसंबर में उसने ऑस्ट्रेलिया को भी पहली बार टेस्ट में शिकस्त दे दी।

साल 2023 ने वाकई दिखाया कि भारत किस तरह खेल महाशक्त बनने जा रहा है। 2004 में हुए एथेंस ओलिंपिक के समापन समारोह में एक चीनी लड़की ने गीत गाया था, जिसके बोल कुछ इस तरह थे, ‘आज से चार साल बाद हम (चीन) तुम्हें हर चीज में हरा देंगे। डरो। बहुत डरो।’ दो दशक बाद आज भारत की बारी है, पूरी दुनिया को ऐसे ही चेतावनी देने की।

First Published - December 30, 2023 | 10:00 AM IST

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