सुप्रीम कोर्ट ने इस साल कई छोटे-बड़े फैसले लिए और इनमें से कुछ फैसलों की देशभर में काफी चर्चा भी हुई। इन फैसलों में EWS आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट की मुहर समेत कर्नाटक हिजाब विवाद जैसे मामले शामिल है, जिन पर देश ही नहीं विदेशों में भी बहस छिड़ गई।
साथ ही सुप्रीम कोर्ट के जजों के अवकाश को लेकर भी सरकार और न्यायपालिका आमने-सामने दिखे। वहीं, सुप्रीम कोर्ट के इतिहास में दूसरी बार न्यायालय को तीन चीफ जस्टिस (CJI) मिले। इसकी वजह से CJI के चयन को लेकर भी देश में एक बहस देखने को मिली। आइयें एक-एक करके जानते है वो मामले जिन पर देश में काफी चर्चा हुई।
आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के लिए आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला
सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ ने सात नवंबर 2022 को आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (EWS) को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में दस प्रतिशत के रिजर्वेशन की व्यवस्था को वैध करार दिया था। इस मामले की सुनवाई करते हुए उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि केंद्र सरकार का आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग को रिजर्वेशन देने का फैसला संविधान का उल्लंघन नहीं करता है। तत्कालीन प्रधान न्यायाधीश (CJI) जस्टिस यूयू ललित की अध्यक्षता वाली पांच जजों की पीठ ने 3-2 के बहुमत से यह फैसला सुनाया। इस पीठ में शामिल तीन जजों ने EWS आरक्षण को सही माना, जबकि दो जजों ने इसके खिलाफ फैसला सुनाया।
कर्नाटक का हिजाब विवाद मामला भी सुप्रीम कोर्ट पंहुचा
कर्नाटक में स्कूली छात्रों के हिजाब विवाद को लेकर शीर्ष अदालत ने विभाजित निर्णय दिया। कर्नाटक उच्च न्यायालय ने हिजाब पर प्रतिबंध को सही ठहराया था। बाद में इस फैसले को हालांकि, सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गयी। उच्चतम न्यायालय के एक न्यायाधीश ने कर्नाटक उच्च न्यायालय के फैसले के खिलाफ दायर अपील को खारिज कर दिया जबकि दूसरे न्यायाधीश ने कहा कि हिजाब पहनने पर कोई रोक नहीं लगाई जायेगी। अब प्रधान न्यायाधीश को इस विवाद पर फैसला करने के लिए बड़ी पीठ का गठन करेगा।
पूर्व पीएम राजीव गांधी हत्याकांड के कसूरवारों की रिहाई
शीर्ष अदालत ने इस साल 11 नवंबर को पूर्व पीएम राजीव गांधी हत्याकांड के सभी छह दोषियों की रिहाई का आदेश दिया था। समय से पहले रिहाई की मांग को लेकर नलिनी श्रीहरन और आरपी रविचंद्रन ने उच्चतम न्यायालय का रुख अपनाया था। जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस बीवी नागरत्ना की पीठ ने अपने फैसले में कहा कि दोषी पेरारिवलन की रिहाई का आदेश इस मामले में अन्य दोषियों पर भी लागू होता है। दरअसल, शीर्ष अदालत ने 18 मई को पेरारिवलन को रिहा करने का आदेश दिया था।
बिलकिस बानो
सुप्रीम कोर्ट ने 13 मई को गुजरात दंगों के बिलकिस बानो केस में उम्र कैद की सजा काट रहे एक दोषी की समय पूर्व रिहाई की अर्जी पर राज्य सरकार को दो महीने में फैसला करने का आदेश दिया था। बिलकिस बानो से सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या के मामले में 11 दोषियों को मिली माफी का विवाद भी सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और उसने दोषियों को मिली माफी तथा रिहाई के मुद्दे का परीक्षण करने का फैसला किया।