मौज-मस्ती करने वाले लोग अब फिर से सड़क पर वापस आ गए हैं और यातायात बढ़ गया है। पब में लोगों की तादाद तो बढ़ ही रही है, साथ ही पंडालों में भी कतारें लंबी होती जा रही हैं। बेशक यह पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा से जुड़े कारोबार का मिला-जुला रूप है। कोलकाता की अधिकांश पूजा समितियों के अनुसार पिछले साल की तुलना में इस बार का सीजन बेहतर है लेकिन यह अभी भी महामारी के पहले 2019 के स्तर से दूर है। त्योहारों के दौरान कारोबार का बड़ा हिस्सा खुदरा, खाद्य एवं पेय पदार्थ के कारोबार से ही जुड़ा होता है और इसमें कुछ सुधार दिख रहा है।
पर्यटन विभाग, पश्चिम बंगाल की ओर से ब्रिटिश काउंसिल द्वारा कराए गए एक शोध में दुर्गा पूजा से जुड़े रचनात्मक उद्योगों के कुल आर्थिक मूल्य का अनुमान लगाया जिसमें खुदरा, खाद्य और पेय पदार्थों से लेकर प्रायोजन और मूर्ति निर्माण भी शामिल है जिसकी अनुमानित राशि 32,377 करोड़ रुपये सालाना (दुर्गा पूजा 2019 के अनुमान वाले आंकड़े) है। इसमें खुदरा का सबसे बड़ा हिस्सा 27,364 करोड़ रुपये था।
पूजा का प्रायोजन
कॉरपोरेट प्रायोजन और आउटडोर विज्ञापन ही शहर में अधिकांश पूजा के लिए दो प्रमुख स्तंभ हैं क्योंकि अब घर-घर चंदा जुटाने पर कम ही भरोसा किया जाता है। लेकिन आयोजकों को इस बात का मलाल है कि इस साल भी कंपनियां खर्च करने को तैयार नहीं हैं।
पिछले साल के विपरीत, स्टॉल, बैनरों, स्तंभों और तोरणद्वारों की संख्या महामारी के पहले के स्तर पर है। पिछले साल, इसमें लगभग 30 प्रतिशत की गिरावट देखी गई थी। लेकिन विज्ञापन दरें 2019 के स्तर के आसपास कहीं नहीं हैं। बालीगंज कल्चरल एसोसिएशन के अध्यक्ष अमिताभ सिन्हा ने कहा, ‘औसत दरें 2019 के स्तर के 50-60 प्रतिशत पर चल रही हैं।’ सिंघी पार्क दुर्गा पूजा समिति के अध्यक्ष अभिजित मजूमदार ने कहा, ‘कंपनियों से काफी अच्छी प्रतिक्रिया मिली है। जो पिछली बार इन आयोजनों से दूर थे वे भी अब हिस्सा ले रहे हैं। लेकिन सभी ने बजट में कटौती की है और दरों में 50 प्रतिशत की कमी आई है।’ फोरम फॉर दुर्गोत्सव 400 पूजा और चार अन्य क्लबों का प्रतिनिधित्व करता है और इसके अनुसार 2020 की तुलना में प्रायोजन 30-40 प्रतिशत अधिक है और 2019 की तुलना में यह 20-25 प्रतिशत कम है।
बैंकों से लेकर एफएमसीजी और कंज्यूमर ड्यूरेबल्स का कारोबार करने वाली कंपनियां, सभी के पास पूजा के दौरान विज्ञापन के लिए बजट होता है। सिन्हा ने बताया कि दरें आम तौर पर श्रद्धालुओं की संख्या से जुड़ी होती हैं और इसमें कमी आने का अनुमान लगाया गया था। कमोबेश पिछले साल के ही प्रारूप पर अमल किया जा रहा है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पंडालों में प्रवेश पर प्रतिबंध जारी रखा है, हालांकि जिन लोगों को टीके