मध्य प्रदेश में कृषि निवेश अब ढाक के तीन पात की तरह हो गया है।
राज्य सरकार के अथक प्रयासों और कई समझौतों के बाद भी पिछले डेढ़ साल से एक भी कृषि शोध संस्थान, कृषि प्रंसस्करण, खाद्य उत्पादक प्रदेश में निवेश करने की योजना नहीं बना रहा है।
किसान उत्थान एवं कृषि विकास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि बॉयो डीजल परियोजनाओं को छोड़कर कोई भी फर्म ऐसी नहीं है जिसने मध्य प्रदेश में निवेश के लिए अपनी विस्तृत परियोजना रिपोर्ट जमा की है।
निवेशकों का मानना है कि मध्य प्रदेश में निवेश करने के लिए कागजात की लंबी प्रक्रिया और सरकारी बाबूगीरी में काफी समय निकल जाता है। ऐसे मे दूसरों राज्यों में निवेश करना ज्यादा फायदेमंद है।
मुंबई स्थित रुचि सोया इंडस्ट्रीज, दिल्ली स्थित मिशन बॉयो फ्यूल इंडिया और एलटी ओवरसीज प्राइवेट लिमिटेड और ग्रेट वन आयल प्राइवेट लिमिटेड और मुरैना स्थित के एस ऑयल को बॉयो डीजल के प्लांट स्थापित करने के लिए जमीन उपलब्ध करा दी गई है।
छह कंपनियों ने राज्य में जटरोफा की खेती के लिए सम्मिलित तौर पर 2205 करोड़ रुपये का निवेश करने की योजना बनाई है। इसमें 1,000 करोड़ रुपये का निवेश रुचि सोया ने अकेले ही करने की योजना बनाई है।
इसके अलावा मिशन बॉयो फ्यूल 250 करोड़, के एस ऑयल 200 करोड़, एलटी ओवरसीज लिमिटेड 250 करोड़, ग्रेट वन ऑयल 5 करोड़ और डीएल ऑयल प्राइवेट लिमिटेड 5,000 हजार करोड़ रुपये का निवेश करेगी।
यही नहीं इसके लिए राज्य सरकार ने गैर वन और गैर कृषि भूमि योजना 2006 में संशोधन किया है। पिछले साल मई में आयोजित की गई बिजनेस मीट में कई कंपनियों ने मध्य प्रदेश में 6896 करोड़ रुपये का निवेश करने का वादा किया था।