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कोरोना की मार से पीतल नगरी की हालत पतली

Last Updated- December 14, 2022 | 11:04 PM IST

कोरोनावायरस ने पीतल नगरी के नाम से मशहूर मुरादाबाद के पीतल उद्योग की हालत पतली कर दी है। लॉकडाउन के दौरान उत्पादन ठप रहने और अनलॉक में मांग कम रहने के कारण इस साल पीतल उत्पादकों का निर्यात 25 से 40 फीसदी घट सकता है। अप्रैल से जुलाई के बीच ही निर्यात पिछले साल अप्रैल-जुलाई के मुकाबले 48 फीसदी गिर चुका है। कारोबारियों को आगे भी बहुत उम्मीद नहीं है।
मुरादाबाद मूल धातुओं से बने सजावटी सामान का सबसे बड़ा निर्यात केंद्र है। वहां बनने वाला हस्तशिल्प सामान, उपहार, यूटिलिटी उपकरण, स्‍नानघर और बगीचे में काम आने वाले उपकरण, घरेलू सजावट का सामान यूरोप, अमेरिका तथा अन्य देशों में खूब पसंद किया जाता है। पीतल महंगा होने के कारण पिछले चार-पांच साल से मुरादाबाद में एल्युमीनियम, स्टेनलेस स्टील और लोहे का सजावटी सामान ज्यादा बन रहा है, जिस पर पीतल जैसी पॉलिश कर दी जाती है। मगर पीतल उद्योग से जुड़ी वहां की करीब 4,000 इकाहयां बेहद चुनौती भरे दौर से गुजर रही हैं। 3-4 लाख लोगों को रोजगार देने वाले मुरादाबाद के इस उद्योग में 600 से अधिक हस्तशिल्प निर्यातक हैं और उद्योग में 80-85 फीसदी हिस्सेदारी भी निर्यात की ही रहती है।
मुरादाबाद की सबसे बडी निर्यातक फर्म सीएल गुप्ता प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राघव गुप्ता बताते हैं कि अभी तो लॉकडाउन से पहले मिले ऑर्डर की डिलिवरी ही हुई है। मार्च के बाद लॉकडाउन के कारण ऑर्डर ही नहीं मिले थे, इसलिए इस साल निर्यात में 25 से 30 फीसदी कमी आ सकती है। हस्‍तशिल्‍प निर्यातक संघ के महासचिव सतपाल कहते हैं कि मुरादाबाद से क्रिसमस के लिए जमकर निर्यात किया जाता है। माल जून से सितंबर के बीच भेजा जाता है और इससे तीन-चार महीने पहले उत्पादन शुरू कर दिया जाता है। मगर लॉकडाउन की वजह से उस वक्त उत्पादन बंद रहा। अभी लॉकडाउन से पहले तैयार माल ही अमेरिका तथा यूरोप भेजा जा रहा है। उत्पादन नहीं होने के कारण इस बार निर्यात भी 40 फीसदी घट सकता है और घरेलू ऑर्डर नहीं के बराबर हैं। मुरादाबाद के ही निर्यात और लघु उद्योग भारती के प्रदेश सचिव अजय गुप्ता ने बताया कि लॉकडाउन के कारण अटके ऑर्डर पर विदेशी आयातकों ने छूट मांगी है। बमुश्किल 7 से 10 फीसदी मार्जिन पर काम करने वाले निर्यातकों को मजबूरी में छूट देनी पड़ी, वरना ऑर्डर छिनने का डर था। खरीदार उधारी भी लंबी कर रहे हैं। इतना ही नहीं, कंटेनरों की भी कमी है और सीमा शुल्‍क विभाग से मंजूरी मिलने में समय लग रहा है। इसका खामियाजा निर्यातकों को ही भुगतना पड़ेगा।
हस्तशिल्प निर्यात संवद्र्घन परिषद के कार्यकारी निदेशक आरके वर्मा ने बताया कि इस साल अप्रैल से अगस्त के बीच 783 करोड़ रुपये मूल्‍य के धातु से निर्मित कलात्मक सामान का निर्यात हुआ, जबकि अप्रैल से अगस्त 2019 में 1,501 करोड़ रुपये का माल चला गया था। हालांकि जुलाई के बाद निर्यात गिरावट में कमी है, मगर वित्त वर्ष के अंत तक कुल निर्यात पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 35 से 40 फीसदी कम रह सकता है।

First Published - October 5, 2020 | 11:22 PM IST

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