सोशल मीडिया दिग्गज कंपनी Twitter को कर्नाटक हाईकोर्ट की तरफ से झटका लगा है। कर्नाटक हाईकोर्ट ने शुक्रवार को ट्विटर की उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें उसने सूचना प्रौद्योगिकी (IT) मंत्रालय के आदेश के खिलाफ दलील दी थी। हाईकोर्ट ने कंपनी पर 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगा दिया है।
IT मंत्रालय ने ट्विटर को कुछ कंटेंट ब्लॉक करने का आदेश दिया था। सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 69A के तहत, केंद्र सरकार उससे या उसकी एजेंसी मध्यस्थों (इस मामले में ट्विटर) से किसी भी कंटेंट को सार्वजनिक पहुंच यानी पब्लिक एक्सेस तक पहुंचने से रोकने के लिए कह सकती है।
क्यों हाईकोर्ट ने लगा दिया ट्विटर पर जुर्माना?
हाईकोर्ट में सुनवाई करते हुए जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित ने ट्विटर को फटकार लगाई और और उठाए ट्विटर पर कई सवाल
1. आपके क्लाइंट (ट्विटर) को नोटिस दिया गया था और आपके क्लाइंट ने इसका पालन नहीं किया।
2. अनुपालन न करने पर सात साल की कैद और अनलिमिटेड जुर्माना है। इससे भी आपके क्लाइंट पर असर नहीं पड़ा। इसलिए आपने कोई कारण नहीं बताया कि आपने अनुपालन में देरी क्यों की?
3. एक साल से अधिक की देरी…और फिर अचानक आप अनुपालन करते हैं और अदालत का दरवाजा खटखटाते हैं। आप किसान नहीं बल्कि अरबों डॉलर की कंपनी हैं।’
4. हाईकोर्ट ने हिदायत देते हुए यह भी कहा कि आप जिसका ट्वीट ब्लॉक कर रहे हैं, उसे कारण भी बताएं। और यह भी क्लियर करें कि यह प्रतिबंध कितने समय के लिए लगाया गया है।
हाईकोर्ट की जस्टिस की बेंच ने अपना फैसला 21 अप्रैल को सुरक्षित रख लिया था। आज यानी 30 जून को कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए 45 दिन के भीतर जुर्माना अदा करने के लिए कहा है।
क्या थी केंद्र की दलील ?
केंद्र ने मार्च में हाईकोर्ट को बताया कि अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता प्रदान करने वाला संविधान का अनुच्छेद 19 ट्विटर पर लागू नहीं होता है क्योंकि ट्विटर एक विदेशी कंपनी है।
ट्विटर की तरफ से दी गई थी सफाई
सरकार ने ट्विटर से किसानों के विरोध प्रदर्शन और कोरोना वायरस के बारे में ट्वीट हटाने को कहा। ट्विटर ने हाईकोर्ट से कहा था कि केंद्र सरकार ये निर्देश देकर बहुत अधिक शक्ति और अधिकार का इस्तेमाल कर रही है। केंद्र के पास ये अधिकार नहीं है कि यह सोशल मीडिया पर अकाउंट ब्लॉक करने का जनरल ऑर्डर इश्यू कर दे।
ट्वविटर ने कहा कि जब सरकार ऐसे आदेश देती है तो उसे इसकी वजह भी बतानी चाहिए ताकि ट्विटर अपने यूजर्स को इसकी जानकारी दे सके।
ट्विटर ने कहा कि अगर ऑर्डर जारी करते समय वजह नहीं बताई जाती और देरी की जाती है तो लोग ये समझने लगते हैं कि जवाब कंपनी की तरफ से बना लिया गया है और कंपनी के जवाबों पर संदेह करने लगते हैं।
गौरतलब है कि केंद्र ने जून में ट्विटर को एक नोटिस जारी कर कहा था कि अगर वह ट्वीट नहीं हटाती तो वह आईटी अधिनियम (IT Act) की धारा 79(1) के तहत अपना सुरक्षित अधिकार खो देगी।
समझें पूरा मामला?
दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के मुताबिक सरकार ने IT Act 69A के तहत फरवरी 2021 से फरवरी 2022 के बीच ट्विटर को 1,474 अकांउट, 175 ट्वीट, 256 URL और एक हैशटैग ब्लॉक करने के आदेश दिए थे।
लेकिन ट्विटर ने इन आदेशों का पालन नहीं किया और जब सरकार ने पिछले साल 4 और 6 जून को आदेश न पालन करने पर जवाब मांगा तो ट्विटर ने कहा कि जिन यूजर्स को ब्लॉक करने के लिए कहा गया है उनके अकाउंट की ट्विटर ने जांच की और यह पाया कि वे अकाउंट धारा 69A का उल्लंघन नहीं करते हैं।
27 जून को IT मंत्रालय ने ट्विटर को नोटिस भेजा और कहा कि सरकार ट्विटर के खिलाफ कानूनी कार्रवाई करेगी।
बता दें कि सरकार के 10 आदेशों को ट्विटर ने 26 जुलाई, 2022 को चुनौती दी जिसमें 39 URL ब्लॉक करने का फरमान सुनाया गया था। ट्विटर ने यह दलील कर्नाटक हाईकोर्ट के सामने रखी जिसमें जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित की सिंगल जज बेंच ने इस पर सुनवाई की और आज फैसला सुनाया।