की दोनों खुराक लग चुकी है उनको ‘पुष्पांजलि’ और ‘सिंदूर खेला’ पर छूट मिली है। पंडालों को लोगों की सीमा से बाहर रखने का मतलब है कि श्रद्धालु कम आएंगे, हालांकि पिछले साल की तुलना में लोगों की अधिक संख्या दिख रही है। लेकिन आयोजकों के अनुसार, यह अब भी सामान्य स्तर से काफी कम है। कंपनियों और पूजा समितियों का कहना है कि लोगों की तादाद बढ़ रही है। जिन समितियों ने पिछले साल बजट में 40-60 फीसदी की कटौती की थी, उन्होंने या तो इसे उसी स्तर पर रखा है या कुछ बढ़ा दिया है।
एक आयोजक ने कहा कि कंपनी के उत्पादों के नमूने दिखाने के लिए लगाए जाने वाले कॉरपोरेट स्टॉल की तादाद बेहद कम है और खाने के स्टॉल ने अधिक जगह घेर रखी है।
रिटेल आउटलेट में भीड़
कोलकाता के क्वेस्ट मॉल में ग्राहकों की तादाद अभी महामारी से पहले के स्तर के 50 फीसदी पर नहीं पहुंची है जहां बरबेरी, गुच्ची, कैनाली, एम्पोरियो अरमानी, जिमी चू जैसे लक्जरी ब्रांड है। लेकिन क्वेस्ट मॉल के उपाध्यक्ष संजीव मेहरा ने कहा, ‘कम से कम इन कुछ महीनों के दौरान कारोबार महामारी के पहले के स्तर से बेहतर है। लोग कम आ रहे हैं लेकिन खरीदारी ज्यादा कर रहे हैं।’
लेकिन वह यह भी बताते हैं कि अगर ग्राहकों की तादाद नहीं बढ़ती तो क्रमिक आधार पर कारोबार में भी तेजी नहीं आती। साउथ सिटी समूह के उपाध्यक्ष मन मोहन बागड़ी ने कहा कि साउथ सिटी मॉल में आने वालों की संख्या सामान्य दौर से 40-50 प्रतिशत कम है लेकिन कारोबार 2019 की तुलना में 10-5 प्रतिशत अधिक है । साउथ सिटी में जारा, माक्र्स ऐंड स्पेंसर और केल्विन क्लेन जैसे रिटेल आउटलेट हैं।
रेस्तरां में तेजी
पार्क स्ट्रीट में मौजूद मशहूर पीटर कैट में सामान्य दिनों की तरह ही भीड़ है। यहां कुछ युवा खड़े, कुछ सीढिय़ों पर बैठे और दीवार की तरफ झुके दिख रहे हैं जिससे सामान्य स्थिति का आभास हो रहा है। पीटर कैट और मोकैम्बो के मालिक नितिन कोठारी ने कहा, ‘कारोबार काफी अच्छा है। हम लगभग महामारी के पहले के स्तर पर वापस आ गए हैं।’ रेस्तरां के कारोबार में तेजी आने की एक प्रमुख वजह यह है कि सरकार ने रेस्तरां में जाने के समय में थोड़ी ढील दी है। रेस्तरां, दुकानों और बार को सामान्य समय की तरह ही खुले रहने की अनुमति दी गई है।
कोलकाता में रात में सेवाएं देने के लिए मशहूर रेस्तरां ट्रिंकास में तीसरी पीढ़ी के भागीदार आनंद पुरी ने कहा, ‘इससे पहले सभी को रात 10.30 बजे तक रेस्तरां से बाहर जाना होता था। ऐसे में हमें कारोबार के लिए सबसे अहम दो घंटे का नुकसान हो रहा था।’ लेकिन सभी क्षेत्रों के कारोबार को उम्मीद है कि टीकाकरण होने की वजह से लोगों की संख्या भी बढ़ेगी। कुल मिलाकर, पश्चिम बंगाल ने 6,50,30,083 खुराकें दी हैं, जिसमें पिछले एक सप्ताह में 50 लाख से अधिक खुराकें दी गई हैं।
