चुनाव आयोग इस साल के लोकसभा चुनावों में देश भर के दृष्टिहीनों के लिए ब्रेल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन का इस्तेमाल करने की योजना बना रही है।
चुनाव आयुक्त नवीन चावला ने बताया, ‘हम उन सभी जगहों पर इन मशीनों का इस्तेमाल करेंगे जहां दृष्टिहीनों की संख्या ज्यादा है।’ साल 2007 में देश में पहली बार उत्तराखंड में 150 दृष्टिहीनों ने ब्रेल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन से वोट किया था। ब्रेल इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन को देहरादून के राष्ट्रीय दृष्टिहीन संस्थान(एनआईवीएच) ने नेत्रहीनों के लिए बनाया था।
चावला ने बताया, ‘एनआईवीएच द्वारा दृष्टिहीनों के लिए बनाई गई वोटिंग मशीन काफी अच्छी तरह से काम करती हैं। इन मशीनों के काम से मैं काफी प्रभावित हूं।’ एनआईवीएच क ी निदेशिका डॉ. अनुराधा मोहित ने इसके लिए चुनाव आयोग की तारीफ की।
उन्होंने कहा, ‘जिन लोगों की दुनिया में सिर्फ अंधेरा है यह उन लोगों के लिए एक अच्छा तोहफा होगा।’ डॉ. अनुराधा खुद भी दृष्टिहीन हैं। इस मशीन से वोट करते समय दृष्टिहीनों को कोई भी मुश्किल नहीं होगी। इन मशीनों पर प्रत्याशियों के नाम और उनके चुनाव चिह्न ब्रेल लिपि में लिखे होंगे। डॉ. अनुराधा ने बताया, ‘पहले दृष्टिहीन वोटिंग करते थे तो उनकी वोटिंग में कोई गोपनीयता नहीं रह जाती थी।’
विशेषज्ञों ने कहा कि अभी भी इसमें और सुधार की जरूरत है। डॉ. अनुराधा ने बताया, ‘अगर हम इन मशीनों में ध्वनि आधारित सिस्टम भी लगा सके तो अनपढ़ दृष्टिहीनों को भी सुविधा होगी।’ दरअसल दृष्टिहीनों में ब्रेल लिपि की साक्षरता दर 22-25 फीसदी के बीच ही है।
