चंडीगढ़ ने बिजली वितरण कारोबार के निजीकरण के लिए बोली आमंत्रित की है। यह दिल्ली के बाद निजीकरण की ओर बढऩे वाला दूसरा केंद्रशासित प्रदेश है। आर्थिक पुनरुद्धार के लिए केंद्र सरकार की आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत बिजली वितरण कंपनियों का निजीकरण भी किया जाना है।
केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ की बिजली शाखा ने रुचि लेने वाली इकाइयों से बोली आमंत्रित की है। योजना के मुताबिक प्रतिस्पर्धी प्रक्रिया के तहत चुने गए बोलीदाता को वितरण कंपनी की 100 प्रतिशत हिस्सेदारी दी जाएगी, जिसका दायित्व बिजली का वितरण और खुदरा आपूर्ति होगा और उसे केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ लिए वितरण लाइसेंस दिया जाएगा।
आरएफपी खरीदने की अंतिम तिथि 23 दिसंबर 2020 है और 30 दिसंबर 2020 को बोली दाखिल करने की अंतिम तिथि है। चंडीगढ़ प्रशासन ने एक नोटिस में कहा है कि आरएफपी की कीमत 5 लाख रुपये है और बोली लगाने वालों को बोली प्रतिभूति राशि के रूप में 10 लाख रुपये की बैंक गारंटी देनी होगी।
केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मई में घोषणा की थी कि केंद्र शासित क्षेत्रों के बिजली वितरण कारोबार का निजीकरण किया जाएगा। उन्होंने कहा था कि यह देश भर की अन्य उपयोगी इकाइयों के लिए एक मॉडल होगा, जिससे ग्राहकों को बेहतर सेवाएं मिलेंगी और बिजली वितरण में वित्तीय और परिचालन संबंधी कुशलता आएगी।
दिल्ली एकमातत्र केंद्रशासित प्रदेश है, जहां निजी वितरण कंपनियां, रियालंस इन्फ्रास्ट्रक्चर की बीएसईएस लिमिटेड और टाटा पावर दिल्ली डिस्ट्रीब्यूशन लिमिटेड अलग अलग इलाकों में आपूर्ति का काम देखती हैं। केंद्र शासित प्रदेश सीधे सीधे केंद्र सरकार के अधीन हैं, जिससे इनका निजीकरण आसान है।
मुंबई, अहमदाबाद, सूरत और कोलकाता को छोड़कर किसी अन्य शहर में निजी बिजली वितरण कंपनियां नहीं हैं। सभी सरकारी बिजली वितरण कंपनियों की औसत परिचालन हानि 21 प्रतिशत है, वहीं निजी क्षेत्र की कंपनियां जिन इलाकों में बिजली आपूर्ति कर रही हैं, वहां परिचालन हानि 8 से 11 प्रतिशत है। ओडिशा और राजस्थान में चुनिंदा शहरों में निजी वितरण फ्रैंचाइजी हैं।
केंद्रीय बिजली सचिव एसएन सहाय ने सितंबर में एक टीवी साक्षात्कार में कहा था कि चंडीगढ़ और अंडमान की वितरण कंपनियों के निजीकरकण की अंतिम तिथि 31 दिसंबर और दादरा और नागर हवेली की जनवरी 2021 रखी गई है। पहली बार केंद्रीय बिजली मंत्रालय ने सरकारी बिजली वितरण कंपनियों के निजीकरण के लिए मानक बोली दस्तावेज (एसबीडी) तैयार किया है। एसबीडी राज्य सरकारों के लिए दिशानिर्देशक दस्तावेज होंगे, जो अपनी वितरण कंपनियों को निजी क्षेत्र को सौंपना चाहते हैं।
