वर्ष 2023 मध्य प्रदेश के लिए महत्त्वपूर्ण है। इसी वर्ष प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। वर्ष के पहले महीने में प्रदेश में प्रवासी भारतीय दिवस (पीबीडी) और वैश्विक निवेशक सम्मेलन (जीआईएस) भी होने हैं। मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने प्रदेश में निवेश परिदृश्य को लेकर संदीप कुमार से बातचीत की। प्रस्तुत हैं बातचीत के प्रमुख अंश:
देखिए, निवेशक भी मुनाफा कमाने के लिए ही आएंगे। वे कारोबार करने के लिए आ रहे हैं, कोई परोपकार करने के लिए नहीं। हमारी नीतियां ऐसी होनी चाहिए कि निवेशकों और राज्यों दोनों के लिए फायदेमंद परिस्थितियां निर्मित हों। हमने अपनी तरफ से पूरा प्रयास किया है कि हमारी नीतियां निवेशकों के अनुकूल हों। हमारे पास उद्योगों के लिए जमीन की कोई कमी नहीं है, बिजली सस्ती है, प्रचुर मात्रा में पानी उपलब्ध है और हम कैपिटल सब्सिडी भी दे रहे। हमने संभावित निवेशकों को इस विषय में पूरी जानकारी दे दी है। अन्य राज्यों में उन्हें भी जमीन हासिल करने में भी दिक्कत होती है।
निवेशकों के साथ आमने-सामने की बैठक की जा रही है। हमें ग्रीन हाइड्रोजन के क्षेत्र में बड़ा निवेश प्रस्ताव मिला है। यह निवेशक 35,000 से 40,000 करोड़ रुपये तक का हो सकता है लेकिन इस परियोजना में पानी बहुत लगता है। हालांकि हमने इतने बांध बनाए हैं कि पानी की कोई कमी नहीं है लेकिन हमें देखना होगा कि क्या हम निवेशकों की सभी मांगें पूरी कर सकते हैं। वे अन्य राज्यों का उदाहरण दे रहे हैं कि उन्हें वहां काफी रियायतें मिल रही हैं। हम देखेंगे कि हम अधिकतम क्या सुविधाएं दे सकते हैं। हमारे यहां चाहे जो मजबूरी हो, मांग हमारी पूरी हो जैसे नारे भी नहीं लगते क्योंकि हमारी नीतियां श्रमिकों को संतुष्टि प्रदान करती हैं। हमारे यहां कभी हड़ताल या प्रदर्शन की बात सुनने को नहीं मिलती। अन्य राज्यों की तुलना में मध्य प्रदेश में अपराध कम हैं। कानून-व्यवस्था की कोई समस्या नहीं है।
आश्चर्य की बात है कि इस बार रिकॉर्ड 68 देशों के प्रतिनिधि इसमें शामिल हो रहे हैं। सूरीनाम और गुयाना के राष्ट्रपतियों के अलावा आठ देशों के मंत्री और करीब 38 देशों के राजदूत सम्मेलन में आ रहे हैं। आयोजन के पहले ही निवेश प्रस्तावों को लेकर बातचीत आरंभ हो चुकी है।
निश्चित तौर पर। कपड़ा और वस्त्र तथा आईटी आदि क्षेत्र अपेक्षाकृत कम निवेश के जरिये अधिक रोजगार तैयार करने वाले क्षेत्र हैं। जाहिर है हम इन क्षेत्रों को अधिक से अधिक रियायत देने का प्रयास कर रहे हैं। इसकी तुलना सौर ऊर्जा जैसे क्षेत्रों से करें तो वे बहुत अधिक निवेश पर बहुत कम रोजगार तैयार करते हैं। उदाहरण के लिए तकरीबन 6,000 करोड़ रुपये के निवेश के बाद वहां 100 रोजगार तैयार होते हैं। लेकिन बिजली भी जरूरी है। ऐसे में संतुलन कायम करना होगा।
हम पहले ही एक नीति बना चुके हैं जिसके तहत निजी निवेशकों और उपक्रमों को प्रदेश में 75 फीसदी रोजगार स्थानीय युवाओं को देना है। हम कंपनियों से विचार विमर्श कर रहे हैं कि उन्हें किस तरह के कुशल श्रमिक चाहिए। भोपाल में हम सिंगापुर के सहयोग से ग्लोबल स्किल पार्क बना रहे हैं। वहां सालाना करीब 6,000 लोगों को प्रशिक्षण दिया जाएगा।
प्रदेश में निवेश निरंतर आ रहा है। हम कोई लक्ष्य तय नहीं कर रहे हैं लेकिन हम हर संभावना तलाशेंगे। हमने फार्मा, टेक्सटाइल और रेडीमेड वस्त्र समेत सात-आठ क्षेत्र चिह्नित किए हैं। टेक्सटाइल एक ऐसा क्षेत्र है जो महज 100 करोड़ रुपये के निवेश से 1,000 लोगों को रोजगार दे सकता है। वहीं अगर 200-300 करोड़ रुपये का निवेश आ गया तो 3,000-4,000 लोगों को आसानी से रोजगार मिल जाता है।
मध्य प्रदेश आईटी क्षेत्र के लिए भी एक आदर्श जगह है लेकिन यहां की प्रतिभाएं विदेश जाना पसंद करती हैं। प्रदेश में इस क्षेत्र का अपेक्षित विकास नहीं हो सका।
कोविड ने दुनिया भर में हर क्षेत्र को प्रभावित किया। आईटी क्षेत्र भी उससे अछूता नहीं रह सका। इसके लिए ठोस बुनियादी सुविधाओं की आवश्यकता है। आप जानते हैं कि इंदौर में ज्यादा जगह नहीं बची है। भोपाल और जबलपुर के आईटी पार्क भी भर चुके हैं। हम नए आईटी पार्क बना रहे हैं। कोशिश यह भी है कि केवल बड़ी कंपनियां ही नहीं बल्कि छोटी आईटी कंपनियां भी प्रदेश में आएं।
इस क्षेत्र में प्रदेश के युवाओं ने एक वर्ष में ही कमाल कर दिखाया है। हमारे यहां करीब 2,700 स्टार्टअप हैं। इंदौर स्टार्टअप हब बन चुका है और वहां एक यूनिकॉर्न भी है। स्टार्टअप के क्षेत्र में हम गति पकड़ रहे हैं।
इस आयोजन का शुभारंभ प्रधानमंत्री और समापन राष्ट्रपति के हाथों होगा। दुनिया भर के प्रवासी भारतीय इसमें आ रहे हैं। हम चाहते हैं वे मध्य प्रदेश के बारे में सकारात्मक छवि लेकर जाएं। वहां अलग-अलग सत्र में चर्चाएं होंगी। एक पूरा सत्र मध्य प्रदेश की संभावनाओं पर केंद्रित होगा। हम चाहते हैं कि वे यहां निवेश करें। मैं आपको एक उदाहरण देता हूं। एक समय था जब इंदौर में बोन मैरो प्रत्यारोपण नहीं होता था। मैं अमेरिका गया, वहां कुछ प्रवासी चिकित्सकों से बात की और इसका नतीजा यह हुआ कि अब वहां बोन मैरो प्रत्यारोपण होने लगा है।