महाराष्ट्र में मंदिर खोलने को लेकर सियासत तेज हो गई है। मंदिरों को फिर से खोलने के लिए पूरे राज्य में भारतीय जनता पार्टी ने मंगलवार को अनशन और प्रदर्शन किया। मंदिर खोलने को लेकर राज्यपाल भगत सिंह कोश्यारी और मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने एक दूसरे को पत्र लिखा जिसके बाद धर्मनिरपेक्षता पर बहस छिड़ गई। इस बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाराष्ट्र में कोरोना की स्थिति पर चिंता जताई है।
महाराष्ट्र में मंदिरों को फिर से खोलने के लिए पूरे राज्य में भाजपा ने आज अनशन और प्रदर्शन किया। मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर, शिरडी में साईं बाबा मंदिर और पुणे में तांबड़ी जोगेश्वरी मंदिर के बाहर भाजपा कार्यकर्ताओं का अनशन अपराह्नï 2 बजे तक देखने को मिला। सिद्धि विनायक मंदिर में घुसने का प्रयास कर रहे एक दर्जन भाजपा कार्यकर्ताओं को हिरासत में भी लिया गया। कार्यकर्ताओं का कहना था का महाराष्ट्र सरकार श्रद्धालुओं के लिए मंदिर नहीं खोल रही है जबकि सारी सेवाएं और अन्य प्रतिष्ठान सभी खोल दिए गए हैं। मंदिर चालू मंदिर बंद के नारेबाजी करते हुए भाजपा कार्यकर्ताओं ने कहा कि अगर भक्तों के लिए मंदिर फिर से नहीं खोले जाते तो वे बड़ा आंदोलन करेंगे।
राज्य में मंदिरों को दोबारा खोलने को लेकर महाराष्ट्र के राज्यपाल और मुख्यमंत्री ने एक दूसरे को पत्र लिखा। पत्र के शब्दों ने राज्य में सियासत तेजी ला दी। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने राज्यपाल बी एस कोश्यारी को सूचित किया है कि राज्य में कोविड-19 संबंधी हालात की पूरी समीक्षा के बाद धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने का फैसला किया जाएगा। ठाकरे ने अपने जवाब में कहा कि यह संयोग है कि कोश्यारी ने जिन तीन पत्रों का जिक्र किया है, वे भाजपा पदाधिकारियों और समर्थकों के हैं। कोश्यारी आरएसएस से जुड़े रहे हैं और भाजपा के उपाध्यक्ष रह चुके हैं। उन्होंने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा था कि क्या आप अचानक धर्मनिरपेक्ष हो गए हैं? इसके जवाब में ठाकरे ने सवाल किया कि क्या कोश्यारी के लिए हिंदुत्व का मतलब केवल धार्मिक स्थलों को पुन: खोलने से है और क्या उन्हें नहीं खोलने का मतलब धर्मनिरपेक्ष होना है। ठाकरे ने कहा कि क्या धर्मनिरपेक्षता संविधान का अहम हिस्सा नहीं है, जिसके नाम पर आपने राज्यपाल बनते समय शपथ ग्रहण की थी। लोगों की भावनाओं और आस्थाओं को ध्यान में रखने के साथ-साथ, उनके जीवन की रक्षा करना भी अहम है। लॉकडाउन अचानक लागू करना और समाप्त करना सही नहीं है।
महाराष्ट्र में धार्मिक स्थलों को खोले जाने की मांग के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मौजूदगी में राज्य में कोरोना की स्थिति को लेकर चिंता जताई। प्रधानमंत्री पूर्व केंद्रीय मंत्री बालासाहेब विखे पाटिल की आत्मकथा के विमोचन के अवसर पर वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। इस कार्यक्रम में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री के अलावा, पूर्व मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस सहित विखे पाटिल परिवार के सदस्य भी मौजूद थे। अपने संबोधन के अंतिम हिस्से में मोदी ने कहा कि अपनी बात समाप्त करने से पहले मैं आप लोगों से एक बात कहना चाहूंगा। विशेषकर महाराष्ट्र के लोगों से तो जरूर कहना चाहूंगा। कोरोना का खतरा अभी भी बना हुआ है। महाराष्ट्र में यह चिंता जरा ज्यादा है। उन्होंने महाराष्ट्र के सभी नागरिकों से कोरोना के बचने के सारे उपायों को अपनाने की प्रार्थना की और कहा, ‘चेहरे पर मास्क, बार-बार हाथ धोना, साफ-सफाई और दो गज की दूरी, इन नियमों में बिल्कुल लापरवाही नहीं करनी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमें हमेशा याद रखना है कि जब तक दवाई नहीं, तब तक ढिलाई नहीं। हमें यह लड़ाई जरूर जीतनी है और हम जीतेंगे।’
