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स्थानीय आरक्षण से नाखुशी

Last Updated- December 14, 2022 | 9:32 PM IST

हरियाणा विधानसभा ने निजी क्षेत्र की नौकरियों में राज्य के आवेदकों को 75 प्रतिशत आरक्षण देने के लिए विधेयक पारित किया है, जिसे कंपनियां राज्य के विकास और उद्योगों के लिए हानिकारक बता रही हैं।
अगर यह विधेयक कानून बन जाता है तो इसका सबसे ज्यादा असर ऑटोमोबाइल उद्योग पर पड़ेगा, जो सीआईआई जैसे उद्योग संगठनों के माध्यम से राज्य सरकार से संपर्क करने की योजना बना रहा है।
कानून बनने से पहले इस विधेयक पर राज्य के राज्यपाल को मंजूरी देनी है।
मारुति सुजूकी के चेयरमैन आरसी भार्गव ने कहा, ‘स्थानीय लोगोंं को नौकरी पर रखना हमेशा फायदेमंद होता है। लेकिन कंपनियों को कुशल कर्मचारियों की जरूरत होती है और यह वाहन उद्योग में अहम है। हम अभी इंतजार करेंगे कि इसे किस तरीके से लागू किया जाता है।’ मारुति सुजूकी मानेसर ऑटो बेल्ट में सबसे बड़ी नियोक्ता है और कंपनी ने मसौदे के स्तर पर ही विधेयक का विरोध किया था।
ऑटोमोटिव कंपोनेंट मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन आफ इंडिया (एसीएमए) के महानिदेशक विन्नी मेहता ने कहा कि मौजूदा प्रारूप में विधेयक निवेश के केंद्र के रूप में हरियाणा की छवि को नष्ट कर देगा।
हरियाणा सरकार के साथ मिलकर काम करने व कई मसलों पर सरकार का समर्थन करने वाले सीआईआई ने इस विधेयक को लेकर कड़ा रुख अपनाया है। सीआईआई ने हरियाणा सरकार को मेल में लिखा है, ‘इस विधेयक का हरियाणा के मौजूदा कारोबार पर असर पड़ेगा और उसकी निवेश के प्रति मित्रवत होने की छवि खराब होगी और कारोबार सुगमता में राज्य की रैंकिंग नीचे चली जाएगी।’
एफएमसीजी क्षेत्र की कंपनियों के अधिकारियोंं का भी कहना है कि 50-75 प्रतिशत स्थानीय लोगों को रखना व्यावहारिक नहीं है। उद्योग के एक अधिकारी ने कहा, ‘स्थानीय लोग कम वेतन पर काम करने को तैयार नहीं होते। उन्हें प्रशिक्षण देना कठिन है, जो शारीरिक श्रम करना नहीं चाहते। यह कुछ व्यावहारिक कठिनाइयां हैं, जो कंपनी को स्थानीय लोगों को भर्ती से रोकती हैं।’
बहरहाल दिल्ली की  कंपनी जिंदल स्टेनलेस (हिसार) लिमिटेड में सिर्फ स्थानीय लोगों की भर्ती होती है। कंपनी के मुख्य मानव संसाधन अधिकारी एसके जैन ने कहा, ‘हमारे यहां विस्थापित श्रमिक काम नहीं करते और कॉर्पोरेट प्रशासन के मुताबिक काम होता है। सरकार जो भी नियम लाएगी, हम उसका पालन करेंगे।’
कंपनी की दो सहायक इकाइयां जेएसएल लाइफस्टाइल लिमिटेड और जिंदल स्टेनलेस स्टीलवे लिमिटेड हैं।
रतन जिंदल के नेतृत्व वाली जिंदल स्टेनलेस (हिसार) में ज्यादातर कर्मचारियों की भर्ती स्थानीय आईआईटी और पॉलिटेक्निक स्कूलों से होती है और उनका वेतन 50,000 रुपये महीने से नीचे है। जैन ने कहा कि हमारा संगठन विभिन्न प्लेटफॉर्मों के माध्यम से स्थानीय लोगों को सेवाएं दे रहा है।
(अदिति दिवेकर, अरिंदम मजूमदार, विवेट सुजन पिंटो और अर्णव दत्ता की रिपोर्ट)

First Published - November 7, 2020 | 12:46 AM IST

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