पंजाब में किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण रेलवे ने नुकसान के डर से माल ढुलाई की सेवाएं रोक रखी हैं। इसकी वजह से राज्य को बिजली कटौती से जूझना पड़ रहा है, क्योंकि बिजली उत्पादन इकाइयों को कोयले की आपूर्ति सीमित हो गई है। रेलवे ने 1 अक्टूबर से राज्य में माल ढुलाई का काम रोक दिया था, लेकिन 23 अक्टूबर से आंशिक रूप से परिचालन फिर से शुरू हुआ, जो बाद में फिर रोक दिया गया।
पंजाब के तीन ताप बिजली संयंत्रों में 4 नवंबर को कोयले की उपलब्धता (दिन की संख्या के मुताबिक) शून्य थी। वहीं अन्य दो संयंत्रों में क्रमश: 6 और 11 दिन के लिए कोयले की उपलब्धता है। शुक्रवार को रेलवे ने राज्य सरकार के साथ एक बैठक में सेवाएं बहाल किए जाने को लेकर स्थिति की समीक्षा की है।
रेलवे बोर्ड के मुख्य कार्याधिकारी (सीईओ) और चेयरमैन वीके यादव ने कहा, ‘पंजाब के बिजली संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति की स्थिति गंभीर है। बड़ी संख्या में कोयले के रैक पंजाब के बाहर खड़े हैं और पंजाब में और जम्मू कश्मीर जाने का इंतजार कर रहे हैं। जितनी जल्दी बंदी खत्म हो जाएगी, हम बिजली क्षेत्र को आपूर्ति को प्राथमिकता देंगे।’ राज्य के बाहर 230 रैक खड़े हैं, जो पंजाब में पहुंचाए जाने हैं, इनमें से 78 बिजली क्षेत्र के हैं।
पंजाब के किसानों ने 24 सितंबर को रेलवे पटरियों व स्टेशन का घेराव शुरू किया था, जो तीन कृषि कानून वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं। 24 सितंबर से पंजाब में सभी यात्री व पार्सल ट्रेनों की आवाजाही रद्द कर दी गई है, लेकिन कुछ इलाकों में मालगाडिय़ों की आवाजाही हो रही है। एक अक्टूबर के बाद से मालगाडिय़ों की आवाजाही भी रोक दी गई, क्योंकि विरोध प्रदर्शन पूरे पंजाब में फैल गया। इसे 23 अक्टूबर को आंशिक रूप से बहाल किया गया, लेकिन बाद में फिर रोक दिया गया। पिछले 49 दिन में 2,300 मालगाडिय़ों व 1,300 यात्री रेलगाडिय़ों की आवाजाही प्रभावित हुई है।
पंजाब में 5 कोयला आधारित बिजली संयंत्र हैं, जिनकी कुल क्षमता 5,690 मेगावॉट है। पिछले 2 सप्ताह से राज्य की रोजाना की अधिकतम बिजली की मांग 5,000 मेगावॉट है। वहीं बिजली के अन्य स्रोतों जैसे पनबिजली सौर ऊर्जा की बिजली आपूर्ति में हिस्सेदारी करीब 800 मेगावॉट है।
रेल सेवाओं में व्यवधान की वजह से राज्य की ताप बिजली इकाइयों की कोयले की आपूर्ति अचानक गिर गई है। बुधवार को 5 बिजली उत्पादन संयंत्रों में कुल बिजली उत्पादन 33 लाख यूनिट रहा, जो 23 अक्टूबर को 260 लाख यूनिट था। इसकी वजह से राज्य को हाजिर बाजार से बिजली की खरीद बढ़ानी पड़ी है। राज्य की कम अवधि के लिए बाजार से बिजली खरीद इस सप्ताह की शुरुआत में बढ़कर 1,100 मेगावॉट हो गई है।
राज्य में 5 ताप बिजली संयंत्र, सार्वजनिक क्षेत्र के गुरु हरगोविंद पावर प्लांट (920 मेगावॉट) और रोपड़ संयंत्र (840 मेगावॉट) और निजी क्षेत्र के गोइंदवाल साहिब (540 मेगावॉट), राजपुरा (1,400 मेगावॉट) और तलवंडी साबो (1,940 मेगावॉट) हैं।
उत्तर रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बात की पुष्टि की कि शुक्रवार को भी रेल सेवाएं शुरू नहीं की जा सकी हैं क्योंकि राज्य में कुछ जगहों पर ब्लॉकेड है। बुधवार को पंजाब के मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने दावा किया था कि राज्य में कहीं भी अवरोध नहीं है और उन्होंने रेल मंत्री पीयूष गोयल को पत्र लिखकर रेल की सुरक्षा का आश्वासन भी दिया था। सिंह ने पत्र में कहा था, ‘यह उल्लेख करना अहम है कि किसानों के मौजूदा विरोध प्रदर्शन में रेलवे की किसी संपत्ति को नुकसान नहीं पहुंचाया गया है।’
यादव ने कहा, ‘रेलवे परिचालन बहार करने की कवायद कर रहा है और राज्य में सुरक्षा जांच की हरी झंडी मिलते ही सेवाएं बहाल कर दी जाएंगी। शुक्रवार शाम को 22 जगहों पर अवरोध था। आज रेलवे पुलिस बल और राज्य के अधिकारियों के साथ बैठक ुहई। हमने राज्य सरकार से सभी रेलगाडिय़ों को सुरक्षा मुहैया कराने की मांग की है।’ आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक उत्तर रेलवे को 1 अक्टूबर से 3 नवंबर तक माल ढुलाई न होने के कारण 495 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है, जबकि यात्री गाडिय़ों के रुकने से करीब 45 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।
