सरकार व चीनी मिल मालिकों की लड़ाई में उत्तर प्रदेश के लाखों गन्ने उत्पादकों को आर्थिक नुकसान उठाना पड़ रहा है।
भुगतान में हो रही देरी के कारण उत्तर प्रदेश के किसानों ने गन्ने की खेती से भी अपना मुंह मोड़ लिया है। इस साल राज्य में चीनी के उत्पादन में लगभग 30 फीसदी की कमी की संभावना है। दूसरी ओर, चीनी मिल मालिकों ने गन्ने के भुगतान को लेकर राज्य सरकार से अपनी नीति साफ करने के लिए कहा है।
वर्ष 2007-08 के दौरान केंद्र सरकार ने गन्ने की कीमत 86 रुपये प्रति क्विंटल तय की थी। इस हिसाब से उत्तर प्रदेश के मिल मालिकों को राज्यों के सरचार्ज वैगरह लगाकर 115 रुपये प्रति क्विंटल भुगतान करना था। लेकिन राज्य सरकार की तरफ से गन्ने का मूल्य 125.30 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया।
राज्य सरकार के इस फैसले को उत्तर प्रदेश हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने जायज करार दिया। इस फैसले को इलाहाबाद की खंडपीठ के समक्ष चुनौती दी गयी। खंडपीठ ने लखनऊ बेंच के फैसले को पलटते हुए केंद्र सरकार द्वारा तय मूल्य के हिसाब से मिल मालिकों को भुगतान करने के लिए कहा। अब इस फैसले को उत्तर प्रदेश सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है।
गाजियाबाद के किसान नरेश सिरोही कहते हैं, ‘सूबे की सरकार द्वारा गन्ने के लिए 125 रुपये प्रति क्विंटल के मूल्य घोषित करने से किसानों को कोई लाभ नहीं मिला। मामला हाईकोर्ट से होता हुआ सुप्रीम कोर्ट में पहुंच गया है। बकाये के भुगतान में देरी से किसानों में काफी निराशा है।’ गत वर्ष किसानों ने नवंबर से अप्रैल तक चीनी मिलों को गन्ने की आपूर्ति की थी।
चीनी उत्पादन के मामले में उत्तर प्रदेश का देश में दूसरा स्थान है और यहां लगभग 130 चीनी मिल है। किसानों के मुताबिक अधिकतर मिलों ने पेराई के आखिरी नौ दिनों का भुगतान भी अब तक नहीं किया है। सहारनपुर स्थित दया शुगर मिल के सलाहकार डीके शर्मा कहते हैं, ‘भुगतान में विलंब की वजह से इस साल उत्तर प्रदेश में गन्ने के किसान चावल व अन्य फसलों की खेती कर रहे हैं।
वर्ष 2007-08 के दौरान राज्य में चीनी का उत्पादन 82 लाख टन हुआ लेकिन इस बार गन्ने की बिजाई में 30 फीसदी कमी से उत्पादन 55-58 लाख टन रहने का अनुमान है।’ उधर उत्तर प्रदेश के मिल मालिकों का कहना है कि गन्ने की दरों के निर्धारण के लिए सरकार को एक फार्मूला तय करना चाहिए।
ताकि इस प्रकार की समस्या उत्पन्न नहीं हो। इस साल गन्ने के उत्पादन के लिए पूरे देश भर में 43 लाख हेक्टेयर जमीन पर रोपण किया गया है जो कि पिछले साल के मुकाबले लगभग 20 फीसदी कम है। इस कारण चीनी के उत्पादन में आगामी मौसम के दौरान 2 करोड़ टन कम उत्पादन की संभावना है।
चीनी कम है
इस साल चीनी का उत्पादन 30 फीसदी घटने का अनुमान
गन्ना बकाया से त्रस्त किसानों ने किया चावल जैसी फसलों का रुख
गन्ने का रकबा 30 प्रतिशत घटा