संसद में प्रस्तुत विभिन्न आयु वर्ग के लोगों के टीकाकरण के राज्यवार आंकड़ों के मुताबिक पंजाब, उत्तर प्रदेश और झारखंड राज्यों में इस माह की पहली तारीख तक 50 फीसदी उम्रदराज लोगों को टीके की दोनों खुराक नहीं लग सकी थीं। इतना ही नहीं ये राज्य युवा आबादी के टीकाकरण में भी पीछे हैं और 1 दिसंबर तक महज 25 फीसदी युवाओं का टीकाकरण कर सके हैं।
एक दिसंबर तक देश में 1.25 अरब टीके लग चुके थे लेकिन ताजा आंकड़ों से टीकाकरण की राज्यवार हकीकत सामने आई है। आंकड़ों के मुताबिक छह राज्यों में 45 से 60 वर्ष की उम्र के 50 फीसदी लोगों का टीकाकरण पूरा नहीं हो सकता है जबकि 17 से अधिक राज्यों में 18 से 44 वर्ष की आयु के लोगों को दोनों खुराक नहीं लग सकी हैं। पूर्वोत्तर के राज्यों को एक साथ रखा गया है क्योंकि आयुवार आबादी के अनुमान अलग-अलग राज्यों के लिए उपलब्ध नहीं हैं।
ये आंकड़े बताते हैं कि देश में टीकाकरण के क्षेत्र में अभी भी चुनौती मौजूद है और अगर नियामक संस्थाएं बूस्टर खुराक को मंजूरी देती हैं तो यह चुनौती और बढ़ जाएगी। आंकड़े विभिन्न राज्यों में टीकाकरण की नीति को लेकर भी कुछ संकेत करते हैं।उदाहरण के लिए राजस्थान ने बुजुर्ग आबादी को दोनों खुराक लगाने को प्राथमिकता देकर अच्छा काम किया है। राज्य में एक दिसंबर तक 60 से अधिक आयु के 87 फीसदी लोगों को दोनों खुराक लग गईं। परंतु जब बात 18 से 44 की आयु के लोगों की आती है तो तीन में से केवल एक व्यक्ति को ही दोनों खुराक लगी हैं।
मध्य प्रदेश और गुजरात में सभी आयु वर्ग के लोगों को टीके की लगभग दोनों खुराक लग चुकी हैं। लेकिन गुजरात में जहां बुजुर्गों को प्राथमिकता दी गई, वहीं मध्य प्रदेश में युवाओं के टीकाकरण पर जोर रहा।
तमिलनाडु से एक अन्य दिलचस्प उदाहरण सामने आया जहां सभी आयु वर्ग के लोगों को समान प्राथमिकता दी गई। राज्य में सभी आयु वर्ग के लोगों में 40 से 45 फीसदी को टीके की दोनों खुराक लगी हैं। आंध्र प्रदेश में 45 से 60 की आयु के लोगों का टीकाकरण पूरा हो चुका है। उम्रदराज लोगों में औसतन 80 फीसदी को टीके की दोनों खुराक मिल चुकी हैं और 18 से 44 आयु के लोगों में यह औसत 40 फीसदी है।
हिमाचल प्रदेश तथा जम्मू कश्मीर में सभी वयस्कों का टीकाकरण लगभग पूरा हो चुका है। हालांकि युवा वयस्कों के टीकाकरण में अभी भी कुछ कमी रह गई है।
