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रियायतें भी नहीं दे सकी हैं खेल उद्योग को दर्द की दवा

Last Updated- December 05, 2022 | 7:00 PM IST

इस वर्ष के बजट में स्पोर्टस उद्योग के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए की गई रियायतों की घोषणा से उद्योग को अभी तक किसी भी तरह का फायदा नहीं हुआ है।


इन रियायतों के बावजूद श्रम पर आधारित इस उद्योग में अभी तक क ई समस्याएं जस की तस है।स्पोर्टस गुड्स एक्सपोर्ट प्रमोशन काउंसिल के उपाध्यक्ष बी के कोहली ने बिजनेस स्टैंडर्ड को बताया कि ‘सरकार ने स्पोट्र्स उद्योग के लिए पांच तरह के कच्चे माल पर निर्यात कर को हटा दिया है। खास बात यह है कि रियायत प्राप्त इस कच्चे माल को प्रयोग बड़ी कम मात्रा में किया जाता है।


अगर सरकार वास्तव में इस उद्योग के  हालातों को सुधारना चाहती है तो रियायत प्राप्त उत्पादों के दायरें को बढ़ाना होगा।’उन्होंने बताया कि बजट में दी गई छूट भी उन्हीं आयातों को प्राप्त है जिन्हें स्पोट्र्स उत्पादों पर तीन फीसदी एफओबी के मूल्यों पर निर्माणकर्ता द्वारा निर्यात किया जाएगा।’


उन्होंने ने यह भी कहा कि स्पोटर्स से संबधित उत्पादों के निर्मार्णकत्ता बजट में रियायतों की घोषणा होने के बावजूद कच्चे माल पर भारी आयात कर दे रहें है। इस वित्त वर्ष में निर्यात पिछले वर्ष की तुलना में 7 फीसदी कम हो गया है। उन्होंने कहा कि सरकार को इस उद्योग के बिगड़ते हुए हालात को देखते हुए जल्द ही सार्थक कदम उठाने पड़ेगे क्योंकि यह इस उद्योग की वर्तमान स्थिति को सुधारने का प्रश्न न होकर लाखों लोगों के रोजगार और जिदंगी का प्रश्न है।


वाणिज्य मंत्रालय भी इस उद्योग से जुड़े लोगों के लिए कुछ खास नहीं कर रहा है। इस उद्योग में काम करने वाले श्रमिकों में लगभग 98 फीसदी समाज के कमजोर तबके से है। रुपये की तुलना में कमजोर होते डॉलर को देखते हुए निर्यातकों को वैश्विक स्तर पर प्रतिस्पर्धा का सामना करने के लिए 3 से 5 वर्षो के लिए कम ब्याज पर वित्त सहायता देनी होगी। बीते वर्ष के दौरान डॉलर के मुकाबले रुपये में करीब 12 प्रतिशत की तेजी देखीर् गई है।

First Published - April 3, 2008 | 10:09 PM IST

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