facebookmetapixel
भारत में Demat Boom… पर क्यों 85% परिवार अभी भी मार्केट में नहीं आते?Explainer: नया डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन (DPDP) नियम क्या है इसका आपके ऊपर क्या प्रभाव पड़ने वाला है?शेख हसीना को फांसी की सजा के बाद बोला भारत: हम बांग्लादेश के लोगों के हित में खड़े हैंFD से भी ज्यादा ब्याज! पोस्ट ऑफिस की इन 5 बड़ी सेविंग स्कीम्स में निवेश कर आप बना सकते हैं तगड़ा फंडअक्टूबर में निर्यात 11.8% घटकर 34.38 अरब डॉलर रहा; व्यापार घाटा बढ़कर 41.68 अरब डॉलर पर पहुंचाटैक्स सिस्टम में होगा ऐतिहासिक बदलाव! नए इनकम टैक्स कानून के तहत ITR फॉर्म जनवरी से होंगे लागूक्या पेंशनर्स को अब DA और दूसरे लाभ नहीं मिलेंगे? सरकार ने वायरल मैसेज की बताई सच्चाईदुबई से जुड़े Forex Scam का पर्दाफाश; निजी बैंक कर्मचारी समेत 3 गिरफ्तारIncome Tax: फ्रीलांसर्स और पार्ट-टाइम जॉब से कमाई करने वालों पर टैक्स को लेकर क्या नियम है?Groww की पैरेंट कंपनी का वैल्यूएशन ₹1 लाख करोड़ पार, शेयर इश्यू प्राइस से 78% उछला

दिव्‍यांग कर्मचारी संभाल रहे पुणे का यह रेस्‍तरां

Last Updated- December 12, 2022 | 6:20 AM IST

पुणे में दिव्‍यांग कर्मचारियों का एक विशेष रेस्‍तरां खुला है। टेरासिन रेस्‍तरां शहर का पहला ऐसा रेस्‍तरां है, जिसके सभी कर्मचारी दिव्‍यांग हैं। इसमें करीब 22 कर्मचारी हैं तथा 20 लोग प्रशिक्षण प्राप्‍त कर रहे हैं।  सुनने और बात करने में असमर्थ लोग टेरासिन रेस्‍तरां में सेवा प्रदान कर रहे हैं। ये कर्मचारी महाराष्ट्र के ग्रामीण इलाकों से हैं और इन्‍हें रेस्‍तरां में काम करने के लिए तीन महीने का प्रशिक्षण दिया गया है। ये कर्मचारी रेस्‍तरां में आने वाले ग्राहकों का स्‍वागत करते हैं और उन्‍हें मेनू कार्ड देते है। कार्ड के ऊपर एक विशेष चिह्न होता है।

रेस्‍तरां की मालकिन डॉ. सोनम कापसे इन कर्मचारियों को प्रशिक्षण देती हैं। वह कहती हैं, मैं खुद एक डॉक्टर हूं। मैं कई साल से ऐसे बच्चों के लिए काम कर रही हूं। मैं ऐसे लोगों के लिए एक मंच सृजित कर रही हूं। हमें उन्हें इस स्तर पर प्रशिक्षण देना था कि वे भविष्य में अपने घर-परिवार और स्‍वयं के लिए काम कर सकें। हम उन्‍हें तीन महीने से प्रशिक्षण दे रहे हैं। ये सभी कर्मचारी ग्रामीण क्षेत्रों से है। ज्यादा पढ़े-लिखे नही हैं।
डॉ. कापसे बताती हैं कि ये लोग बहुत मेहनत कर रहे हैं। इन्‍होंने यूरोपीय और भारतीय मेनू याद कर लिया है। हमने उन्‍हें सिखाया है कि ग्राहकों से संवाद कैसे करना है। इसमे उन्होंने बहुत निष्ठा दिखाई है। ऐसा मंच इन्हें पहले कभी नही मिला था। हमारे यहां मधुमेह से पीडि़त 80 साल का बुजुर्ग भी खाना खा सकता है। इससे कुछ भी दुष्‍प्रभाव नही होता। इसी तरह कॉलेज के युवा भी यहां खाना खा सकते हैं।

First Published - April 2, 2021 | 11:53 PM IST

संबंधित पोस्ट